एक पत्र 2022 के नाम

एक पत्र 2022 के नाम

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 30 Dec, 2022 | 1 min read

जाते हुए वर्ष 


क्या कहूँ शिकवा शिकायतें करूँ तुमसे या फिर तुम्हारा शुक्रिया करूँ।अफ़सोस जताऊँ तुम्हारे जाने का या फिर खुशियाँ मनाऊँ।

समझ में नही आ रहा है,खैर,जाना तो हैं ही तुम्हें।तुम जाओगे बिना रुके ,नदी की तरह कल कल बहते हुए,और उस बहाव में मैं भी तुम्हारे साथ चाहे अनचाहे बहती जा रही हूँ।

तुम भी सोच रहे हो क्यों? है न....

वाकई तुम्हारा सोचना भी सही है ,परन्तु किंतु से परे तुम्हारा सोचना भी सही ही हैं।जाने अनजाने तुमने इतना कुछ दिया जो है।कभी दर्द भी बेहद दिया तो कभी खुशियाँ भी दीं।

तुमने इस वर्ष मेरी पहचान दुनिया से कराई,मुझे मेरे मैं से मिलवाया,आत्मविश्वास से लबरेज किया।

कितने ही प्यारे प्यारे लोगों से जुड़वाया जिसके कारण काफी कुछ सीखने का अवसर मिला,काफी कुछ सिख रहीं,और काफी कुछ आगे भी सीखूँगी।भरपूर प्यार,सम्मान और तवज्जो दी।

पर इन सब पर भारी पड़ा एक दर्द ,हाँ तुम तो समझ ही गए हो।इस दर्द ने पूरे जीवन के लिए एक फाँस सी अटका दी मेरे गले में।जिससे पता नही कभी उबर पाऊँ भी या नही ,या फिर उबरकर एक नई कहानी लिखूँ।

परन्तु रिश्तों इंसानों के प्रति मेरे समझ को तुमने मजबूत कर दिया।

अब शायद,थोड़ा व्यावहारिक बनना सिख रही हूँ।

ओह 2022 तुमसे कोई शिकवा नही,तुमने तो ऐसी परिस्थिति देकर मुझे और मजबूत बना दिया।

और ये रूचिका अब भावनाओं को संतुलित करना सीख रही है।

बस जाते जाते यह करते जाना,कड़वी कसैले मेरे जीवन अनुभव को अपने साथ ही रखना इसे 2023 में न जाने देना।

मेरे लिए दुआ जरूर करना।

                तुम्हारी रूचिका राय

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