prem bajaj
prem bajaj 30 Sep, 2020
ये दिल
देख कर तुम्हें संभल जाता है ये दिल हो जाओ ओज़ल तुम तो डर जाता है ये दिल। कोई अनजान पल में बन जाता है कैसे-कैसे खेल हमें दिखाता है ये दिल। कब - कब आते हैं वो ख्यालों में मेरे मीठी छुअन का एहसास दिलों के साथ। सहरा में जब भी बैठती हूँ उन्हें उनके याद में बहुत तड़पाता ये दिल बैठ। आया जो रखते उनकी बदमाशियों का अकेले में भी तो मुस्कुराता है ये दिल। ना जाना कभी छोड़कर मुझको सनम तुम बिन अकेले बहुत घबराता ये दिल। ना कीजे यूं गुफ्तगू किसी ग़ैर से जाने कसम से हमें बहुत जलाता है ये दिल। शबे- हिजरा में करवटें बदलते रहते हैं इस तनाव को आग लगाता ये दिल। यूं ना तड़पाया मत # प्रेम # को जालिम जुदाई-ए-ग़म में दर्द से है कराहता ये दिल।

Paperwiff

प्रीमियरबाज़ द्वारा

30 Sep, 2020

मोहब्बत

Comments

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  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    आपका कंटेट पूरी तरह एलाइन नही हुआ, इस स्पेस में या तो आप थोडे कम शब्दो में लिखिए या सेटिंग में जाकर कंटेट को वैरी स्माल पर सैट किजीए.. !

  • prem bajaj · 3 years ago last edited 3 years ago

    मैम स्टोरी सेक्शन में प्रिंट नहीं हो रहा , इसलिए इसमें पथराई किया था । स्टोरी सेक्शन में कैसे सेंड करें , प्रिंट करते ही शब्द क्लियर हो जाते हैं । प्लीज़ हैल्प

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