परमिशन!!

पार्टनर के अधिकारों की सुरक्षा एक अच्छे पार्टनर होने का प्रमाण है, बात सही ग़लत की हो तो निष्पक्ष होना चाहिए।

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Rachana Rajpurohit
Rachana Rajpurohit 05 Dec, 2020 | 1 min read

"दीपाली तुम अभी मायके नहीं जा सकती, अभी 3 महीने पहले भी गई थी ना."

दीपाली- "पर माँ वो तो मेरा एग्जाम था और शाम तक तो वापस लौट आयी थी. 1 घंटे का तो रास्ता है मैं कल तक आ जाऊँगी. वो मम्मी को कुछ जरूरी हेल्थटेस्ट करवाने है, भाई तो बहुत दूर हॉस्टल रहता है और पापा भी एक हफ्ते के लिए टूर पर हैं तो,उन्होंने मुझे पूछा तो मना नहीं कर पाई,जाने दो ना माँ प्लीज़."

सास-"जब बिना कुछ पूछे फैसला कर ही लिया तो अब क्यों नाटक करती हो पूछने का. मैं कुछ नहीं जानती,पूछ ले अपने पति से. भई मैं क्यों मना करूँ जिसकी बीवी वो जाने. गगन मानें तो चली जा,वैसे भी सब अपनी मर्जी के मालिक हैं."

"देखो गगन ,बीवी को प्यार करना चाहिए लेकिन इतनी आज़ादी? बिना पूछे वहाँ जाने का वादा कर दिया,कल को तुम्हें ही नहीं गिनेगी.साफ मना कर दो,ताकि अगली बार खुद निर्णय लेने से पहले 2 बार सोचे.वैसे भी इतना पैसा है, उन लोगों के पास.गाड़ी है, ड्राइवर है.चली जाएंगी बच्ची थोड़े है तेरी सास.वैसे भी चेकअप डॉक्टर करेंगे दीपाली थोड़े डॉक्टर है.

गगन-"पर माँ,उसकी मां के टेस्ट करवाते समय कोई अपना भी साथ रहे तो अच्छा रहेगा.उम्र हो गई है उनकी और फिर वो उनकी संतान है, उसका कर्तव्य है ये मैं कैसे रोक सकता हूँ।

सास- "ओह तो महारानी ने पहले ही तैयार कर लिया तुझे सब.बड़ी चालाक लड़की है ये.मैंने ये कह कर मना कर दिया कि तुझसे पूछ ले, अब तू उसे ना कह दे.

गगन-" जब फैसला आप को ही करना है तो आप ही मना कर देती. जब मेरी सुनना ही नहीं है तोरमिशन की बात क्यों ?

सास-"ताकि उसे पता चले कि शादी के बाद जीवन साथी ही सब कुछ होता है. उसका हुकुम सर आँखों पर,बाकी रिश्ते बाद में आते हैं, फिर वो चाहे कोई भी हो.

सारे दिन अपने माँ पापा की चिंता में ही लगी रहती है ,तेरी और हमारी कद्र ही नहीं है.मैं क्यों बुरी बनूं, तू ही समझा दे उसे.फिर तुम्हारे परमिशन बिना ही सारे काम होंगे, ऐसा थोड़े चलता है, साथी की रजामंदी होनी चाहिए।

गगन समझ गया कि क्या करना चाहिए और उसने दीपाली को समझाया कि, "बेकार बखेड़ा मत खड़ा करो तुम मायके नहीं जा रही हो.मेरे दोस्त की बीवी की गोद भराई है, वहाँ जाना ज्यादा जरूरी है तैयार हो जाओ और हाँ भारी साड़ी पहनना.

दीपाली बहुत उदास हो गई, उसकी मां के पास जाने पर इतनी पाबंदी लगा दी. मैं सहन नहीं करूंगी पर गगन के मन में कुछ और ही था.सास ने सोचा कि मायके जाने से अच्छा गगन के साथ पार्टी में भेज दूँ. अकड़ निकल जाएगी इसकी , इसे भी पता चले कि मेरा बेटा अभी भी मेरा ही है.

