होम केयर सर्विस बनाम कोठा

काम के बदले ज़िल्लत

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 14 Oct, 2020 | 1 min read

होम केयर सर्विस बनाम कोठा

होम केयर सर्विस आजकल बहुत प्रचलन में है , छोटे-छोटे गांवों से लड़कियों को लाकर इन्हें काम दिलाने के लिए बड़े - बड़े शहरों के इन सैंटर में छोड़ देते हैं और बदले में अपनी कमिशन ले लेते हैं ।

आज के समय में सभी को 24 घण्टे घर में बाई चाहिए जो लोकल मुश्किल से मिलती है , कोई औरत हो तो घर- परिवार छोड़कर नहीं रह सकती , और अपनी लड़की को लोकल डे- नाईट भी नहीं अपने से दूर छोड़ सकती ।

इसलिए ऐसे सर्विस सैंटर से लोग लड़कियां मंगवा कर 24 घण्टे अपने पास रख लेते हैं , जिसके बदले उन्हें इन सैंटर वालो को

एक मोटी रकम देनी होती है ‌, उसके बावजूद भी ये सैंटर वाले तीन महीने की पगार उस लड़की की रखते हैं जिसे काम पर भेजा जाता है ।  11 महीने का कांट्रेक्ट और जिसमें से तीन महीने की तनख्वाह अगर ये सैंटर वाले लेते हैं तो सोचिए उस मेहनतकश बच्ची के हाथों में क्या आएगा , जबकि उनकी तनख्वाह 5 से 8 या कहीं ज्यादा से ज्यादा 10 हजार रुपए ही होती है , क्योंकि देने वाला भी सोचता है कि कितना दे , एक मोटी रकम तो सैंटर वाले ही ले लेते हैं ।

और कहीं पर तो 8 महीने की तनख्वाह भी आफिस वाले ही लेते हैं ये कह कर कि लड़की के घर भेजेंगे , जबकि उसके घर एक भी पैसा नही भेजा जाता । एक बार 11 महीने का कांट्रेक्ट खत्म होने पर जब लड़की की फिर से कांट्रेक्ट बनता है तो फिर से कमीशन और फिर से उसकी तीन महीने की तनख्वाह सैंटर वाले लेते हैं ।

यहां तक तो ठीक कहीं पर तो जब लड़की अपना पैसा मांगती है ,तो उसे प्रताड़ित किया जाता है , मारा- पीटा जाता है ।     जब तक कहीं काम नहीं मिलता ये लड़कियां आफिस में ही रहती है , कुछ लोग तो इनका यौन - शोषण भी करते हैं । मना करने पर इन्हें मारा जाता है । गांव से पैसा कमाने आई , अपने घर की भूख मिटाने आई लड़की ना तो खाली हाथ वापिस जा सकती है , ना इनकी मार बर्दाश्त होती है , आखिरकार कोई तो झुक जाती है बिस्तर की शोभा बनने के लिए मजबूर हो जाती है और कोई मौका देख भाग निकलती है ।

सोचिए जो भाग निकली उसका भी क्या ठिकाना , ना जाने अपने गंतव्य तक पहुंची या नहीं या कहीं रास्ते में ही कुछ अनहोनी हो गई , तो कौन जिम्मेदार है उस अनहोनी घटना का ???   कभी - कभी तो जो बात ना माने उसे कोठे पर बैठाने की धमकी भी दी जाती है ।

हम ये नहीं कहते कि सब सैंटर एक जैसे हैं कुछ अच्छे भी हैं जो लड़कियों को अपनी बच्ची समान रखते हैं , जहां काम के लिए भेजा जाता है , वहां भी उनके साथ कुछ ग़लत ना है इसका भी ध्यान रखते हैं ।

लेकिन कहते हैं ना एक मछली सारे तालाब को गन्दा करती है , अगर एक इन्सान ऐसे प्रोफेशन में गलत है तो शक सभी पर जाता है ।

सरकार को इस तरह के आफिस पर भी ध्यान देना होगा , हर आफिस की कमीशन फिक्स करनी चाहिए , कहीं बहुत छोटी ( 13-14 साल ) लड़कियां काम पर लाई जाती हैं जो पूरे घर का काम नहीं संभाल सकती , फिर उन्हें परेशान किया जाता है , इसलिए इनकी उम्र भी तय करनी चाहिए । हर आफिस सरकार के पास रजिस्टर होने के बावजूद समय- समय पर सरकार को इंक्वायरी करते रहना चाहिए ।

अन्यथा इस तरह के आफिस कहीं कोठे की जगह ना लें ले ।


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Prem Bajaj

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