जीजी माँ

बहनों की प्यारी सी कहानी

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rekha shishodia tomar
rekha shishodia tomar 15 Jun, 2020 | 1 min read

"मम्मी लेकिन रीना तो अभी पिछले हफ्ते भी आई थी घर"

"बेटा अवनी तुम कहना क्या चाहती हो?"

"यही की आप लोग मेरे साथ पक्षपात करते हो"

"क्या कह रही हो ?"

"और नही तो क्या, जब से रीना की शादी हुई है बस हर समय उसी के आने जाने,उसके यहाँ क्या जाएगा कितना जाएगा यहीं बातें होती है"

"अवनी वो तुम्हारी छोटी बहन है, ये कैसे बात कर रही हो

उसके बारे में?"

"मैं जानती हूं वो मेरी छोटी बहन है और उससे बहुत प्यार भी करती हूं पर शिकायत आपसे है मुझे"

"कैसी शिकायत?"

"रीना की शादी के बाद किसी को ये होश नही की मेरे ससुराल में त्यौहार पर क्या होना है,पहले पापा फोन करके पूछते थे "बेटा क्या लेके आना है,कैसे देना है"

"अब बस आने से पहले फोन करेंगे कि मैं शाम तक पहुँच जाऊँगा"

"तो तुम क्या चाहती हो,तुम्हारी शादी को दस साल हो गए है अब तो हमे अच्छे से अंदाज हो गया कि क्या और कैसे करना है तुम्हारे यहाँ"

"फोन करके पिछले 2 -3 साल से नही पूछा फिर अभी क्यो इतना महसूस कर रही हो?"

"कम से कम एक बार फोन करके पूछ तो लेना चाहिए फिर भी"

"पर अब तो नई नई रिश्तेदारी ज्यादा प्यारी हो गई आप लोग को"

माँ ने कोई जवाब नही दिया और वहाँ से उठ गई।

रीना और अवनी दोनो सगी बहन है दोनो में 7 साल का अंतर है, अवनी की शादी 20 की उम्र में हो गई उसकी शादी को 10 साल हो चुके है

करीब एक साल पहले रीना की शादी हुई है,दोनो बहनों में असीम प्रेम है उम्र का अंतर होने के कारण अवनी के लिए रीना बच्चे की तरह ही रही हमेशा..पर अब उसकी शादी होने पर अवनी को कुछ बाते खटकने लगी है।

शाम को चहकती खिलखिलाती रीना पिता के साथ घर आती है,और अवनी को देखते ही लिपट जाती है

"ओ दीदी कितना मिस किया मैंने तुम्हें, सच्ची सबसे ज्यादा याद अपनी दीदी माँ की आई मुझे"

अवनी ने प्यार से माथा तो चूमा पर कुछ सहज नही हो पा रही थी।

"थैंक्यू सो मच पापा आप दीदी को ले आएं"

"अरे भाई ,बिटिया रानी का आदेश था कि मुझसे पहले दीदी मायके में होनी चाहिए तो कैसे ना लाता"

अवनी कुछ व्यंग में बोली"ओह तो तूने कहा था इसलिए मुझे बुलाया गया"

पर रीना तो इतने समय बाद मायके आने की खुशी में कुछ समझ ही नही पाई और बच्चो की तरह बोली

"और क्या आपके बिना मेरा मन कैसे लगता फिर"

"तो मैं क्या मन बहलाने की चीज़ हूं? अवनी अपनी नाराजगी पूरी तरह जताने की कोशिश में थी

पर रीना"अरे मन तो आपका मैं बहलाने आई हूं, ऐसी ऐसी चटपटी बातें सुनाऊँगी अपने मियां जी की और ससुराल की हंसते हंसते पेट दुख जाएगा आपका"

फिर आँख मारकर बोली"अब सब बातें माँ को थोड़े ना बता सकती हूं"

इतना कह रीना बैग ले कपड़े बदलने चली गई,और अवनी वो तो अभी वही थी की रीना के कहने पर मुझे बुलाया गया है।

