हिज़ाब है एक धार्मिक अधिकार,
इस पर छिड़ी चौतरफा तकरार,
बेवजह के तूल दे रहे सभी इस पर,
कोई भी धर्म सिखलाता नही रार।
धार्मिक रूप से यह पहनना जरूरी,
इसको लेकर नही कोई मजबूरी,
हर धर्म का आदर सम्मान मन में,
फिर क्यों विचारों में आता है ये दूरी।
धर्म कहता है हर नारी का हो सम्मान,
उसके लिए हिज़ाब को जरूरी जान,
संविधान में भी धर्म के लिए आदर है,
फिर क्यों सबके मन में झूठी शान।
हर संस्था का एक जरुरी नियम है,
उसको पालन करना ही संयम है,
अगर बेवज़ह का उठे कोई विवाद,
फिर झूठे धार्मिक विवाद क्यों कायम हैं।
हिजाब को आप अपना अधिकार माने,
मगर शैक्षणिक संस्थानों से दूर इसे जाने,
शैक्षणिक संस्थानों के ड्रेस कोड को
अनुशासित होकर प्रयोग करने की ठानी।
संविधान के 25-28 अनुच्छेद में अगर
धार्मिक स्वतंत्रता का मिलता अधिकार।
185 वें संसोधन में फिर दिया गया है
शैक्षणिक संस्थानों को दूर रखें धर्म से हर बार।
हो तभी आपके अधिकार का उचित मान,
जब कर्तव्यों को पूरा करने की लें ठान।
शिक्षा को प्रमुख मानकर आप सदा ही,
इन सभी विवादों से दूर रहे लें ये जान।
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सार्थक सृजन
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