पति की पीड़ा

पत्नी द्वारा प्रताड़ित एक पति की मार्मिक पीड़ा कविता के रूप में

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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani' 01 Sep, 2020 | 1 min read
#Husband #husbandwiferelationship

मनोरंजन नहीं हूँ कि जब मन आया जज्बातों से खेल लिया।

देखो मेरे दिल को पीड़ा से भरा हुआ यूँ तड़पता छोड़ दिया।

घर-परिवार की खातिर दिन और रात भूखा-प्यासा दौड़ता हूँ।

बेबसी मजबूरी छुपा अंदर से टूटा पर बाहर से मुस्कुराता हूँ।।

सोचा था तू मेरे दुखते दिल को प्यार की मरहम से सहलाओगी।

कभी माँ कभी प्रेमिका बन दुख दर्द से नजरंदाज करवाओगी।।

जीवन की संगिनी थी तुम मेरे जीवन की आधा हिस्सा थी तुम।

पर क्या पता मुझे मनोरंजन का मात्र साधन समझती रहीं तुम।।

जब जी आया मुझे दुत्कार दिया जब मन आया हाथ उठा दिया।

लाचार मैं भी हो सकता हूँ यह विचारे बिना झाडू़ उठा लिया।।

क्यों करती हो श्रृंगार ये माँग ये बिछुऐ ये करवा चौथ का ढोंग।

कैसे मेरे बिना संवरोगी,जियोगी-हँसोगी कैसे भोगोगी ये भोग।।

पति हूँ तेरा छत्रछाया हूँ मान हूँ सम्मान हूँ और प्यार हूँ तेरा।

तू कभी मेरे दिल में रूह में उतर के देख मैं ही संसार हूँ तेरा।।

छोड़ दे यूँ हर बात पर जलील कर मुझसे बदसलूकी करना।

चला जाऊँगा इतनी दूर कि फिर कभी मत रोना और तड़पना।।

धन्यवाद

राधा गुप्ता पटवारी

स्वरचित व मौलिक




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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'

radhag764n

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