गगन और दीपाली चले गए. दीपाली गाड़ी में उदास बैठी हुई थी, अचानक बोली," अरे गगन ये रास्ता तो...."मम्मी को डॉक्टर के पास ले जाना है ना,गगन मुस्कुराते हुए बोला. दीपाली की आँखों से आँसू बहने लगे.

रोओ मत "अब थोड़ा सा झूठ एक माँ से बोला ताकि उन दोनों माँओं का सम्मान बना रहे प्रेम और कृतज्ञता के.घर पहुंच कर दीपाली ने अपना सूट पहना ,फिर तीनों डॉक्टर के पास पहुंचे. गगन पूरे समय वहीं रहा,दीपाली को ये सब बहुत अच्छा लगा.उसे उनकी समझदारी पर गर्व महसूस हुआ।

कुछ ही दिन बीते गगन की 2-3 दिन की छुट्टियां थी तो सास ने कहा, "थोड़े दिन बाद तो 2-3 दिन तेरी छुट्टी है ना.तेरे पापा को अहमदाबाद ले जाना ,वहाँ अच्छे डॉक्टर हैं.उनको काफी तकलीफ होती है घुटनों में.

गगन,"नहीं माँ मैं और दीपाली आगरा जा रहे हैं. आप चली जाओ ना,मैं टिकट बुक करा दूँगा.

सास,"अकेले कैसे जाये, कोई साथ ज़रूरी है,तू आगरा फिर कभी चले जाना. गगन,"ठीक है माँ मैं दीपाली को पूछता हूँ ,हमारी सारी प्लानिंग हो गई है देखता हूँ अगर वो मान गई तो ठीक है.

सास-"अरे उसको क्या पूछना, तेरे पापा का इलाज ज़रूरी है कि घूमना फिरना,वो तो बाद में भी हो सकता है और वो कौन होती है तुझे आर्डर देने वाली? तुझे क्या उससे परमिशन लेनी पड़ती है.

गगन-",हाँ माँ वो मेरी जीवनसाथी है, उसकी मर्ज़ी भी ज़रूरी है और आपने ही कहा था ना कि शादी के बाद जीवन साथी ही सब कुछ होता है. बाकी रिश्ते बाद में आते हैं. फिर वो चाहे कोई भी हो.तो वो जो कहेगी करना ही पड़ेगा.

दीपाली को तो पता भी नहीं चला कि क्या बातें हो रही हैं, पर गगन ने अंदर आ कर उससे कहा कि मां अगर कुछ पूछे तो कहना कि, "हाँ मैंने ही उनको परमिशन नहीं दी.

माँ के कमरे में घुसते हुए गगन ने कहा "माँ दीपाली ने मना कर दिया कि जिस तरह मैं उसका पति हूँ, वो भी तो मेरी जीवनसाथी है उससे बढ़ कर कोई नहीं चाहे मेरे माँ बाप ही क्यों न हो.फिर आप दोनों कोई बच्चे थोड़ी हो,जो साथ कि ज़रूरत पड़े. पैसा भी बहुत है आप के पास तो अपनों का साथ चलना क्यों ज़रूरी है डॉक्टर करेगा चेकअप, मुझे थोड़े करना है. दीपाली भी वहीँ आ खड़ी हुई.

माँ को कुछ दिन पहले कही अपनी बातों का ध्यान आया कि उन्होंने भी तो दीपाली की मां के लिए यही सब कुछ कहा था. उन्होंने दीपाली का हाथ पकड़ लिया और कहा, "मुझे माफ़ करना बेटा ,अब मैं समझी गगन ऐसा क्यों कर रहा है, बहु तू तो ऐसी नहीं है ना, ये तो गगन का ही ड्रामा है. अब मैं समझ गई.

बहु के माँ बाप का भी अपनी औलाद पर उतना ही हक़ होता जितना बेटे के माँ बाप का. शादी के बाद बेटी की ज़िम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती.मुझे माफ़ करना बहु, मैं स्वार्थी हो गई थी.

दिपाली को कुछ समझ नहीं आ रहा था "मां आप क्या कह रही हो ,मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, कैसा घूमना क्या परमिशन ,कोई मुझे बताएगा।?

गगन मुस्कुरा रहा था, मां समझ गई थी गलती कहाँ हुई



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Rachana Rajpurohit

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