एक दिन की बात है।

एक दिन की बात है, एक टहनी थी जो बहुत ही लाजवाब थी। वह बहुत खुशहाली से अपनी ज़िंदगी उस पेड़ को अपने ऊपर उगाए जी रही थी। पर अचानक उसकी जिंदगी में एक झटका आया और उस पेड़ को काट दिया गया।और उसके लिए सबसे बढ़ी दुख की बात यह थी कि उसकी टहनी को आधा छोड़ दिया गया। वह इसलिए दुखी थी क्योंकि अगर काटना ही था तो पूरा जड़ों से काट देते। उसको आधा जीवित क्यों छोड़ दिया गया था। इस प्रकार उसके कुछ दिन बहुत मायूसी से कटे। धीरे धीरे वक्त बिता, वह उस समय भी बहुत उदास सी रहती थी। फिर अचानक एक दिन उसने एक पत्ते को हवा से औझल होते हुए अपनी ओर आते हुए देखा। वह उसकी टहनी पर आ कर बैठ गया। और वह आष्चर्यचकित हो गई। उसने सोचो क्या यह उसकी जिंदगी को नई उम्मीद देगा। परन्तु एक पत्ता क्या ही कर सकता है। उस एक पत्ते से उसके जीवन में कौनसी नई खुशी प्रारम्भ हो सकती है। वह उस सोच में डूब गई। और एक चमत्कार हुआ, वह पत्ता बोलने लगा। मानो जैसे कोई नया संकेत दे रहा था। फिर उसने उस टहनी से बातचीत की। हे टहनी, तुम इस प्रकार क्यों बिखरी हुई हो१ क्या तुम्हें किसी इंसान ने आधा अधूरा काट कर यूँही छोड़ दिया है१ वह टहनी अपना दुख जताते हुए बोली, हाँ यह सत्य है। आज मझे ऐसा प्रतित हो रहा है, जैसे मेरी ज़िंदगी पूरी तरह से उजड़ गयी हो। मानो जैसे कुछ समीप ना रहा हो। बस अब ऐसे लाचारों की तरह बिखरी रहती हूँ। तब उस पत्ते ने टहनी से अपना भाव जताया और बोला, हे टहनी माना कि तुम लाचार हो, बिल्कुल सुख चुकी हो, मानो जैसे तुमारा अंतिम समय आ चुका है। परन्तु इस समय को व्यर्थ मत करो। तुम यह तो देखो कि तुम्हारे आस पास कितने पेड़ पौधें हैं। जो प्रफुल्लित हो कर महक रहे हैं। उन सबको देख कर तुम भी ज़रा सा मुस्कुरा दो। ज़रा देखो वो धूप की किरणें कैसे तुम्हारी और आ कर तुमको छू रही है। और तुम्हारे आस पास यह पक्षी कैसे गुनगुना रहे हैं। ज़रा इन पर भी तो गौर दो। माना कि तुम्हारी ज़िन्दगी अस्त व्यस्थ हो गयी है। परन्तु यह प्रकृति है। जैसे आज तुम्हे आधा काटा है वैसे ही कल को दूसरे पेड़ को आधा काट देंगे और फिर उसकी टहनियाँ भी बिखर कर मायूस ही हो जाएँगी। पत्ते ने टहनी को इस प्रकार अपनी बात समझाई, कि वह उसकी बातों से परसन्नित हो गई।और उसने उस पत्ते को धन्यवाद बोला। और कहा, हे पत्ते, तुम कितने बहादुर हो। तुम भी तो कट जाते हो, बिखर जाते हो। इधर से उधर औझल हो जाते हो। परन्तु फिर भी तुम्हारे अंदर इतनी क्षमता है कि तुम खुद को कभी दुखी नही होने देते। और हर मुश्किल का सामना धैर्य से करते हो। अब मैं भी यही करूँगी। हर मुश्किल का सामना डट कर करूँगी और अपने आखरी समय तक हार नही मानूँगी।

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Preeti
Preeti 03 Jul, 2020 | 1 min read

