धरती मां

My thoughts on this environment day

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AnveshaRathi
AnveshaRathi 05 Jun, 2022 | 1 min read

हम अपनी धरा से कुछ इस तरह जुड़े हैं-2 कि प्राचीन काल से ही उसे पूज रहे हैं।

सौभाग्य है हमारा हम उस धरा पर जन्मे हैं-2 जहां नदियां, पर्वत, पश- पक्षी सभी जाते रहे हैं पूजा। कभी आंवला नवमी कभी गंगा दशहरा तो कभी वट सावित्री; हमारे पूर्वज इन त्योहारों के बहाने पर्यावरण का महत्व बताते रहे हैं ।

लेकिन हम वह नादान है जो बस मस्ती मजाक में ही समय बिताते रहे हैं

ऐसे ही नहीं उन्होंने इसे संजोकर रखने का भरसर प्रयास किया, जानते थे-2 कि एक समय आएगा जब इन सांसों का सौदा भी करना पड़ेगा।

यूं ही नहीं हमारे वेद पुराण इस धरा को माता कहने का साक्ष्य देते, अनेकों अमूल्य भंडारों से भरी है नहीं करती शिकायत यह क्यों बर्बाद है कर देते हम-2।

अब बारी हमारी है इस अनमोल धरोहर को आगे संभालने की ,पर आज नई सोच या यूं कहूं पाश्चात्य विचारधारा हो रही भारी इस सब पर।

इस तरक्की की होड़ में हमें न जाने चांद पर जाने की क्या ही जल्दी, क्यों मेट्रो सिटी बसाने की आज आन पड़ी है।

हमारे गांव, जंगल, खेत- खलियान जो बर्बाद कर रहे, हम गांव को शहर बनाते ही चले गए ।लघु और कुटीर उद्योगों को मिटाते चले गए ।और अब हैरानी इस बात की है-2 कि आज बच्चों को होलीडे होमवर्क में इसे बचाने के तरीके पूछ रहे; क्या बताएंगे वह नादान क्या देखा और क्या महसूस किया है उन्होंने इसे पहले?

घर का सादा शुद्ध भोजन अब चिप्स, बर्गर, पिज़्ज़ा हो गया

मिट्टी के बर्तन में पक्का खाना न जाने कब प्लास्टिक रेप हो गया

आंगन में बिछी खटिया अब लुप्त हो गई ,

मेरे बिल्डिंग के ए सी से शुद्ध हवा भी अब दूषित हो गई ,अब और नहीं रोक लूं मैं किसी और को ना सही खुद को ही-2


धन्यवाद

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AnveshaRathi

priyankarathi

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