पेल्विक पेन (3)

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rekha shishodia tomar
rekha shishodia tomar 19 May, 2020 | 1 min read

पेल्विक पेन कहिए या पेड़ू में दर्द, महिलाओ को होने वाला ये दर्द सामान्य जीवन को दूभर बना देता है।

ज्यादातर तो ये रुक रुक कर होता है, पर जब लगातार होने लगे तो बहुत ही कष्टदाई होता है।

शुरुआत में दर्द होने पर स्त्री घर के नुस्खे आजमाने लगती है जो कि बाद में बहुत ही नुकसान दायक अगर कोई भी महिला इस दर्द से जूझ रही है तो उसे तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए।

पैल्विक पेन को आप दो तरीको से समझ सकते है

एक्यूट पेल्विक पेन-  ये दर्द बीच बीच अचानक से पेड़ू में उठने लगता है। जिसे महिलाए कभी गैस का दर्द और कभी ठंड का दर्द मान लेती है।

सामान्य भाषा मे महिलाए कहती हैं कि पेड़ू में हूल उठ रही है

ये दर्द बॉवेल, ब्लैडर, या अपेंडिक्स की किसी समस्या के कारण या फिर वेजिनल इन्फेक्शन, पेल्विक इंफ्लामेशन,वजीनिटिस और सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के कारण हो सकता है।

क्रोनिक पेल्विक पेन- ये दर्द इंटरमिटेंट तरीके से अर्थात लगातार लेकिन रुक रुक कर होता है

पेल्विक दर्द के कारण

ब्रेन से जुड़े कारण

इर्रिटेशन के साथ नर्व्स की इंफ्लामेशन के कारण इंस्राइटिटोनियल क्षेत्रों के फाइब्रोसिस, ट्रामा, प्रेशर या सूजन हो सकती है, मसल्स कॉन्ट्रेक्शन, स्केलेटल और स्मूथ मसल्स में स्पाज्म

अन्य कारण

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी, पेल्विक इन्फ्लामेट्री डिसीज़, डिफ़ॉर्मड फेलोपियन टयूब, ओवेरियन सिस्ट, ओवेरियन सिस्ट रप्चर, एबॉर्शन या एबॉर्शन का खतरा, पथरी, यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन,

क्रोनिक पेल्विक पेन के कारण है

एंडोमेट्रियोसिस या पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम, मेंस्ट्रुअल क्रेम्पस, यूटेराइन फाइब्रॉइड्स, एंडोमेट्रियल पॉलीप्स, रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट कैंसर

पेल्विक दर्द के लक्षण

धीमे से शुरू होकर तेज दर्द होना, माइल्ड से सीवियर पेन, पीरियड्स के दौरान तेज क्रेम्पस के साथ पेन, सेक्स के दौरान दर्द, पेशाब के दौरान पेशाब करने पर दर्द,  मूत्र या मल में रक्त, हैवी या इररेगुलर मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग, सेक्स के दौरान ब्लीडिंग, डिप्रेशन जोकि ज्यादातर क्रोनिक पेन से जुड़ा होता है।

इलाज

दवाएं

फिजियोथेरेपी

मनोचिकित्सा

न्यूरोस्टिम्युलेशन

सर्जरी (Surgery)

जब दर्द बहुत पुराना और गम्भीर हो तथा दूसरे इलाज़ आराम ना दे तो सर्जरी का ऑप्शन अपनाया जाता है।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी

हिस्टेरेक्टोमी यानी गर्भाशय को हटाना

सल्क्सेक्टोमी यानी फेलोपियन ट्यूब को हटाना

ओओफोरेक्टॉमी यानी अंडाशय को हटाना

एक्यूपंक्चर- ऐसा देखा गया है की कुछ केसेस में एक्यूपंक्चर बहुत अच्छा असर दिखाता है,

इसे प्राकृतिक चिकित्सा के तौर पर देख सकते है।

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