वो बिहारी लड़का

एक बिहारी लड़के की अधूरी प्रेम कहानी

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रमणीक ऋषि
रमणीक ऋषि 09 Jun, 2023 | 1 min read

जब वो लड़का पहली बार बिहार से बाहर गया इंजीनियरिंग कॉलेज में। खुश बहुत था, सपने थे ,और थोड़ी बैचैनी। कॉलेज के पहले दिन ही सीढ़ियों पर चढ़ते हुए उसे वो दिखी और बस उससे ईश्क हो गया।ऐसा प्यार जिसमे उससे न पाने की उम्मीद थी न खोने का डर। रूम वापस पहुंचते ही अपने नए नए रूम पार्टनर से बोला(हालांकि उसका रूम पार्टनर कुछ समझा नहीं)

"ना वरदान की अभिलाषा, न अभिशाप का भय, हम तो प्रेम रंग में रंगे है।

मेनका का भी जय विश्वामित्र का भी जय।।"

कई हफ्ते बीत गए दिखी नही वो कही फिर अचानक एक दिन कैंटीन में दिखी। लड़का अपने रूम मेट के साथ(अभी दोस्त बोलना जल्दीबाजी होगी) और लड़की अपने लड़कियों के ग्रुप के साथ( लड़किया बहुत जल्दी ग्रुप बना लेती है, लड़की का गैंग बनाने में समय लगता है) । लकड़ा अपने रूम पार्टनर को जिसे वो काफी हद तक भोजपुरी सीखा चुका था उससे अपनी मन का बात (मन की बात बोलूंगा तो माहोल पॉलिटिकल हो जाएगा)

तो लड़का अपने मन का बात कुछ ish तरह भोजपुरी में अपने रूम पार्टनर को बताता है

"की सांस बन दिल में उतर जयति, कोहरा(कद्दू) के लतर (लता) नियन (जैसे)पसार(फैल) जयती।

गुड्डी एक बार देखतू त मर जयती।।"

यह गुड्डी नाम काल्पनिक है, बिहार में लड़कियों को गुड्डी/बुची/छोटी इन शब्दों से बुलाया जाता है। वो सायरी है न की महफिल में नाम लूंगा तो वो बदनाम हो जायेगी , इसलिए वास्तविक नाम नही ले सकता क्यूंकि प्यार का अब तो पता नहीं पर इज्जत अभी भी है मन में गुड्डी के लिया।

खैर छोड़ो, गुड्डी से बातें होने लगी मिलना जुलना बढ़ा और दोनो को इश्क हो गया। पर लड़के ने कभी खुल कर गुड्डी को प्रपोज नही किया। और एक दिन वो आ ही गया जब ये बात छिड़ी और गुड्डी ने सीधा पूछा प्रपोज क्यू नही करते। अब वो तो ips की बेटी थी, उसका fee भी पूरे साल का advance मे जमा कर दिया जाता था, और हमारा लड़का फौजी जवान का बेटा। वो तो बेचारा स्कॉलरशिप पर अपने खर्चे उठता था। मिडिल क्लास लडको पर एक अजब तरह की जिम्मेदारी होती है वो किसी को समझा नहीं सकता। वो लड़का निराश अपने रूम में आकर अपने साथी से पूरी कहानी सुनाई

की उसने पूछा " मोहब्बत तो करते हो , कदम नहीं बढ़ते ये कैसी खुद्दारी है।"

अब कैसे समझाऊं "चाहता तो हु उसे पर इश्क नहीं कर सकता , मुझे पर घर की जिम्मेदारी है।।"

खैर धीरे धीरे दोनो में में मिलाप बढ़ा और वो ईश्क के राह पर चल पड़े। उसने इश्क को एक रसम या रहम समझा ये तो पता नहीं लेकिन जाने क्या हुआ की वो लड़का इश्क में रहने लगा। पढ़ाई बढ़ती रही और मोहब्बत आसमान छूता रहा । लड़के का गैंग तैयार था , अब वो सेकंड ईयर में था और इश्क सातवे आसमान पर, बस जिंदगी ऐसे चल रही थी और अक्सर वो लड़का अपने दोस्तो के महफिल में कहा करता था

"ना जाने जिंदगी किस दौर से गुज़र रही हैं। ईश्क और पढ़ाई साथ साथ चल रही हैं।"