एक दिन की बात है, 

एक टहनी थी जो बहुत ही लाजवाब थी। वह बहुत खुशहाली से अपनी ज़िंदगी उस पेड़ को अपने ऊपर उगाए जी रही थी। पर अचानक उसकी जिंदगी में एक झटका आया और उस पेड़ को काट दिया गया।और उसके लिए सबसे बढ़ी दुख की बात यह थी कि उसकी टहनी को आधा छोड़ दिया गया। वह इसलिए दुखी थी क्योंकि अगर काटना ही था तो पूरा जड़ों से काट देते। उसको आधा जीवित क्यों छोड़ दिया गया था। 

इस प्रकार उसके कुछ दिन बहुत मायूसी से कटे। धीरे धीरे वक्त बिता, वह उस समय भी बहुत उदास सी रहती थी। फिर अचानक एक दिन उसने एक पत्ते को हवा से औझल होते हुए अपनी ओर आते हुए देखा। वह उसकी टहनी पर आ कर बैठ गया। 

और वह आष्चर्यचकित हो गई। उसने सोचो क्या यह उसकी जिंदगी को नई उम्मीद देगा। परन्तु एक पत्ता क्या ही कर सकता है। उस एक पत्ते से उसके जीवन में कौनसी नई खुशी प्रारम्भ हो सकती है। वह उस सोच में डूब गई।

और एक चमत्कार हुआ, वह पत्ता बोलने लगा। मानो जैसे कोई नया संकेत दे रहा था। फिर उसने उस टहनी से बातचीत की। हे टहनी, तुम इस प्रकार क्यों बिखरी हुई हो१

क्या तुम्हें किसी इंसान ने आधा अधूरा काट कर यूँही छोड़ दिया है१

वह टहनी अपना दुख जताते हुए बोली, हाँ यह सत्य है। आज मझे ऐसा प्रतित हो रहा है, जैसे मेरी ज़िंदगी पूरी तरह से उजड़ गयी हो। मानो जैसे कुछ समीप ना रहा हो। बस अब ऐसे लाचारों की तरह बिखरी रहती हूँ।

तब उस पत्ते ने टहनी से अपना भाव जताया और बोला, हे टहनी माना कि तुम लाचार हो, बिल्कुल सुख चुकी हो, मानो जैसे तुमारा अंतिम समय आ चुका है। परन्तु इस समय को व्यर्थ मत करो। तुम यह तो देखो कि तुम्हारे आस पास कितने पेड़ पौधें हैं। जो प्रफुल्लित हो कर महक रहे हैं। उन सबको देख कर तुम भी ज़रा सा मुस्कुरा दो। 

ज़रा देखो वो धूप की किरणें कैसे तुम्हारी और आ कर तुमको छू रही है। और तुम्हारे आस पास यह पक्षी कैसे गुनगुना रहे हैं। ज़रा इन पर भी तो गौर दो। माना कि तुम्हारी ज़िन्दगी अस्त व्यस्थ हो गयी है। परन्तु यह प्रकृति है। जैसे आज तुम्हे आधा काटा है वैसे ही कल को दूसरे पेड़ को आधा काट देंगे और फिर उसकी टहनियाँ भी बिखर कर मायूस ही हो जाएँगी। 

पत्ते ने टहनी को इस प्रकार अपनी बात समझाई, कि वह उसकी बातों से परसन्नित हो गई।और उसने उस पत्ते को धन्यवाद बोला। और कहा, हे पत्ते, तुम कितने बहादुर हो। तुम भी तो कट जाते हो, बिखर जाते हो। इधर से उधर औझल हो जाते हो। परन्तु फिर भी तुम्हारे अंदर इतनी क्षमता है कि तुम खुद को कभी दुखी नही होने देते। और हर मुश्किल का सामना धैर्य से करते हो। अब मैं भी यही करूँगी। हर मुश्किल का सामना डट कर करूँगी और अपने आखरी समय तक हार नही मानूँगी। 

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Preeti

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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    सुंदर रचना है। कृपया समरी वाले ऑपशन में रचना का संक्षिप्त सारांश लिखिए न कि पूरी रचना।सादर🙏🏻

  • Preeti · 3 years ago last edited 3 years ago

    I will take care in the next story because I don't know how to edit it

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