आज की लेखिका

आज की लेखिका

Originally published in hi
Reactions 1
332
prem bajaj
prem bajaj 22 Jun, 2021 | 1 min read

आज की लेखिकाएं बेबाक क्यूं नहीं???


बहुत सी लेखिकाएं है जो बहुत ही नायाब लिखती हैं, अगर वो चाहे तो वो बन सकती आज की........👇

 #अमृता प्रीतम, जो पंजाबी साहित्य की पहली महिला लेखिका, जिनके लेखन ने धूम मचा दी थी, जिन्होंने बंटवारे के दर्द और उस बंटवारे में तन-मन से बांट दी गई महिलाओं का दर्द बेधड़क लिखा, पंजाबी साहित्य आज अमृता प्रीतम के नाम बिना अधूरा है।

 #कृष्णा सोबती मशहूर हिन्दी लेखिका, उन्होंने देश के विभाजन, जाति-धर्म एवं विशेष स्त्रियों के अधिकारों पर बेबाकी से लिखा, कृष्णा सोबती एक ऐसा नाम है जिन्होंने स्त्रियों के अधिकारों के मुद्दों,उनकी ख़्वाहिशो और पहचान पर लिखने की जुर्रत की, उन्होंने अपनी रचनाओं में निडरता से बातें लिखी, कई बार उनकी रचनाओं पर विवाद भी हुआ, क्योंकि एक स्त्री का ही स्त्रियों की ख्वाहिशों के बारे में बेबाकी से बात करना समाज को गवारा ना हुआ, मगर डर कर उनकी कलम रूकी नहीं, उन्होंने स्त्री-विमर्श को एक नया आयाम दिया ।

 उर्दू साहित्य का चौथा स्तम्भ कहीं जाने वाली महान लेखिका #इस्मत चुगताई को समाज ने कभी अश्लीलता का तो कभी बेशर्म का तमगा दिया। मगर इस्मत चुगताई की लेखनी स्त्रियों की ख़्वाहिशों और अधिकारों को बेपर्दा करती रही ।

#मृदुला गर्ग हिन्दी लेखिकाओं में पश्चिम बंगाल की सबसे अधिक लोकप्रिय लेखिका, उन्होंने अनेकों पुस्तकें लिखी, लेकिन जब उन्होंने "चित्ताकोबरा" नामक उपन्यास में एक शादीशुदा औरत का अपनी जिंदगी से असंतुष्ट रूप दिखाया इसमें उन्होंने औरतों की इच्छाएं और सेक्सुअलिटी पर बात की है, तब उनका लेखन समाज के लिए अश्लील हो गया।


इसी तरह अनेक लेखिकाएं हैं आज भी जो खुल कर लिखना चाहती हैं मगर समाज के डर से नहीं लिख पाती, जब एक पुरुष सेक्स या अन्य इसी तरह की बातें खुलकर लिखते हैं तो महिलाएं क्यों नहीं लिख सकती, श्रृंगार रस हो या स्त्रियों के अरमान, अहसास या इच्छाओं की बातें,उस पर पुरुष का लिखा महिलाएं पढ़ तो सकती हैं, लेकिन लिख नहीं सकती, मैंने भी सेक्स पर एक आर्टिकल लिखा था, बहुतों ने कहा कि ये क्या वल्गर बात लिखी है आपने, यहां तक कि स्त्रियों ने भी इसका विरोध किया कि ऐसे आर्टिकल यहां ना पोस्ट करें, मैं उन्हीं स्त्रियों से ही पूछती हूं, कि क्या स्त्री के कोई जज़्बात, अरमान, अहसास कुछ भी नहीं, फिर उसके लेखन पर पाबंदियां क्यों?


लेखक वो होता है जो हर शय को एक ही तराज़ू में तोले, जिसका लेखन समाज को आईना दिखाए, समाज को एक नया मोड़ दे, जिसके लेखन से समाज में बदलाव आए, समाज में जागरूकता आए, और ऐसा तभी सम्भव होगा जब एक लेखक दिल और दिमाग के दरवाज़े खोल कर लिखेगा, जब वो शब्दों में अश्लीलता नहीं शब्दों के मायने समझाएगा,कोई लेखक है या लेखिका ये ना देखें, अगर देखना है तो उसका लिखा देखें कि उसने क्या और कितना सही या ग़लत लिखा, इस लेखन के पीछे लेखिका का उद्देश्य क्या है, तभी लेखक की लेखनी भी सार्थक होगी ।🙏©®


प्रेम बजाज



1 likes

Published By

prem bajaj

prembajaj

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.