जहर

तकनीक हमारे पर्यावरण को किस तरह दूषित कर रही है, इस पहलू को दर्शाती एक लघुकथा।

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Pragati tripathi
Pragati tripathi 29 Dec, 2019 | 1 min read

चारों तरफ धुंध फैली हुई है, प्रदूषण इस कदर फैला है कि‌ दिल्ली के सभी स्कूल, कांलेज  बंद करने पड़े। लोग बाहर बिना मास्क निकल ही नहीं पा रहे थे। सांस लेने में समस्या हो रही है, आने वाली पीढ़ियों का क्या होगा? क्या आपको नहीं लगता इस सबके जिम्मेदार कहीं ना कहीं हम ही हैं? हमारे कारण आने वाली पीढ़ी भी इसका खामियाजा भुगतेगी? क्या जवाब देंगे, हम उन्हें?" इसी विषय पर न्यूज चैनल पर दादू डिबेट देख रहे थे।
तभी बारह वर्षीय मनु बोल पड़ा, "दादू मैं कितने दिन तक स्कूल नहीं जाऊंगा, कितने दिन तक बाहर जाकर खेल नहीं पाऊंगा? आखिर ये धूल का गुब्बार कब खत्म होगा? क्या कभी हमें शुद्ध हवा मिलेगी? ये प्रदूषण तो हमारी जिंदगी में विष बनकर बैठे गई है।"
"बेटा ये सब हमारी ही करनी का फल है जिसे हम और शायद हमारी आने वाली पीढ़ी भी भुगतेगी। सोचो दिन ब दिन पेड़ों की अंधाधून कटाई, जनसंख्या में वृद्धि, कैमिकल फैक्ट्रीयों की बढ़ती संख्या और इनसे निकलता जहरीला धुआं, जो सांस संबंधी बीमारियों का मुख्य कारण है। हमारी प्रकृति वर्षों से हमारे द्वारा फैलाए गए प्रदूषण का विषपान कर रही है, चाहे वो जल प्रदूषण हो, वायु प्रदूषण हो या  थल प्रदूषण। इन प्रदूषणों के कारण, धरती बंजर हो रही है और इसका प्रभाव हमारे खान - पान में भी दिखाई दे रहा है। अब ना हमारे पास शुद्ध हवा ना शुद्ध पानी और ना ही शुद्ध खाना। वो दिन दूर नहीं जब हम सब इस प्रदूषण के कारण तड़प - तड़प कर मर जाएंगे", दादू ने चिंता जताते हुए कहा।
"दादू इस समस्या का कोई हल नहीं है क्या?", मनु ने पूछा।
देखों बेटा, समस्या में सुधार हम कर सकते हैं अगर अपनी रोज की दिनचर्या में कुछ सावधानियां बरतें, जैसे - प्लास्टिक की थैलियों की जगह जूट या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें, वृक्षारोपण करें,  फसलों में रासायनिक खाद का प्रयोग कम करें,  एसी, कूलर का प्रयोग ना करें, कार, स्कूटर की जगह साइकिल का उपयोग करें, इससे शारीरिक व्यायाम भी हो जाएगा और भी ऐसी कई छोटी-छोटी बातों को रोजमर्रा की जिंदगी में प्रयोग कर.. वातावरण को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है।
"थैंक्यू दादू आज से मैं भी वातावरण को प्रदूषित होने से रोकूंगा, मैं अपने हर जन्मदिन पर पेड़ लगाऊंगा और अपने दोस्तों को भी ऐसा करने को कहूंगा", मनु ने उत्साहपूर्वक कहा।
नन्हे मनु की बाते सुनकर दादू ने उसे ढ़ेर सारा आशीर्वाद दिया।


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