झिल्ली डायन (भाग -8)

डायन का कहर राज पर पड़ा भारी

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Pragati gupta
Pragati gupta 06 Sep, 2020 | 1 min read

हम जानते हैं इस भाग को प्रकाशित करनें मे काफी देरी हो गई ,समस्या थोड़ी विकट आ पड़ी थी , हम देरी के लिए आप सबसे मांफी चाहते हैं।




जैसे ही राज अपनी आखेंं खोलता है ,तो वो अपने आप को एक मदिंर मे पाता है ,एक ऐसा मदिंर जिसमें काली मां की प्रातिमा थी साथ ही उसके बगल मे एक पुरानी सी समाधि बनी हुई थी जिस पर कोई मंत्र लिखा था पर समाधि काफी पुरानी थी जिस वजह से वहां धूल मिट्टी और कूड़ा जमा हुया था और वो मंत्र भी साफ साफ नहीं दिख रहा था , राज कूडे-कचरे को हटाकर उस मंत्र को पढ़ने की कोशिश करता है ,पर जैसे ही वो मंत्र के कुछ शब्दों का उच्चारण करता है वैसे ही बादल खूब जोर से गरजने लगते हैं बिजली कड़कडाने लगती हैं और बारिश आ जाती हैं ,राज ये देखकर काफी डर जाता है ,वो मंत्र को बीच मे ही रोक देता है ,जैसे ही मंत्र का उच्चारण रूकता हैं ,सब धीरे धीरे सही होने लगता है बादल की गड़गडाहट भी रूक जाती हैं और बिजली व बारिश भी ,राज को याद आता है कि उस बूढ़ी औरत ने सच्चे दिल से बाबा कडोलियां के नाम जाप का कहा था वो वहीं अपना सामान रखकर बैठ जाता हैं और बाबा कडोलियां के नाम का जाप शुरू कर देता है करीब दो दिन तक नामजाप करनें के बाद राज को एक आवाज सुनाई देती है'उठो बख्श'राज ये आवाज सुनकर अपनी आखें खोलता है तो देखता है सामने एक बाबा जिनके बाल पूरी तरह सफेद हो चुके थे ,जिनकी आखें लाल थी उन्होंने अपनी लम्बी लम्बी जटाओं को अपने शीश पर फैला रखा हैं ,उनके एक.हाथ में तुलसी की माला और दूसरे हाथ में खून से लथपथ शीश का ढांचा ,राज उन्हें देखकर अचम्भित हो जाता हैं।

"आप………कडो,,,,,,कडो,,,,,,,,,,,,,,कडोलियां बा…..बाबा हैं'।राज कप कपातीं आवाज़ में पूछंता हैं ।

"हां बख्श" मैं ही कडोलियां बाबा हूं ,मैं जानता हूँ तुम यहां क्यों आए हो ,मैं इतने दिनों से तुम्हारी प्रतिक्षा मे ही था "।

"मेरी प्रतिक्षा मे ।..पर क्यों बाबा?"

"तुम पहले इंसान हो जितने इतनी बड़ी जिम्मेदारी अपने ऊपर उठाई हैं "।

"हां बाबा ,आप बताईए हमें क्या करना होगा"।

" सबसे पहले जाकर वो नीम के पत्ते तोड़कर अपनी भुजा पर बाधों"।

" राज ये सुनकर सोच मे पड़ जाता है कि पत्तों से क्या होगा पर बाबा ने कहा था तो करना तो था ही ,वो जाकर अपने हाथों से पत्ते बांधकर आ गया "।

"आगे क्या करना होगा बाबा जी"।

"अब जो मैं कह रहा हूँ ,वो ध्यान से सुनो ,रविवार के दिन  अपने आस पास के किसी भी काली मां के मदिंर जाना , हवन सामग्री और कपूर जरूर लेते हुए जाना वहां जाकर सबसे पहले मदिंर के कुंड के पानी से स्नान करना और शरीर पर वस्त्र न धारण करना पेड़ों की छाल पहनना अब मदिंर मे प्रवेश करकर काली मां की प्रतिमा को अपने रक्त से टींकना फिर हवन कुंड मे सामग्री डालकर मेरी समाधि के ऊपर लिखे मंत्र से आहुति देना पर याद रहे मंत्र एक सांस मे एक बार बोलना हैं वो भी 101बार इसके बाद तुम्हारे सामने झिल्ली डायन अपने आप खुद को अर्पित कर देंगी तुम उसकी अस्तियां लेकर मेरे पास आना हां पर ज्यादा देर मत करना क्योंकि अगर तुम्हारे यहां पहुंचने से पहले अमावस्या आ गई तो हम कुछ नहीं कर पाएंगे और फिर वो डायन सौ सालो के लिए अमर हो जाएंगी "।

"राज ये सुनकर घबरा जाता है पर अब जो ठाना था वो तो करना था ही , ठीक है बाबा जी कहकर उसने आखेंं बंद की और प्रणाम किया ,पर आखें खोलने के बाद देखा तो बाबा वहां नहीं थे"।

"राज ने अपना भोरिया बिस्तर उठाया और निकल गया वापिस अपने गांव की ओर "।

"तो अब क्या राज कर पाएंगा झिल्ली डायन को मुक्त जानने के लिए पढ़ें अगला भाग"

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