भारतीय संस्कृति में विवाह एक संस्कार माना जाता रहा है,ऐसा माना जाता है कि विवाह मात्र दो व्यक्तियों का बंधन नही ,दो परिवारों का बंधन है।दो रीतियों का समागम है ,दो संस्कारों का मिलन है,दो परंपराओं का समागम है।
किसी भी रिश्ते का आधार प्रेम और विश्वास होता है पर आज के इस भौतिकतावादी युग में प्रेम और विश्वास का नितांत अभाव और एक दूसरे के प्रति सम्मान की कमी विवाह जैसे सुखद और मजबूत बंधन को भी दीमक की तरह खोखला कर रहे हैं।
ऐसा नही है कि वैचारिक भिन्नता पहले नही होती थी पर आज के समय में भिन्नता की स्थिति में सामंजस्य का अभाव तलाक को बढ़ावा दे रहे हैं।
-:समाज में बढ़ते तलाक के दरों के कुछ कारण मेरी नजर में-
1.समानता को गलत तरीके से परिभाषित करना-
स्त्री और पुरुष दोनों ही जिंदगी रूपी गाड़ी के दो पहिये हैं ,दोनों के बिना शादीशुदा जिंदगी का चलना असंभव है।प्रकृति ने दोनों को विशेष गुणों से नवाजा है और एक दूसरे का पूरक बनाया है परंतु आज के इस युग समानता की होड़ में एक दूसरे से श्रेष्ठतर साबित करने की होड़ में वह आपस में ही टक्कर ले रहे हैं और यह वैचारिक टक्कर इतनी ज्यादा बढ़ जा रही है कि सहयोग प्रेम सामंजस्य को बिखेरकर रख दे रही है और परिणाम तलाक हो रहा है।
2.दिखावे की आदत-आज के इस युग में सोशल साइट्स के बढ़ते प्रभाव में दिखावे की आदत बढ़ती जा रही है।अपनी स्थिति न देखते हुए अपने मित्रों की स्थिति वह इस होटल रेस्टॉरेंट में गए,।वह दोस्त उस पर्यटन स्थल गया तो वह उस पहाड़ी स्थान को देखकर वैसा ही करने का प्रयास किया जा रहा है जिसके कारण घर की आर्थिक स्थिति पर अनावश्यक दबाब पड़ रहा है और उस दबाब से गृह कलह जिसका परिणाम तलाक हो रहा है।
कभी कभी पतियों द्वारा ऐसा न करने पर पत्नियों द्वारा तलाक तक बात पहुँचाई जा रही ।
3.झूठी अना का बोलबाला-रिश्ते में अना का आना ही रिश्ते को कमजोर करना है और ऐसा होने पर तलाक की नौबत तक बात पहुँच रही है।
4.फ़ोन का दुरुपयोग-शादी के बाद लड़की एक नए परिवार में जाती है तो उसे वहाँ के लोगों को समझने में वक्त लगता है पर यह समझ खुद के अनुभव से जब विकसित होती वह सच्ची और यथार्थ होती।
परन्तु शादी के बाद भी मायके पक्ष वालों मिल रहा दिशा निर्देश उसके स्वयं के दिल और दिमाग को सही तरीके से काम नही करने देता फलतः तलाक की नौबत आती है।
5.जीवनसाथी के प्रति गैर जिम्मेदार रवैया-कुछ पुरुषों द्वारा शादी के बाद भी अपने जिम्मेदारी के प्रति सजग और सचेत न होना।फेसबुक और वॉट्सएप्प को अपने जीवनसाथी से ज्यादा समय देना।लड़कियों द्वारा भी बेकार के दिखावटों के चक्कर में जीवनसाथी के प्रति सजग और सचेत न होना तलाक का कारण है।
अंत में मैं इतना ही कहूँगी जितनी हमारी शिक्षा बढ़ रही उतने ही हम महत्वाकांक्षी होते जा रहे और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के चक्कर में रिश्तों के प्रति प्रेम सहयोग सामंजस्य समर्पण कम होता जा रहा ,जिसके कारण तलाक बढ़ रहा।
हम समझौता और बर्दाश्त करके जीना नही चाहते।
शादी एक कैद जैसा लगता।हम स्वतंत्रता और स्वच्छंदता के अंतर को आत्मसात नही कर पा रहे।
जरूरत है रिश्तों के प्रति संवेदनशील होने की वरना तलाक की दर रुकने के बजाय बढ़ेगी ही।
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