राम रघोबा राणे

देश की शान थे राम रघोबा राणे

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prem bajaj
prem bajaj 27 Jun, 2021 | 1 min read

हैप्पी बर्थडे लेट लैफ्टिनेंनट राम रघोबा राणे ?


सैकेंड लैफ्टिनेंनट राम रघोबा राणे, किसी परिचय का मोहताज नहीं ये नाम, इनका जन्म 26 जून 1918 कर्नाटक के करवार जिले के हावेरी गांव में हुआ, उनके पिता पुलिस कांस्टेबल थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अधिकतर जिला स्कूल में हुई क्योंकि उनके पिता का स्थानांतर होता रहता था। 1930 में असहयोग आंदोलन से प्रभावित हुए जो ग्रेट ब्रिटेन से भारतीय स्वतंत्रता के लिए उत्तेजित था, उनके पिता को आभास हुआ कि शायद सबकुछ छोड़कर वो आन्दोलन में कूद पड़ेंगे, तो उनके पिता को उनकी चिंता होने लगी और वो सब परिवार को गांव वापस ले गए।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश भारतीय सेना में कार्यरत थे। युद्ध के बाद की अवधि के दौरान सेना में रहे और 15 दिसंबर 1947 में भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजिनियरिस के बाम्बे सैपर्स के रेजिमेंट में नियुक्त किए गए। भारत- पाकिस्तान युद्ध के दौरान राम राणे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कई बाधाओं एवं खनन क्षेत्रों को साफ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर भारतीय सेना द्वारा राजौरी पर कब्ज़ा कर उनके कार्यों ने भारतीय टैंकों को आगे बढ़ने के लिए रास्ता स्पष्ट करने में एक रस्सी के द्वारा बारूदी सुरंगों में से सुरक्षित निकलने में मदद की, इस तरह अनेक बाधाओं को उन्होंने बड़ी सूझ-बूझ से सुगमता से पार किया, उनमें जबरदस्त नेतृत्व क्षमता थी, वे अपनी टुकड़ी का हौंसला बढ़ाने में प्रवीण थे,  उनकी वीरता के लिए उन्हें 8 अप्रैल 1948 में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। 1968 में वे भारतीय सेना से एक प्रमुख के रूप में सेवानिवृत्त हुए।

भारत सरकार के शिपमेंट मंत्रालय के तत्वावधान में भारतीय नौवहन निगम( एस सी आई)ने परमवीर चक्र प्राप्तकर्ताओं के सम्मान में उन्हें 15 कच्चे तेल के टैंकरों को नामित किया, एमटी लैफ्टिनेंनट राम रघोबा राणे नामक तेल के टैंकरों को 8 अगस्त 1984 को एस सी आई को सौंप दिया गया, जिसे 25 साल की सेवा के बाद समाप्त किया गया था।

7 नवम्बर 2006 में कर्नाटक में रबीन्द्रनाथ टैगोर समुद्र तट में उनके गृहनगर कारावार में आई एस एन चैपल युद्धपोत संग्रहालय के साथ एक समारोह मे श्री राणे की प्रतिमा का अनावरण किया गया, जिसका उद्घाटन स्माल इंडस्ट्रीज के पूर्व मंत्री शिवानंद नाईक ने किया, जो पश्चिम कमांड के वाइस एडमिरल संग्राम सिंह बायस के फ्लैग आफिसर कमांडर इन चीफ की अध्यक्षता में हुआ।

1994 में 76 वर्ष की उम्र वो सदा के लिए इस देश की मिट्टी को अलविदा कह गए।


प्रेम बजाज, जगाधरी (यमुनानगर)


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