अब दोनो थर्ड ईयर में थे, और इश्क में गहराई आने लगी थी। ऐसा नहीं था की लड़के को किसी और से नैन मटका नहीं होता था , होता ही है कॉलेज के दिनों में पर हमारे लड़के को किसी और के साथ मोहब्बत नहीं हुई। थर्ड ईयर के अंतिम दोनो में लड़के पर प्रेशर आना शुरू हो गया की तुम कही अच्छे से job पकड़ लेना तभी हमारी शादी हो पाएगी … वगैरा वगैरा। लड़का अब सोचने लगा की क्या करू ,कैसे करू ,थोड़ा परेशान रहने लगा। उसके दोस्त ये चीज समझ गए उन्होंने पूछा भी पर लड़के ने खुल कर कभी बताया नही। बस यही सोचता रहता था

"दुआ करू या इबादत, मैं उसे खो नही सकता, जब तक कामयाबी न मिले मैं चैन की नींद सो नहीं सकता। अगर मिली कामयाबी तो उनके सजदे में सिर झुकाऊंगा अगर न मिली तो खुद की निगाहों में गिर जाऊंगा।"

थर्ड ईयर और फोर्थ ईयर के बीच दोनो ने अपने अपने घर में बात की। बिहार में लड़कियों की शादी जल्दी हो जाती है, कभी कभी तो लगता है , लड़कियों को सिर्फ अच्छे रिश्ते के लिए पढ़ाया जाता है, । लडके को मिलने जाना था लड़की के पूज्य पिता श्री से तो लड़के ने कॉल किया अपने संभवतः होने वाले ससुर जी को और उसे अगले दिन ऑफिस में बुलाया गया(शायद घर पे इसलिए नही बुलाया की कही बात इधर उधर न फैल जाए) । लड़का ऑफिस पहुंचा और उसकी सिटी बीटी गुल हो गई पहली बार किसी ips का ऑफिस देख रहा था अब तो खैर उसको ऐसे दफ्तरों की आदत हो गई है। अपने संभावित ससुर जी से मिला और उन्होंने साफ कहा की लड़की का मामला है इसलिए मौका देता हु कोई अच्छी मल्टी नेशनल कम्पनी में जॉब कर लो या कोई बेहतर ग्रेड वन ऑफिसर की सरकारी नौकरी कार्लो तो ये सम्भव है वरना नही। लड़का ऑफिस से बाहर निकलते ही मन बना लिया था की वो ग्रेड वन ऑफिसर बनेगा। वो बाहर आया गुड्डी को फोन किया और बोला की शादी की तैयारी शुरू कर दो। समय कम था ,लड़के ने कड़ी मेहनत की और सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स में क्लास वन ऑफिसर के लिए उत्तरीन हो गया। मन ही मन लड़का मुहकुराया

"ऐ जिंदगी तेरे हर जज्बात को बिना गांठ जोड़ दूंगा मैं। और अगर तू कही आड़े आई तो भींगे टॉयलिय की तरह निचोड़ दूंगा मैं।"

खैर शादी की बात ठंडे बस्ते में चली गई और लड़का ट्रेनिंग करने लगा। वो शादी को लेकर आश्वस्त हो चुका था और ट्रेनिंग में लीन हो चुका था। गुड्डी से बात करने का मौका भी काम मिलता था और जिस रात देर तक बात करता था अगली सुबह ट्रेनिंग के लिए होता था और बदले में कठोर फ़ौजी सजा का हकदार होता था, पर वो खुश था। ट्रेनिंग ब्रेक में वो गुड्डी से मिलने बंगलुरु गया और बोला

"जिन्दगी की इस दौर में बस एक परिंदा हूं मैं। शुक्र है आपकी खुबसुरत निगाहों की, बस आपके इश्क में आज कल जिन्दा हूं मैं।।"

खैर ट्रेनिंग खतम हुई और वो surprise देने अपने गुड्डी के पास पहुंचा ।

"हैरत हुईं उसे मुझे अपने दहलीज पर देख के कहती है इस नए शहर में तुम्हे मेरा पता किसने दिया सुनहरे बाल भूरी आंखे लबों के नीचे तिल बस इतना बताया था की रिक्शे वाले ने यहां लाकर छोड़ दिया।"

