पहला सावन

एक प्रेम कथा

Originally published in hi
Reactions 1
537
rekha shishodia tomar
rekha shishodia tomar 17 Jul, 2020 | 1 min read

मैं बैग में कपड़े रखते हुए कनखियों से विकास को देख रही थी। विकास अलमारी का दरवाजा खोल जाने क्या कर रहा था।

कुछ देर की चुप्पी के बाद मैं गला खखार बोली"पापा पूछ रहे थे आप ही लेने आओगे मुझे "?

विकास ने यूहीं अलमारी से कुछ टटोलते हुए कहा"नही..हमारे यहाँ पहली तीज और पहले करवाचौथ पर दामाद ससुराल नही जाते"

"ओह, फिर मैं कैसे वापस"?

"जैसे जा रही हो..टैक्सी से"

मैंने बिना कुछ कहे वापस बैग में आखिरी कपड़ा रखते हुए बैग बन्द कर दिया।

शादी को अभी 2 महीने ही हुए है।शादी के बाद पहला सावन और पहली तीज किसी भी लड़की के मन मे सौ उमंगे लेकर आता हैं। लेकिन मेरे मन मे केवल अनिश्चितता और उलझन थी।

शादी के लिए हां तो मैंने कर दी थी और करनी भी थी, विकास से इतना प्यार जो करती थी मैं,पर विकास.. उनका क्या? उनके जीवन मे मैं कहाँ और क्या अहमियत रखती हूं समझ नही पा रही।

शायद 2 महीने बहुत ही छोटा वक्त है ये समझने के लिए

विकास ने टैक्सी मंगा दी थी।अंदर आते हुए वो बोले"टैक्सी आ गई है..मैं बैग लेता हूं तुम चलो..सीढ़िया ध्यान से उतरना हमेशा फिसल जाती हो"उनका बिना मुस्कुराए ऐसी बात कहना ना प्यार का अहसास कराता है ना हल्के फुल्के मज़ाक का

मायका ससुराल से केवल 8 किलोमीटर दूर है, रास्ते भर मेरी आँखों मे पिछले 2 महीने घूमते रहे।

*****


विकास मुझसे 9 साल बड़े है, कॉलेज में मेरे टीचर थे।

जब पहली बार क्लास लेने आये थे तभी से मेरे मन मे उनके लिए एक अलग ही जगह और भावनाएं थी।ये कच्ची उम्र का प्यार तो बिल्कुल नही था।

रोज़ उनकी क्लास में बैठकर उनको देखना मानो जीवन का एकमात्र उद्देश्य बन चुका था।मैं एक एवरेज छात्रा थी कोई खास तव्वजो कभी विकास की तरफ से नही मिली।

इतनी हिम्मत नही थी कि विकास को कभी कुछ बोल पाती, लेकिन घर मे हर समय विकास की बात करना मम्मी पापा को खटक गया था।

और एक दिन

*****

"सुनो अब रेणु का फाइनल ईयर है..रिश्ते भी आने लगे है..क्या कहती हो"?पापा ने अखवार नीचे रखते हुए कहा

"कहना क्या?शादी तो करनी ही है..देख लो जो रिश्ता ठीक लगे"मम्मी ने मुझे देखते हुए कहा

"मुझे अभी और पढ़ना है"इससे ज्यादा मैं कुछ नही बोल पाई

"क्या पढ़ना है?शादी के बाद पढ़ लेना हम बात कर लेंगे लड़के वालों से"

"नही मुझे शादी के बाद नही पढ़ना.. कोई पढ़ाई नही कर पाता ऐसे..सब कहने की बात है"

"शादी के बाद नही पढ़ना या जिंदगी भर विकास सर से पढ़ना है"पापा ने मेरी तरफ देखे बिना दोबारा अखबार उठाते हुए कहा

"ऐसा कुछ नही है"

"ऐसा नही है तो वैसा होगा..पर कुछ तो है..सोच लो उम्र और ओहदे में कितना फासला है"

पापा की इस बात पर हैरान होते हुए मैंने दोनों को तरफ देखा

"सोच लिया पापा..आप बात करोगे उनसे"?

