#IWorshipYou वो मेरे में समाहित है।

मेरी आस्था मेरी पूजा

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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani' 25 Jun, 2020 | 1 min read

आस्था,विश्वास,ईश्वर,आशावादी..विचारकों के लिए इसके अर्थ भिन्न हो सकते हैं पर यह मेरे लिए एक ही शब्द हैं।धार्मिक होना मेरे रग-रग में समाहित है।मैं उस शहर से आती हूँ जहाँ पूर्णावतार भगवान कृष्ण ने अपनी लीला की।वह भूमि है पवित्र वृंदावन।

वृंदावन की बेटी होने के कारण शुरू से ही पूजा-पाठ में रूचि रही।मुझे वृंदावन की एक खासियत बहुत पसंद है वह ये कि ईश्वर को अपने घर का सदस्य मानना।उनसे एक रिश्ता जोड़ना।चाहें वह रिश्ता भाई का हो या पिता का या अन्य कोई रिश्ता।

जिस रिश्ते की कमी हमें अपने जीवन में बहुत खलती हो,वह ईश्वर से बनाते हैं।घर का सदस्य मानने के कारण हम ईश्वर से लड़ भी लेते हैं,शिकायत भी करते हैं,,,रोते हैं,हँसते हैं और तो और गुस्सा भी करते हैंं।

मैं बहुत ही आशावादी इंसान हूँ।कई बार हमारे मन का नहीं होता है। जो हम चाहते हैं वह नहीं मिलता फिर मैं यही बात सोचती हूँ हम सिर्फ़ आज का देख रहे हैं पर वह ईश्वर दूर की देख रहा है इसलिए वह वस्तु हमको नहीं मिली।यह भी हो सकता है वह वस्तु हमारे लिए हितकर नहीं हो या उस वस्तु को हमसे ज्यादा किसी और की जरुरत की हो।

मुझे बाँके बिहारी जी पर बहुत आस्था है।जब खुद को स्वस्थ देखती हूँ तब ईश्वर को धन्यवाद देती हूँ।मेरा यह व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि आस्थावाद ही आशावाद है।

पूजा या प्रार्थना करते हुए अगर हम निराशावादी या नाकारात्मक से घिर रहे हैंं उस स्थिति में आपको ईश्वर को ध्याना व्यर्थ ही है।

दुख में दुखी,तनाव,अवसाद,निराशा एक स्वाभाविक प्रक्रिया है पर उस स्थिति में भी ईश्वर में विश्वास बनाये रखना ही आशावाद या आस्था है।

ईश्वरीय शक्ति आपको निराशा से उबारने में सक्षम है।प्रार्थना में वह दिव्य शक्ति है जो नामुमकिन को भी मुमकिन कर दे। ईश्वरीय वह शक्ति जो एक ओर अखिल ब्रह्मांड को चला रहा है तो दूसरी ओर एक छोटी चींटी का भी ध्यान है।

मेरा व्यक्तिगत मानना है ईश्वरीय उपासना, पूजा,आरती, श्रृंगार, भजन-कीर्तन पूजा उपासना के कर्म हैं,पूजा नहीं।ईश्वरीय पूजा वह है जिसमें हमारे प्रत्येक कर्म में ईश्वर को समर्पित हों।

ईश्वरीय सत्ता अनंत है।यह देश,काल,समय,कर्म,वचन, बुद्धि, मन,शरीर से परे है।इसका न कोई ओर है न ही कोई छोर।हम ईश्वर को सिर्फ़ ध्यान,चिंतन-मनन से अपना सकते हैं।

सर्वप्रथम हमें आशावादी बनना है।आशावादी बनते ही हमें मुश्किलों से लड़ने का हौंसला मिलता है।तब ही हमें जीवन का वास्तविक अर्थ समझ आ जायेगा।स्वयं को ऊपर उठाने की प्रक्रिया ही पूजा है।

राधे राधे

धन्यवाद

स्वरचित,मौलिक व अप्रकाशित














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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'

radhag764n

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