होली तेरी मेरी

श्रेय और पायल की होली

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Rimjhim agarwal
Rimjhim agarwal 27 Feb, 2020 | 0 mins read

"पता है श्रेय,आज होली है।मुझे पता है तुम्हें यह त्यौहार बहुत पसंद है।आज भी याद है मुझे होली वाले दिन ही तुम मुझसे पहली बार मिले थे जब अपने परिवार के साथ तुम मुझे देखने आए थे।घर वालों ने हमें जब अकेले में बात करने भेजा था तो तुम्हारा पहला शब्द था,"हैप्पी होली पायलजी।"मैंने भी शरमाते हुए हैप्पी होली कहा था।कुछ देर बार रोके की रस्म हो गई और भाभी के कहने पर तुमने मेरे गालों पर हल्का सा गुलाल लगाया था।मैंने भी शरमाते हुए तुम्हारे माथे पर गुलाल का टीका लगा दिया था।

शादी के बाद तो हर होली पर तुम सुबह ही मुझे अपने रंग में रंग देते थे।फिर आज क्या हो गया।आज क्यों खामोश हो उठो न लगाओ न मुझे गुलाल।एक बार फिरसे रंग दो न अपने रंग में।कब बाहर आओगे कोमा से।तुम्हारी पायल इंतजार कर रही है तुम्हारा।

नम आंखों से पायल ने श्रेय के हाथों में गुलाल लगाकर अपने गालों पर लगा लिया और श्रेय के माथे पर गुलाल का टीका लगा दिया।इस उम्मीद के साथ अगली होली पर श्रेय खुद उसके साथ होली खेलेगा।उधर श्रेय की आंखों से भी एक कतरा आँसू का आ गया।

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