बढ़ते कदम
कदम अपने आप बेहिसाब बढ़ते चले गए, मानों मंजिल मुसाफिर को पुकारती हो। न धूप देखी,न बरसात देखी,न ही थकान, बस एक बार मंजिल हासिल हो जाए, तो बस इस दिल के अरमां पूरे हो जाऐं।।

Paperwiff

by radhag764n

06 Dec, 2020

#बढ़तेकदम

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