संजीवनी बूटी से कम नहीं कोरोना वैक्सीन

कोरोना वैक्सीन पर संशय छोड़ इस महामारी के उन्मूलन में सरकार का साथ दें।

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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani' 30 Jan, 2021 | 1 min read

पिछला वर्ष 2020, पूर्ण रूप से कोविड-19 महामारी के नाम रहा। जिसने जान-माल से लेकर विश्व की आर्थिक व्यवस्था तक को चरमरा दिया। एक ऐसा अदृश्य वायरस जिसके सामने अमेरिका जैसे बड़े-बड़े शक्तिशाली देश ने भी घुटने टेक दिए। न कोई गोलबारी न कोई बंदूक, बस एक वायरस ने इंसानों के शरीरों में प्रवेश कर उन्हें काल के गाल में असमय पहुँचा दिया।इस वायरस ने लोगों के सामने रोजगार का संकट तक पैदा किया। कितने लोग भुखमरी के कगार पर पहुँच गये तो कितने ही मजदूर कई मीलों का रास्ता पैदल ही पार करने के कारण बीच रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

इतनी भयावह स्थिति के बीच विश्व भर के वैज्ञानिक इस महामारी से निजात पाने के लिए वैक्सीन बनाने के लिए जी तोड़ काम करने लगे। कई बार प्रयोग असफल भी रहे पर इन वैज्ञानिकों ने हिम्मत नहीं हारी। इसी बीच भारत के वैज्ञानिकों ने एक आशा की किरण दिखाई। अथक प्रयासों के बाद, कई परीक्षणों और ट्रायल के बाद कोविड वैक्सीन बना भारत ने समूचे विश्व को एक उम्मीद की किरण जगाई। 

जहाँ भारत सरकार इस बात से खुश है कि हमारे वैज्ञानिकों ने दिन-रात एक कर आम जनमानस को एक संजीवनी बूटी प्रदान की है तो दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियाँ इस पर भी राजनीति कर भोलीभाली जनता को बरगलाने का कार्य कर रहे हैं पर सभी भ्रांतियों को  

विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) ने यह कहकर चुप करा दिया कि भारत की बनाई दोनों वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन 100% सुरक्षित है। 

भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 16 जनवरी से काफी जद्दोजहद के बाद समस्त स्वास्थ्यकर्मियों को सभी पूर्वाग्रहों को तोड़ टीकाकरण की प्रकिया शुरू की। जिसमें डॉक्टर, नर्स और समस्त पैरामेडिकल स्टाफ ने टीकाकरण करवाया। प्रथम चरण में करीबतीन करोड़लोगों का टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया।

आम जनमानस में टीकाकरण को लेकर जो भ्रांतियां और अफवाह थी कि इस टीकाकरण के साइड इफेक्ट्स हैं। कई और बीमारी लग सकती हैं जैसा कुछ नहीं था। टीकाकरण के बाद सभी स्वास्थ्यकर्मी फिट हैं। किसे के जान की क्षति नहीं हुई।

जनता को समझाना होगा कि जो वैज्ञानिक कई प्रयोगों, परीक्षण, असफलताओं और अनेक प्रयास के बाद सम्पूर्ण विश्व में अपना लोहा मनवाकर वैक्सीन ला रहे हैं वह पूर्ण रूप से सुरक्षित होगी। भारत सरकार ने सर्वप्रथम यह वैक्सीन स्वास्थ्यकर्मियों को उपलब्ध कराई जिससे जनता को विश्वास जगे कि हमारे कोरोना वॉरियर्स की जान हमारे लिए महत्वपूर्ण है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन वैक्सीन को लेकर थोड़ा भी आशंकित होता तो वह कभी भी मानवों पर लगाने की मंजूरी न देता। पंद्रह दिन बीत जाने के बाद आज तक कोई भी कोविड वैक्सीन से नाकारात्मक केस नहीं आया है। आज इतने बड़े अभियान को देखकर अमेरिका, लंदन जैसे देश भारत की प्रशंसा कर रहे हैं और भारत की तरह उम्मीद भरी नजर से देख रहें है।भारत अपने देशवासियों के साथ साथ अपने छ: पड़ोसी देशों को भी मुफ्त में बड़ी संख्या में कोविड वैक्सीन्स पहुंचा रहा है। जनता के लिए भारत सरकार पर भरोसे का यह सबसे बड़ा परिणाम है कि पड़ोसी जैसे देश भी भारत से मदद की गुहार कर रहे है।भारतीय जनता को सरकार पर विश्वास करना होगा कि इस वैक्सीनेशन के कारण कोविड जैसे महामारी से ही निजात पाया जा सकता है। यह संजीवनी बूटी से कम नहीं है। एक बार टीकाकरण होने के पश्चात इस महामारी से मुक्त हुआ जा सकता है।

अतः हम भारतीयों को अपनी स्वदेशी कोविड वैक्सीन पर विश्वास कर भारत को विश्व के प्रथम पायदान पर लाकर खड़ा करना है। हमें अपनी सरकार के प्रति विश्वास रखना होगा जिससे विश्व के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत हो सके। हमारे वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों को उत्साह-प्रोत्साहन मिल सके। हमारा देश चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी हो सके और यह तभी संभव है जब हम सरकार की इस योजना में संशय न करके सहयोग व विश्वास करें।

धन्यवाद

राधा गुप्ता 'वृन्दावनी'








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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'

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