जलधि

समुन्द्र की महिमा

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 09 Jun, 2021 | 1 min read

जलधि तेरा स्वरुप है बड़ा विशाल,

तेरे ह्रदय में बसा है अनेकों सवाल,

तेरी गहराई को माप नही कोई सके,

तेरा विस्तार का फैला हुआ है जाल।

तू जब शांत रहे तो कल्याण करें,

तेरा रौद्र रूप विनाश का है मार्ग।

तुझसे सीखा है हमने सदा ही,

पथ की बाधाओं को करें कैसे पार।

हे रत्नाकर तेरे अन्तस् में छुपा है,

अनेकों बहुमूल्य रत्न बाकमाल।

तुझसे सदा ही हमने लिया है

जीवन के लिए उपयोगी पूरा सामान।

जीवन की उत्पत्ति तेरे गर्भ में हुई,

तेरे ही गर्भ में हुआ कई जीवों का विकास।

जलनिधि तुमने ही भोजन उपलब्ध कराया,

तेरे ही वक्षस्थल से हुआ व्यापार का विकास।

देव रूप में पूजित होकर सदा ही,

पयोधि हमने किया आपका सम्मान।

पर हमारे ही कर्मो से प्रदूषित होकर,

जीवन पर पड़ रहा इसका प्रतिकूल प्रभाव।

हे पयोधि तेरे ही लहरों से सीखा हमने,

जीवन में उठने और गिरने का सिद्धांत।

आपको स्वच्छ रहने का संकल्प ले मानव,

वरना होना पड़ेगा आपके कोपभाजन का शिकार।

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