मेरे जीवन के कुछ स्वप्न
मेरे जीने के वजह बनते हैं।
कुछ स्वप्न दर्द का कारण बनते हैं,
कुछ बेमुरव्वत से अपने नही लगते।
मेरे जीवन के स्वप्न
सीखाते हैं मुझे जीने का हुनर।
कभी मुझे भरमाते भी हैं,
कभी वो छीन लेते हैं दिल का सुकून।
मेरे जीवन के कुछ स्वप्न
बड़ी मजबूती से मुझे खड़ा होना सीखाते हैं।
कभी हौसला की दीवार पार करवाते,
कभी मेरी वो पहचान बनाते हैं।
मेरे जीवन के कुछ स्वप्न
कल और आज में फर्क दिखलाते हैं।
कभी मेरे अंदर की सोती उम्मीदों को जगाकर,
जमाने की आँच में तपना सीखाते हैं।
ये मेरे जीवन के स्वप्न
कभी दर्द में हमदर्द बनते,
कभी सफर में हमसफ़र।
कभी घाव पर मरहम तो
कभी जख्म पर नमक।
ये मेरे जीवन के कुछ स्वप्न,
जिसे जैसे चाहूं जिस रूप में लूँ
वैसे ही सदा ही बन जाते हैं।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
"मेरे जीवन के स्वप्न, जिसे जैसे चहुँ जिस रूप में लूँ, वैसे हीं बन जाते हैं"... आद्भुत्त पंक्तियाँ हैं...
Sandarbh kumar thankyou
Well penned
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