पन्ना

एक खूबसूरत वक्त शुरू हुआ था वो, नए पन्नों के घेरे में था वो।

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Preeti
Preeti 04 Feb, 2020 | 1 min read

एक खूबसूरत वक्त था वो,

नए पन्नों में बसा था वो।

स्वागत कर रहा था कुछ नए अल्फ़ाज़ों को,

जिसे सँजोना चाहता था वो,

उस पन्ने को मैने एक नया नाम दिया,

पहले पन्ने में जो शुरू हुआ था वो,

'वक्त का एक पन्ना' कहलाया करता था,

लिखने की एक नई आरज़ू दे रहा था वो,

बोल रहा था कि,

सुन ओ मेरी प्यारी कलम,

स्याही से मुझ को भरने वाली,

ओ मेरी प्यारी कलम ज़रा तो सुन,

तुझे मालूम है मेरे पन्ने की एहमियत क्या है,

जिस पर लिखने को इतनी उत्तेजित हो तुम,

क्या जानती हो उसके बारे में तुम१

धीमी धीमी हवाओं में यूहीं मचल जाता है पन्ना,

क्या जानती हो उसके बारे में तुम१

कलम भी सोच में पड़ गया!

देखकर पन्ना बेहद खुश हो गया,

कुछ सोच के जब कलम ने बोला,

ऐ काग़ज़ अपने इस पन्ने पर ज़्यादा गुरूर मत कर,

तुझे भरूँगी, अपनी सियाही से तुझे पिरोऊँगी,

इसपर लिखूंगी अपनी स्याही से खुशनूमा पल जिभरकर,

तेरा कोरा काग़ज़ भी खिलखिलाने लगेगा,

ए नया वक़्त तेरा दामन खुशियों से भरने लगेगा।

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