शाम की खाना खाकर सब रीना की शादी की अलबम देखने लगे प्रि वेडिंग शूट देख अवनी बोली"हमारे तो ये सब शूट हुए ही नही बस सीधा शादी की फ़ोटो खिंची गई"

फिर कैंडिड फ़ोटो देख बोली"ऐसे पिक्चर कितने नेचुरल लगते हैं, मेरे तो वही बस दूल्हा दुल्हन बैठे है और रिश्तेदार खड़े है औऱ फ़ोटो लिए जा रहे है"

रीना बोली"अरे दी तब शर्माती दुल्हन में जो ग्रेस लगता था अब कहाँ वो बात है इसलिए ये सब चोंचले करने पड़ते है,फिर तब इन सबका चलन भी नही था..आपके टाइम के हिसाब से आपकी शादी की फोटोग्राफी सबसे एडवांस थी उस समय पूरी रिश्तेदारी और मोहल्ले में"..

"पर मेरा मेकअप भी घर पर हुआ था और तेरा 3D वाला "

"तो मेरे थोबड़े को ज्यादा जरूरत है मेकअप की,आप

तो आज भी बिना मेकअप गजब ढाती हो"

इस बात ने अवनी को शांत कर दिया क्योंकि ये बात बिल्कुल सच थी अवनी रीना से बेहद खूबसूरत थी और आज भी अपनी उम्र से सालो छोटी लगती थी।

रात को रीना को लैपटॉप लिए देख अवनी

पूछ बैठी"ये क्या कर रही है"?

"कुछ नही दी वर्क फ्रॉम होम,अभी नई नई शादी है तो जॉब नही करनी इसलिए घर से ही पैसे कमा रही हूं"

"हम्म पढ़े लिखे होने का ये तो फायदा है,मेरी तो शादी इतनी जल्दी कर दी कि पढ़ भी ना पाई"

"अरे दी जब पापा मम्मी ने पढ़ने को कहा तो तब आपको मॉडल बनना था,पढ़ाई खुद ही छोड़ दी थी आपने..फिर मॉडलिंग में भी बात नही बनी तो पापा ने शादी कर दी"

"शादी के बाद बहुत बोलने लगी है रीना, याद रख तेरी बड़ी बहन हूं मैं,कम से कम कुछ तो लिहाज़ कर मजाक उड़ाने से पहले"

"दी मैं मज़ाक नही उड़ा रही वो तो आपने बात छेड़ी तो ऐसे ही जनरल डिस्कशन कर रही थी"

"ठीक है ठीक है मैं जा रही हूं अपने कमरे में तू पैसे कमा"

"बैठो ना दी मेरे पास,बड़े दिनों से आपके हाथ की मालिश भी नही हुई सर में,और आपके हाथ की चाय"

"क्यों भाई मैं ससुराल में भी काम करू और यहाँ आकर भी ब्याहता बहन की सेवा,वाह जी वाह बहुत बढ़िया"

इतना कह अवनी तो बाहर निकल गई,पर देखती पीछे मुड़कर की कैसे रीना के मुस्कुराते चेहरे पर आंसुओ से भरी आँखे उसके वापस मुड़ने का इंतजार करती रह गई।

रात करीब पौने 12 बजे अवनी को कुछ खटर पटर की आवाज आई,

घबरा कर उसने धीरे से रूम का दरवाजा खोला

बाहर कुछ साये अंधेरे में इधर उधर छुपते हुए दिखे,डर से उसकी जान निकल गई..चोर है शायद ,क्या करूँ?

उसने फट से दरवाजा बंद कर अपने मम्मी,पापा और रीना को फोन लगाया पर किसी ने फोन नही उठाया।

कुछ सोचकर उसने अपने पति को फोन किया ,घबराहट में वो पुलिस को फोन ही नही मिला रही थी..

उधर से पति सुमित ने फोन उठाया"क्या हुआ इतनी रात में फोन क्यो किया?"