"हम्म, पहले उनके मन में क्या है वो तो पता चले"

मैं खुशी से नाचते हुए बोली"कल मैं उनको घर पर इनवाइट करती हूं..आप प्लीज बातो बातो में पता करो ना पापा"

"ठीक है,बुलाओ"

अगले दिन मैं खुशी के सागर में डूबती उतरती कॉलेज पहुंची..बेसब्री से विकास के आने का इंतजार कर रही थी।

विकास ने क्लास में एंट्री ली..उनके चेहरे पर भी आज एक अलग ही नूर था। पूरी क्लास के पढ़ाते हुए उनके चेहरे की मुस्कान किसी से नही छिप रही थीं।

बाहर निकलते हुए मैं भागकर विकास के पीछे पहुँची"सर..सर एक मिनट"

"बोलो रेणु.."विकास ने पीछे घूमते हुए कहा

पल भर के लिए मैं उन्हें देखती रह गई। खुद को सम्भालकर मैं बोली"सर आज घर पर एक खास ओकेजन है..आपको इनवाइट करना था"

"ओह आई एम सो सॉरी रेणु..आज मुझे जरूरी काम है"

"प्लीज् सर मैंने मम्मी पापा को बोल दिया है"मैंने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा

"प्लीज रेणु..देखो आज पहली बार मैं अपनी मंगेतर से मिलने वाला.. शादी तय होने के 3 महीने बाद..आज मैं कहीं नही जा सकता..सॉरी"इतना कह विकास तेजी से निकल गया।

काश..काश एक बार पीछे मुड़ कर देखा होता,मैं जमीन पर ढह गई थी..पूरे शरीर मे कम्पन, दिलो दिमाग में ऐसा तूफान छोड़ गए थे विकास जाते हुए जिसका अहसास आज भी होता है।

उसके बाद मैं एक हफ्ते तक कॉलेज नही गई.. एक हफ्ते बाद गई तो पता चला विकास कॉलेज छोड़ चुके है..शायद अपनी जिंदगी में खुश होंगे।

मैंने परीक्षा बहुत अच्छे नम्बरो से पास की..एक प्राइवेट कंपनी में जॉब मिल गई थी..तनख्वाह कुछ खास नही थी पर खुद को बिज़ी तो रखना ही था।

दूसरा कारण था कम्पनी की मालिक वसुंधरा जी उसके प्रति अच्छा बर्ताव।

जॉब को दो साल हो चुकी थी, मेरी उम्र भी 27 होने के कारण मम्मी पापा का शादी के लिए दबाव लगातार बढ़ रहा था।

मैं विकास को अभी भूल नही पाई थी,शायद भूल जाती की एक दिन...

****

"सुनो रेणु ,बेटी के कॉलेज में फंक्शन है मेरी जरूरी मीटिंग है..तुम प्लीज् उसे 3 बजे ले आना..वैसे तो वो अकेले आ जाती लेकिन दूसरी गाड़ी सर्विसिंग में है..उसके पास काफी सामान है तो ड्राइवर को ले जाना.."

"जी ठीक है माम्"कहकर मैं जल्दी जल्दी अपना काम निपटाने लगी

ठीक 2:50 में मैं कॉलेज के गेट पर थी। सामने एक पुरूष खड़ा था,बिल्कुल वैसा जैसा मेरे मन मंदिर में बसा है इतने सालों से..वही है..हां वही है।

मैं खुद को रोक नही पाई..गाड़ी से लगभग कूद कर उनके पास पहुँची

"ह..हैलो सर..मैं रेणु"

उन्होंने घूम कर देखा अब भी वही आकर्षण, मैं इसके बाद समझ नही पा रही थी क्या बोलू?

"ओह हेलो रेणु, कैसे हो? यहाँ कैसे"?

"बस सर कुछ काम से आई थी और आप"?

"यहाँ टीचर हूं"

"अरे वाह,आपकी वाइफ?"

"अनमैरिड टिल नाउ"विकास ने फीकी हंसी के साथ कहा

"ओह"

"हम्म, दरअसल उस दिन वो शादी तोड़ने के लिए ही मिलने आईं थी।

"ओह! सुनकर दुख हुआ सर.."

"दुख की बात नही, जो होता है अच्छा होता है..बाद में शादी नही चलती तो ज्यादा बुरा था"

"जी ये भी ठीक है"

मैं घर लौट आई थी पर आधा हिस्सा वहीं रह गया था, कॉलेज के गेट पर,रात को हिम्मत कर फिर मम्मी पापा से बात की..आपको शायद लगे कि जल्दबाजी है।पर इस बार मैं देर नही करने वाली थी।

पापा रिश्ता लेकर सीधे विकास के पास के घर पहुँच गए थे।पापा समझ गए थे मेरी दूसरी जिंदगी विकास के साथ ही शुरू होगी।

मैं नही जानती विकास ने इस पर कैसे रियेक्ट किया, उन्होंने मना किया या तुरन्त मान गए। लेकिन मंगनी से शादी के एक महीने के बीच उन्होंने काम के अलावा कोई एक्स्ट्रा बात मुझसे नही की।

