सब्र

इंतजार उसके ख़त का

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 20 Dec, 2020 | 1 min read

** हैरान हूं मैं अपने सब्र का पैमाना देख कर ,

उसने याद नहीं किया , मैंने इन्तज़ार नहीं छोडा़ **


मुझे आस है , विश्वास है वो आएगा , किए थे जो वादे मुझसे वो निभाएगा ।

कह कर गया है वो , जा रहा हूं सीमा पर झण्डा फहराने देश का ,

देश की आन - बान - शान बढा़ऊंगा , भारत मां की लाज बचाऊंगा ।

 लिखती रहना खत मुझको , जवाब में तुझको अपने होने का अहसास दिलाऊंगा ।


 लौट कर आऊंगा जब तो चांद-तारों से तेरी मांग सजाऊंगा ।

लिखें ख़त कई , कई भेजे तार , बीते दिन, बीती सदियां , बीते कई साल ।

अभी भी कर रही हूं उसके जवाब का इंतजार , कहते हैं ये दुनिया वाले ,

शहीद हो गया वो प्यार मेरा था जो ,देश की मिट्टी की खातिर ,

 लेकिन रहेगा आखिरी सांस तक मुझे उसका इंतज़ार ।


ग़र ना आया दिलबर मेरा तो कोई ग़म नहीं, रहे ना रहे हम ,

जि़न्दा रहे देश हमारा , इस जन्म ग़र ना मिल पाए तो लेंगे जन्म दुबारा,

मिलेंगे फिर हम , होगा खत्म हमारा इंतजार ।

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Prem Bajaj

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