नालायक औलाद

हमेशा जो दिखता है वो होता नही है

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rekha shishodia tomar
rekha shishodia tomar 07 Dec, 2019 | 1 min read

जरा सा गेट खुला था मैंने गैरइरादतन झाँका तो एक मरियल अजीब सी दिखने वाली महिला एकदम छुप गयी।।पता नही लड़की कहुँ या महिला,सही से देख नही पाई।। अभी इस कॉलोनी में शिफ्ट हुई हु,सबको नही जानती पर ये आंटी और इनका घर बड़ा रहस्यमय लगता है।।शायद दो ओरते रहती है इस घर मे,कभी किसी मर्द को नही देखा।।

कैसे खर्च चलाते है,क्योंकि जॉब की स्थिति तो दोनों में से किसी की नही लगती।।एक माँ और एक बेटी है शायद,माँ ही बाजार से सब्जी और दूसरा समान लाते हुए दिखती है,बेटी तो किसी को भी देखकर छुप जाती है।।हर समय शरीर का कोई न कोई अंग खुजलाती रहती है।।

"बेचारी,इससे तो बेऔलाद होना अच्छा" सामने से सामान ढोते हुए आंटी को आते देखकर बरबस सीमा जी मुह से निकला।।मैं खुद को रोक ना सकी और पूछ बैठी "दीदी कौन है ये उस दिन नए पड़ोसी होने के नाते मिलने गयी तो ये आंटी शायद थी नही और जो बाहर निकली वो देखकर अचानक से गायब हो गयी।।

तब पता चला कि उस घर मे ये आंटी और इनकी बेटी रहती है,बेटी की शादी की थी।।वहाँ ससुराल वालों के टार्चर से मानसिक स्थिति इतनी विगड़ी की वो लोग यहाँ पटक गए,तब से सबको देखकर डरती है।।बेटी हुई थी उसे ससुराल वालों ने बेच दिया।।खुद का पति किसी दूसरे शहर में काम ढूंढने गया और वही किसी से शादी करके रहने लगा।।एक बेटा है,बहुत अच्छी पोस्ट पर है ऑर्मी में लेकिन माँ बहन को यही छोड़ रखा है।।कुछ देता तो है नही हर महीने ऊपर के कमरों के किराए  लेकर चला जाता ह

मैंने पूछा, फिर खर्चा?"अरे वही तो समझ नही आता ये राशन कैसे लाती है?हो सकता है खाने के पैसे छोड़ देता हो।।मैंने वही खड़े खड़े लाखो बद्दुआए दे डाली उस लड़के को जिसे मैंने देखा तक नही।।"कैसी कमीनी ओलाद है"?

एक दिन मंदिर से आते हुए वही आंटी मिली,मुझे लगा मुझे भी सांत्वना देनी चाहिये।।मैंने उन्हें नमस्ते की,उन्होंने इतनी खुशदिली से जवाब दिया की मैं हैरान रह गयी।।मैंने आगे कहा आंटी क्या करते हो पूरे दिन कभी घर आयो।।वो बोली अरे आजकल तो पूरा दिन सेविये तोड़ते हुए निकल जाता है,मेरी बिट्टी को बहुत पसंद है।।

बिट्टी कौन"? मैंने पूछा "मेरी बहु है, उन्होंने चहकते हुए कहा।।आंटी ऐसे बहु बेटे के लिए इतनी मेहनत क्यो करते हो।।उन्होंने हैरानी से मुझे देखा और कहा"कैसे बहु बेटे"

फिर मुझे जो कहानी सुनाई गई थी मैंने ऐसी की ऐसी उन्हें बताई।।फिर पता लगा कहानी बिल्कुल उल्टी है।।ये सच था कि उनके पति दूसरी शादी करके रह रहे है कही ओर।।उनकी बेटी की ससुराल वाले बुरे लोग नही थे,मेरी नातिन को कुछ लोग घर के गेट से उठा ले गए।।ऐसा सदमा लगा कि ये गेट पर आने से ही डरने लगी,मेरे दामाद ने दुनिया भर घूम कर देखा कुछ फायदा नही हुआ,उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती चली गयी।।आखिरकार मैं बेटी को यहाँ ले आयी।

रही बात मेरे बेटे बहु की तो ऐसे बच्चे सबको मिले।।मेरा बेटा बड़ा अफसर है।।बहन का फ्री इलाज हो रहा है,जल्द ही मेरी बेटी नार्मल हो जाएगी,मेरा दामाद अपने परिवार को संभालते हुए अपनी पत्नी का इंतज़ार कर रहा है।।मेरा बेटा बहुत जिद कर चुका अपने पास रखने की लेकिन हम लोग नही जाते क्योंकि हमें शर्म आती है,उसके यहाँ बड़े बड़े लोग आते है।।मैं वहाँ खुद को फिट नही पाती, फिर बेटी की कंडीशन भी ऐसी नही।।

'बुरा नही है मेरा बेटा" लाखो में एक है।।हर महीने अलग से पैसे दे जाता है।।बहुत ध्यान रखता है हमारा।।

मैंने कहा "आंटी तो आप सबको बताती क्यो नही" क्या फायदा ,उन्होंने कहा।।आपके बेटे को मिलने वाली बद्दुआए कम हो जाएंगी।।

ऐसा है तो इस महीने चौकी रखती हूं माता की,सबको बुलाएंगी और मिलवाऊंगी हीरे जैसे बहु बेटे से,नाच नाच कर बताउंगी"बुरा नही है मेरा बेटा"

और मैं हैरान रह गयी कि कैसे लोग दूसरों के जीवन की फिल्मी कहानी खुद ही बना भी लेते है और सबको दिखा भी देते है।।जो जैसा दिखता है जरूरी नही वैसा हो भी।।।किसी के जीवनशैली को देखकर कोई धारणा न बनाये ना बनाने दे।।

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