खैर मिलते हुए लड़के को गुड्डी के बरताओ में बदलाव दिखा (शायद घर को लेकर परेशान होगी या फिर मामला कुछ और होगा) लेकिन एक बात तो तय थी की लड़के को अब उस से मिलना अच्छा नहीं लगाता था और वो खुद से बोला

"उनसे मिलना अब अच्छा नहीं लगता , अच्छी बात है की अब अच्छा नहीं लगता , और करती है जो वो मोहब्बत अब मुझसे , वो मोहब्बत मुझे सच्चा नही लगता । अच्छी बात है की अब अच्छा नहीं लगता।।"

लड़का बे मन उससे मिलता रहा , शायद उसको यकीन हो गया था की मामला घर का नहीं कुछ और है(अब तो नाम भी लेना नहीं चाहता था)। जब मिलो तब वो नाराज़ रहती थी और उसे मानते मानते लड़का थक चुका था। कभी कभी उदास होकर खुद से बोलता था

"घुटन सी होने लगी हैं उसके पास जाते हुए ,मैं खुद से रूठ गया हु उसे मानते हुए।"

फिर भी लड़का कोशिश करता रहा और उसके पिता जी से मिलने गया लेकिन वहा उसे जिंदगी के कुछ और पहलू नजर आए ,जब लड़की के पिता ने बोला की शादी तो हो सकता था पर हमारी जाति अलग अलग है। लड़के के पास इसका कोई जवाब नही था वो इस विषय में अभी सोचा ही नहीं था ।

इसके बाद लड़के ने लड़की से पूछा क्या करे पर उसका भी यही जवाब था जाति की बेडिया। फिर लड़के ने बोला

"सही और गलत से परे उस मैदान में आ तो सही । एक शैलाब है इश्क का तेरे लिए इस दिल में , दिखूंगा, तू जमाने के इन बेड़ियों को तोड़ , आ तो सही।।"

खैर एक दिन लड़के को विश्वाश हो गया , जब लड़की ने खुद बोला की वो किसी और को चाहती है।

लड़का सिगरेट तो पिता था , ये बात गुड्डी को भी पता थी, पर लड़के ने कभी उसके सामने सिगरेट नहीं पिया था पर उस दिन उसने उसके सामने सिगरेट जलाई और गुड्डी ने कसम दिया की वो सिगरेट को हाथ नहीं लगाएगा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुका था। लड़के ने अगली सुबह सिग्रेट पीते हुए अपने दोस्त से बोला

" कल रात क्या गजब कर गई वो , खुद को आईने में देख कर डर गई वो, और कल ही तो दिया था अपनी कसम सिगरेट न पीने की , सुबह देखा तो मर गई वो।।"

यहा मरने से मतलब है लड़की नही मारी, मरने से मतलब है की लड़के की जज़्बात मर गए उस लड़की के लिए।

लेकिन लड़का अभी भी प्यार में था ।उसने दुबारा गुड्डी से बात नहीं की लेकिन याद तो आती थी वो । लड़का मन ही मन में कहता रहता था

"तेरे जाने के बाद क्या बताऊं मैं ना खुश हु ,ना उदास हु मै ।बस अकेला हु और परेशान हु मै।।"

और फिर खुद से बोलता था

"कच्ची उम्रो के ख्वाब है सारे टूट जाए तो दर्द होता है। और दिन में सुकून मे नींद लेने वाला ये परिंदा अब रातों को भी नहीं सोता है।।"

और कभी बोलता था

"तेरी यादों की लहरों को मैं थाम लूंगा और तेरे जाने के बाद भी मैं तेरा नाम लूंगा।।"

लड़के की पोस्टिंग नॉर्थ ईस्ट में हुई और अक्सर वो नदी किनारे बैठा रहता था। और एक दिन ऐसा आया की उसे समझा आया की अब यादों में रहने से कोई फायदा नही है। और नदी किनारे बीयर पीते हुए गहने नदी से बोला

"सीतल ये जल खुद को दर्पण कर रहा है। और नदी के शांत तट पर बैठ कर ये मन तेरी यादों का विसर्जन कर रहा है।।"

अब लड़का न तो उदास रहता है ना ही खुश रहता था ।

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रमणीक ऋषि

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