सर्दी का मौसम

सर्दी के दिन

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 03 Dec, 2022 | 1 min read

सर्द शामें और ठिठुरती रातें लर्जिश बदन की

मदहोश कर दें वो साजन की बातें,

धुंध की चादर ओढ़े हुए हैं 

धुँआ धुँआ सा हर तरफ का नजारा

रोशनी देखो गुल हो गयी है

और चाँद भी बादलों के बीच छिप गया है।

मिलन की आस ,अनजानी प्यास

विरह की अग्नि सुकून मन का छीन रही है

उस विरहन की।

जो इंतजार में पलकें बिछाए तक रही है साजन को।


रातें लंबी होती जा रही है,

मानो घड़ी की सुईयां सुस्ता रही हैं।

धूप मध्दम,रोशनी है कम,ताप भी बिल्कुल लगे नरम।

नीले पीले ऊनी टोपी और स्वेटर पहने

लगते हैं प्यारे बच्चे जैसे कोई खिलौना।

ओढ़े दुशाला चल रही दुल्हन

रोक रखा है शीत को जैसे कह रही हो नही है प्रियतम।

आँच जरा सा तुम बढ़ा दो लग रहा है मर जायेंगे हम।


खेतों में धान की बालियां पककर झुकी हैं,

मानो कर रही हो स्वागत शीत का।

हरी सब्जियां उगकर शीत में मन के स्वाद को

बढ़ा रही।

सर्दी की लंबी रातें काटे नही कट रहे

आ जाये साजन करें वफ़ा वो

मिलकर भगाए हम इस बेरहम सर्दी को

आरजू दिल में यह पल रही है।

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