साँवला या गोरा... प्यार भला कहाँ देखता है

रंग भेद शर्मनाक घटना है अगर किसी के साथ होती है खुबसूरती तो मन की होती है उसे देखें।

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Resmi Sharma (Nikki )
Resmi Sharma (Nikki ) 02 Nov, 2020 | 1 min read

सांंवला सलोना चेहरा तीखे नैन,लंबे बालों वाली ये भला है कौन जो पुरे शादी में बस काम में ही लगी हुई है।रोहित जब से आया है तब से उसे ही देख रहा था।आज सुबह ही वो आया था,अपने मामा के घर शादी में तब से वो उसे ही देख रहा है कितनी सुघड़ता से सब काम फटाफट कर रही थी।

चाय से लेकर खाना,नास्ता सब व्यवस्था वो देख रही थी।

"आप चाय लेंगे" तभी उसे आवाज आई पलट कर देखा तो वही लड़की .".नहीं.. हाँ हाँ" मेरी आवाज ही जैसे हलक में रह गई हो ।वो चाय देकर चली गई और मैं बस उसे देखता रह गया।"बेवकूफ" नाम भी नहीं पुछा अपने आप को कोसा।

ये माँ भी कहीं नहीं दिख रही उसी से पुछ लेता।दोपहर होने को थी खाना खाने सब चले मैं भी गया पर वो लड़की दिखी नहीं।कहाँ हैं वो रोहित मन ही मन सोच रहा था।"खा जल्दी बहुत काम हैं बारात आने में कुछ ही घंटे हैं" मामा ने कहा तो मैं खाने तो बैठ गया पर निगाह उसे ही ढुढ़ रही थी पर वो दिख नहीं रही थी।

पर मैं इतना उसे ढुढ़ क्यों रहा हूँ..?क्यों मैं उसके लिए बैचेन हो रहा हूँ? मैं भी न बस न जान न पहचान मैं तेरा मेहमान खुद पर ही हँसी आ गई।जैसे तैसे खाना खाकर घर के अंदर गया शायद वो नजर आ जाऐ पर नहीं वो तो जैसे गायब ही हो गई थी जैसे" गधे के सर से सिंग"।मैं पुरा घर छान लिया पर वो सांवला मुखड़ा कहीं नहीं नजर आया।

रोहित चल बेटा तेरे कपड़े निकाल दूं बारात आने वाली है।हाँ माँ... सोचा माँ से पुछ लूं पर क्या नाम भी तो नहीं पता।खुद पर गुस्सा आया चाय पी ली और नाम भी न पुछा ।बारात जहाँ ठहरी थी मुझे वहाँ भेज दिया गया उनके स्वागत के लिए और साथ में आने के लिए पर मन बैचेन था।

उदास मन से बारात के साथ मैं आ गया दरवाजे पर सामने सब की भीड़ में वही सांवला मुखड़ा.... मेरी तो जैसे दिल की धड़कन ही रुक गई।

लहंगे में... लम्बी चोटी, फूलों का गजरा और खुबसुरत नजर आ रही थी वो।मैं तो बस देखता ही रह गया था इस बात से बेखबर की माँ सब मेरी नजरों को भाप चुकी थी।पुरी शादी उसके आगे पिछे करता रहा क्यों पता नहीं था पर अच्छा लग रहा था।

अब सब खत्म हो चुका था!शादी से सब लौट रहे थे और मैं बस एकटक उसे देख रहा था और वो भी मुझे, वो भांप चुकी थी।सोनल नाम था।सब रात को आराम से बैठे बात कर रहें थे सुबह हमें निकलना था।वो भी सुन चुकी थी और उदास थी मेरी तरफ देखकर नजरें छुपा लेती थी।सब ऊपर थे मैंने हिम्मत करके उसे निचे आने का इशारा किया और निचे आ गया।

वो भी आई शर्म चेहरे पर साफ दिख रही थी।मैंने कहा मैं सुबह जा रहा हूँ तुम से कुछ कहुँ उसने हाँ में सर हिलाया।मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ।वो मेरी तरफ देखती रह गई फिर उसने बोलना शुरू किया तो मैं सुनता ही रह गया

"आप इतने गोरे मैं काली आप मुझसे शादी कैसे कर सकते हो,आपकी माँ आपके लिए कोई आप जैसी सुंदर लड़की लाएंगी! मैं आपके साथ नहीं अच्छी लगूंगी!मेरा सांवला रंग तो किसी को पसंद ही नहीं आता! कितने लोगों ने मुझे देखकर सांवला कहकर छोड़ दिया!आप के साथ में नहीं चलूंगी"।

वो चुप हो गई, पर मैं सन्न रह गया था इतना दर्द था सांवलेपन का।उसने फिर कहा " आपके लायक मैं नहीं मन कितना भी सुंदर हो सबको तन ही सुंदर चाहिए मन का क्या समझा दूंगी हमेशा की तरह"उसने इतने कम शब्दों में सारा दर्द बंया कर दिया।पहले तो सिर्फ सांवला मुखड़ा मुझे भाया था पर अब उसकी मन की सुंदरता भी भा गई थी।उसके चंद शब्दों ने ही मन की सुंदरता ही सब हैं साबित कर दिया था।

मैं बस तुम्हें चाहता हूँ तुम क्या चाहती हो उसने हाँ में सर हिलाया बस मुझे सारे जहाँ की खुशियाँ मिल गई।वो सांंवला मुखड़ा मेरे और करीब आ गया था।मुझे जैसे जमाने की हर खुशी मिल गई थी।आज मन में आ रहा था जोर.. जोर.. से में भी गाऊं ..

सांवली सलोनी तेरी झील सी आँखें इनमें न जाने कहां खो ..........

प्यार सांवला या गोरा नहीं देखता ये तो बस हो जाता है.. हैं न पर क्या किसी के साथ रंग भेद करना उचित है?.. नहीं न.. रंग तो भगवान ने बनाया है किसी को गोरा किसी को काला हमें तो बस उसकी मन की सुंदरता ही देखनी चाहिए आप के क्या विचार हैं। प्यार तो बस प्यार होता है।


धन्यवाद


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Resmi Sharma (Nikki )

resmi7590

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sonia Madaan · 3 years ago last edited 3 years ago

    👏👏👏

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