शिक्षिका

Poem on teacher's day

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Ritika Bawa Chopra
Ritika Bawa Chopra 05 Sep, 2021 | 0 mins read

एक शिक्षिका हूँ मैं,

तुम्हें परिश्राम करना सिखाती हूँ मैं,

तुम्हारे लिए ही ज्ञान के दीप जलाती हूँ मैं,

तुम्हारी ज़िंदगी में रोशनी लेकर आती हूँ मैं,

तुम्हारी सफलता की कामना करती हूँ मैं,

तुम्हारी छोटी से छोटी उपलब्धि पर भी खुश हो जाती हूँ मैं,

कामयाब होते हो तुम, मन ही मन मस्कुराती हूँ मैं,

हार भी जाओ अगर, तो तुम्हें आगे बढ़ने की हिम्मत देती हूँ मैं,

तुम्हारी शैतानियों पर डांटती तो हूँ, पर फिर खुद ही उदास हो जाती हूँ मैं,

फिर प्यार से तुम्हें सहलाते हुए आशीर्वाद देती हूँ मैं,

बदले में ज़्यादा कुछ नहीं माँगती हूँ मैं,

बस थोड़ा सा सम्मान और प्यार ही तो चाहती हूँ मैं,

कभी तुम्हारी दोस्त, कभी बड़ी बहन तो कभी माँ भी बन जाती हूँ मैं,

एक शिक्षिका हूँ मैं,

तुम्हें जीवन की सही राह दिखाती हूँ मैं!

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