महाशक्ति व विश्वगुरु का समन्वय नवीन भारत

आत्मनिर्भर,आधुनिक,विश्वगुरू, महाशक्ति भारत

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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'
Radha Gupta Patwari 'Vrindavani' 30 Jul, 2020 | 1 min read
#selfdepend #Superpower #vishvaguru #makeinindia #India

शैली-संवाद

दो दोस्त-चीन और भारत


भारत- दोस्त,हम दोनों विश्व की उभरती हुई महाशक्ति हैं।हैंं न?

चीन-कौन तुम? तुम नहीं केवल मैं।अमेरिका के बाद जो महाशक्ति बनके जो उभरा है वह मैं ही हूँ।सिर्फ़ मैं।

भारत-नहीं दोस्त, सिर्फ़ तुम नहीं हम बोलो।

चीन-अच्छा! वो कैसे?ऐसा कौन सा कमाल किया है तुमने जो महाशक्ति बनने चले।

भारत-भाई, मैं हमेशा विश्व का भला चाहता हूँ।हमारी अवधारणा रही है 'वसुधैव कुटुम्बकम' की।मैं भारत चाहता हूँ मैं तो आगे बढूँ हीं साथ ही विश्व के सभी देश आगे बढ़े,वो भी हमारे भाई-बहन हैं।

चीन(आश्चर्य से)-...तो तुम्हारे देश में ही आपस में सभी क्यों झगड़ते हैं।इतना ही प्यार है तो?

भारत(सौम्यता से)-भाई एक बात बताओ जिस घर में पाँच-छः बच्चे हों तो क्या वो लड़ेंगे नहीं।बस यही हमारे घर भारत में होता है।लड़ते हैं फिर एक हो जाते हैं पर हम किसी के घर घुसकर ऊधम नहीं करते।

चीन(झेंपते हुए)-कहना क्या चाहते हो साफ-साफ कहो।

भारत-साफ शब्दों में ये कि गलवान और डोकलाम में जबरदस्ती घुसपैठ नहीं करते और हम किसी की घुसपैठ सहन भी नहीं करते हैं।

चीन(बात टालने के अंदाज से)-मेरी जनसंख्या तुमसे ज्यादा है।मैं तकनीकी रूप से तुमसे बेहतर हूँ।विश्व में मेरे बहुत सारे एप्स हैं,जो सभी के मोबाइल में उपलब्ध हैं।मेरी सेना दुनिया की सशक्त सेना में है।हमारे पास काफी पर्याप्त संसाधन हैं।तुम ही देख लो,मेरे बनाये देश की हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी वस्तुऐं तुम्हारे देश में हम बेचते हैं।तुम्हारे यहां के लोग मेड इन चाइना की वस्तुऐं इस्तेमाल करते हैं।

भारत(गंभीर मुद्रा में)-मैं सन् 1947 में आजद हुए।मैंने देश के तीन टुकड़े होने का दर्द झेला।अंग्रेजों के जाने के बाद भारत की जनता को उनकी मुख्य आवश्यकता भोजन, घर, आवास की सुविधा देना फिर उनको नैतिक बल देना,शिक्षित करना।उनको मौलिक अधिकारों के ज्ञान की शिक्षा दी।

चीन(व्यंग्य में)-इसमें कौन सी नई बात है वो तो मैं भी करता हूँ।

भारत-भाई!बहुत फर्क है हम दोनों में।मैंने अपनी सेना मजबूत करने पर ध्यान दिया।आज मेरे पास विश्व के बेहतरी लड़ाकू विमान,मिग, मिशाइल,टैंक,पनडुब्बी,सबमरीन,अत्याधुनिक हथियार हैं।मेरे जवान विश्व के सर्वश्रेष्ठ जवानों में गिने जाते हैं जो कि जल,थल,नभ में भारत की सीमा पर रक्षक की तरह खड़े हैं।

चीन(हँसते हुए)-अच्छा!और क्या बेहतर कर लिया?

भारत भी हँसते हुए-तुम्हारे द्वारा विश्व को दिए गये कोरोना वाइरस के लिए मैं ही विश्व को हाइड्रोक्लोरोक्साइड की दवा सबको दे रहा हूँ।आज पूरे विश्व में तुम्हारी कितनी किरकिरी हो रही है।याद है तुम्हारे 59 एप्स को मैंने एक झटके से अपने सभी मोबाइल से हटा दिया।यह मेरी ताकत ही है।

चीन-और मेड इन चाइना?

भारत(उम्मीद भरी मुस्कान से)-अब मैं आत्मनिर्भर भारत बनने की तरफ अग्रसर हूँ।मैं हथकरघा, हस्तशिल्प, छोटे उद्योग-धंधों के साथ बड़े-बड़े उद्योग धंधों पर निवेश कर रहा हूँ जिससे भारतीयों अपने देश में रोजगार मिल सके और उन्हें अपने देश की निर्मित सस्ती व टिकाऊ वस्तुएं मिल सकें।भाई,तुम सस्ती वस्तुएं जरूर बनाते हो पर उसमें टिकाऊपन और गुणवत्ता का अभाव रहता है।तुम्हारी वस्तुओं की कोई गारंटी-वारंटी नहीं होती।

चीन(गुस्से से)-तुम समझ रहे हो किससे बात कर रहे हो?

भारत (गर्व से)-जानता हूँ उसी चीन से जिसे मैंने अपनी सीमा में कब्जा नहीं करने दिया।उस चीन से जिसके एप्स अपने मोबाइल से हटा दिए।याद रखना अब भारत बदल गया है।हम शांति जरूर चाहते हैं पर अपने पर ज्यादती बर्दाश्त करके नहीं।हम सबको गले लगाते हैं पर धोखेबाज को छोड़ते भी नहीं हैं।भारत को सिर्फ़ महाशक्ति नहीं बनना बल्कि महाशक्ति के साथ-साथ विश्वगुरू भी बनना है।भाई जाते जाते एक और बात भारत 'वसुधैव कुटुम्बकम"की अवधारणा को सदियों से मानता आया है।आज भी तुम्हारे लिए भाईचारा का रास्ता खुला है वरना बंदूक तो हम भी ताने खड़े हैं।

नये भारत के नये जोश में लबरेज़ देखकर चीन अचंभित होकर देखता रह गया।

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित

धन्यवाद

राधा गुप्ता पटवारी















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Radha Gupta Patwari 'Vrindavani'

radhag764n

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