Rachana Rajpurohit

rachanarajpurohit

मेरे शब्द मेरी कल्पनाओं को भावों को साकार करते हैं।

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अभिव्यक्ति!!
❤️❤️❤️ तुम से बात करते हुए , मैं बस तुमसे बात नहीं करती हूं,मैं ख़ुद को अभिव्यक्त करती हूं, जैसे आईने के सामने खड़ी हूँ और कह रही हूं ,वो बातें जो मुझसे जुड़ी है मुझसे उपजी, जिनमें सिर्फ़ मैं हूँ, उन्हें तुम तक पहुँचाते हुए लगता है कि जैसे अनमोल मोतियों को फ़िर से सीपों में जमा रहीं हूँ, डरती हूँ दुनियादारी की रगड़ से कहीं इन मोतियों की चमक कम न हो जाये, इन मोतियों की चमक ही तो मुझे भीतर से रोशन रखती है। मेरे भीतर चुपचाप बैठी मैं,, तुम्हारे सामने मुखर हो उठती हूँ। मैंने अपनी रोशनी तुम्हारे भीतर जमा करना तभी शुरू कर दिया था ,जब मैंने तुम्हारे भीतर के विस्तार को नाप लिया था, अब मैं ख़ुद को वहाँ भरने लगी हूँ ताकि कहीं से भी संकुचन महसूस न हो मैं उस विस्तार में नदी सी अनवरत बहती रह सकूँ जीवित रह सकूँ तुम्हारे भीतर ,सीपों में सुरक्षित मोतियों की तरह ,उज्ज्वल ,रोशन, बेफ़िक्र, बेदाग़!!

Paperwiff

by rachanarajpurohit

मेरी बातें।

05 Dec, 2020