"लगता है घर मे चोर है"

"तो सबको जगाओ"

"कोई उठ ही नही रहा"

"बाहर आकर शोर मचाओ,सब जाग भी जायेंगे और शायद चोर भी भाग जाए"इतना कह कर सुमित हँस पड़ा

अवनी को कुछ गड़बड़ लगी वो बाहर निकली और जोर से चिल्लाई'कौन है घर मे"

अचानक पूरा हॉल जगमगा उठा और हैप्पी बर्थडे की आवाज से घर गूंज उठा

ओहहो आज तो मेरा बर्थडे है सोचकर अवनी मुस्कुरा उठी,सामने उसके पति,बेटा, मम्मी, पापा और रीना खड़े हुए था

सबने अवनी को विश किया,केक काटा गया

सब होने के बाद,रीना ने अवनी को सोफे पर बैठाया और खुद उसके पैरों के पास बैठ कर बोली"इस दिन की तैयारी पूरे साल से कर रही थी दी,ये रहा आपका तोहफा'

अवनी ने गिफ्ट खोला तो हैरान रह गई उसमे उसकी दादी का पुश्तैनी हार था जिसकी कीमत करीब डेढ़ लाख थी,वो मुँह खोले रीना को देख रही थी

रीना ,अवनी का हाथ पकड़ कर बोली"दी बहन भाई के साथ जुड़ी यादे केवल खेलने खाने तक ही होती है ज्यादातर पर आपसे मेरी कुछ दूसरी यादे भी जुड़ी है"

"माँ बताती थी कि आप पूरे दिन मुझे गोद से नही उतारते थे,यहाँ तक कि सुसु पोट्टी के लिए भी मम्मी को हाथ नही लगाने देते "

"अपने छोटे छोटे हाथों से मेरी निक्कर बदलना,सुसु पर पोंछा लगाना, कंघी करना,तेल मालिश सब कुछ करते"

"पड़ोसी आपको सत साला माँ कहते थे क्योंकि आप 7 साल की उम्र में एक माँ की तरह मेरा ध्यान रखती थी"

"मम्मी ने ये भी बताया कि कभी आपके हाथों मुझे चोट नही लगी,हर किसी की कोई ना कोई लापरवाही से कभी मैं बेड से गिरी कभी चेयर से पर आपने कभी मुझे गिरने नही दिया"

अवनी की आँखों से आँसूओ का दरिया बह निकला

था,

उसके सामने छोटी सी रीना सुसु में भीगी निक्कर पहने घूम रही थी और वो अपना हाथ बढ़ा निक्कर बदल रही थी कहीं छोटी को ठंड ना लग जाए...

तभी रीना बोली "मुझे पापा ने बता दिया था कि मेरी शादी में प्लेटिनम ज्वेलरी देने के लिए आपने दादी का दिया हार गिरवी रखा बस तभी से पैसे इकट्ठे कर रही थी,कुछ ऑनलाइन काम से कुछ मेरे पास शगुन के मिले पैसे थे और शादी से पहले जॉब की कुछ सेविंग"

"ये हार आपकी जान है दी इसे अपने पास रखो"

अवनी ने रीना को कस कर गले लगा लिया और बोली"मेरी जान तो तुझमे बसी है छोटी,इस हार के लिए तूने अपनी सेविंग निकाल ली और रात रात भर काम किया"

"नही दी हार के लिए नही,अपनी दी के लिए और हाँ उसकी हाथ की तेल मालिश और चाय के लिए"

ये सुन अवनी ने एक प्यार भरी चपत रीना के गाल पर मारी

"दी एक खुशखबरी और है,आप मासी बनने वाली हो और अगर बेटी हुई तो उसका नाम आपके नाम से रखूंगी 'अवंतिका'"

"अच्छा और अगर बेटा हुआ तो"

"तो घरवाले जो चाहे रख ले पर मैं उसे घर मे 'अवनु' कहूंगी"

इतना सुन सब खिलखिला कर हँस पड़े,माता पिता के चेहरे पर असीम सुकून था अपनी दोनो बेटियो को फिर से बचपन जीते हुए देखकर..

रेखा तोमर

मौलिक


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