स्वप्न

मेरे जीवन के स्वप्न

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 23 Jun, 2021 | 0 mins read

मेरे जीवन के कुछ स्वप्न

मेरे जीने के वजह बनते हैं।

कुछ स्वप्न दर्द का कारण बनते हैं,

कुछ बेमुरव्वत से अपने नही लगते।

मेरे जीवन के स्वप्न

सीखाते हैं मुझे जीने का हुनर।

कभी मुझे भरमाते भी हैं,

कभी वो छीन लेते हैं दिल का सुकून।

मेरे जीवन के कुछ स्वप्न

बड़ी मजबूती से मुझे खड़ा होना सीखाते हैं।

कभी हौसला की दीवार पार करवाते,

कभी मेरी वो पहचान बनाते हैं।

मेरे जीवन के कुछ स्वप्न

कल और आज में फर्क दिखलाते हैं।

कभी मेरे अंदर की सोती उम्मीदों को जगाकर,

जमाने की आँच में तपना सीखाते हैं।

ये मेरे जीवन के स्वप्न

कभी दर्द में हमदर्द बनते,

कभी सफर में हमसफ़र।

कभी घाव पर मरहम तो

कभी जख्म पर नमक।

ये मेरे जीवन के कुछ स्वप्न,

जिसे जैसे चाहूं जिस रूप में लूँ

वैसे ही सदा ही बन जाते हैं।

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Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

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  • Sandarbh Kumar · 2 years ago last edited 2 years ago

    "मेरे जीवन के स्वप्न, जिसे जैसे चहुँ जिस रूप में लूँ, वैसे हीं बन जाते हैं"... आद्भुत्त पंक्तियाँ हैं...

  • Ruchika Rai · 2 years ago last edited 2 years ago

    Sandarbh kumar thankyou

  • Deepali sanotia · 2 years ago last edited 2 years ago

    Well penned

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