मैं शादी होकर ससुराल आ गई थी।सब कुछ ठीक ही था लेकिन विकास ने अपने और मेरे बीच एक परत बना रखी थी।

मेरा ध्यान रखते,पर कभी लगाव या प्यार जताने की कोशिश भी नही करते।मैं समझ नही पा रही थी की कहाँ गलती कर रही हूं।

****

टैक्सी घर पहुँच गई थी..आंगन में पापा ने खूबसूरत झूले का इंतजाम किया था.. मेरी आँखें भर आईं।बैग ले मैं अंदर पहुंची। मम्मी पापा भावुक हो उठे।माँ ढेरो पकवान बनाये बैठी थी।

खा पीकर दोनों मुझसे लग कर बैठ गए।शायद मेरी नई जिंदगी के रंग देखना चाहते थे। मैंने दिखाए भी..भरपूर दिखाए..लेकिन सच तो मैं ही जानती थी।

रात को मैं बार बार फोन उठाती और रख देती.. फोन करके कहूंगी भी क्या?

बाहर झमाझम बारिश हो रही थी, सावन की पहली बारिश..अंदर से सब सूखा था।

तभी फोन रिंग बजी और तुरन्त कट गई।मैंने धड़कते दिल से देखा.. विकास की मिस्ड काल थी।

मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने कॉल बैक कर दिया।

"हैल्लो"उधर से धीर गम्भीर आवाज़ सुनाई दी।

"कॉल किया था"?

"हां..वो बस पूछना था की पहुंच गई "

"इतनी देर बाद"?

उधर से कोई आवाज़ नही आई

जाने कहाँ से थोड़ी सी बेशर्मी जुटाकर मैं पूछ बैठी

"मुझे याद किया आपने"?

हल्की सी हँसी के साथ जवाब आया"आज ही तो गई हो"

"लेकिन मैंने तो किया"

"रेणु"

इस बार अपना नाम उनके मुँह से सुनने में अलग ही कशिश थी

"हूं"मैंने अपने सुन्न होते शरीर को सम्भालकर बोला

"तुमने मुझसे शादी क्यों कि"?

"मतलब?ये बात आप फोन पर पूछ रहे हो"?

"तुम सामने होती हो तो कुछ बोल नही पाता"

"मैं शादी तो आपसे बहुत पहले करना चाहती थी..लेकिन.."

"पहले..पहले कब"?

"जब आपकी स्टूडेंट थी"

"क्याआआआ..?"

"जी उस दिन आपको इसलिए ही घर बुलाना था..लेकिन"

"ओह और मैं तब से समझ रहा था तुमने मुझपर तरस खाकर अपने माता पिता को भेजा रिश्ते के लिए"

"अरे तरस खाकर नही, लालच में.. कहीं इस बार भी ये लड़का मेरे हाथ से निकल जाए"

"36 साल का लड़का..?हा हा हा"

"जी बिल्कुल,पर शायद आप खुश नही हो शादी से"?

"सच बोलू तो दुखी भी नही हूं"

"फिर मेरे साथ ऐसा बर्ताव"?

"मैं असहज था उम्र को लेकर,तुम्हारे अहसान को लेकर"

"हाय रब्बा और मैं सोंचू की आप खुश नहीं"

"खुश तो मैं इतना हूं कि कल ससुराल आ रहा हूं"

"सच्ची"

"मुच्ची"

"लेकिन आप तो बोले थे.."

"अरे तीज पर लेने तो नही आ सकते..सावन में पत्नी से मिलने तो आ सकते है"

अगली सुबह मैं बेसब्री से इंतजार करने लगी।विकास आए मेरी फेवरेट शर्ट पहनकर..नाश्ता करने के बाद वो बाहर आंगन में झूले पर बैठ गए।

मैं बाहर गई, वो शरारत से मुस्कुरा कर बोले "बहुत खूबसूरत लग रही हो"

"पहली बार लग रही हूं"?

"नही हिम्मत पहली बार हुई कहने की"

विकास ने मेरा हाथ पकड़ मुझे झूले पर बिठाया।धीरे धीरे झुलाते हुए मेरे बालो पर हाथ फेरने लगे।


आज शादी को 11 साल हो गए, लेकिन शादी के बाद वो मेरा पहला सावन, वो फोन कॉल, वो छुअन ,वो बारिश आज भी यादों में ताजा है।




1 likes

Published By

rekha shishodia tomar

rekha

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sonia Madaan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Shaandaar rachna...Aise hi likhte rahe, hum padhte rahenge😊

Please Login or Create a free account to comment.