प्रेम इबादत

प्रेम इबादत का दूसरा स्वरूप है...मेरी कविता

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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani' 21 Dec, 2020 | 1 min read
#love

प्रेम सदा से निश्छल-निस्वार्थ रहा।

अमृत बिंदु का प्रति भाग रहा।

बदला जहाँ सारा पर प्रेम-प्राणाधार रहा।

कभी राधा की पायल में,कहीं मीरा की सरगम सा

कहीं कान्हा की मुरली से रसधार सा बहता

अंश परमात्मा का है जो न कोई कामना से भरा

न प्रेम बदला है न ही रीत बदली है

बदला हो जमाना चाहें सारा।

न तो प्रेम तुलता है न ही मोल बिकता है।

न ही हारता है,न ही ये जीत की बाजी

प्रेमी की हर खुशी की खातिर जान ही बार दी सारी।

कहानी कुर्बानी की कहते हैं चाहें हीर-राझें हों,

या फिर रहे हों लैला-मजनूँ से आशिक।

इबादत की निशानी है यह खुदा की अद्भुत जुबानी है।

यह है भावों से भरपूर यह समर्पण कहानी है।


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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'

radhag764n

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