हाँ मुझे डर लगता है..... ...हाँ मुझे हर शय से डर लगता है ।
किसी को अपना बनाने से डर लगता है ,
किसी का हो जाने से डर लगता है ।
ख़ामोश रहने से डर लगता है, बात करने से डर लगता है ।
कहीं कोई बिछुड़ा हुआ ना मिल जाए इस बत से डर लगता है
कहीं कोई अपना ना बिछुड़ जाए इस बात से डर लगता है ।
कहीं तुम ख़्वाबो मे ना आ जाओ इसलिए सोने से डर लगता है,
कोई तुम्हे मेरी आँखो में ना देख ले, इसलिए आँखे खोलने से डर लगता है ।
ग़र हूँ बेसहारा ...तो डर लगत है, ग़र कोई दे दे सहारा .. तो भी डर लगता है ।
कौन अपना है ,कौन पराया, यही सोच कर मुझे डर लगता है ।
......हाँ मुझे हर शय से डर लगता है ।
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