मोक्ष

A spiritual poem

Originally published in hi
❤️ 1
💬 2
👁 852
Pooja Agrawal
Pooja Agrawal 30 Aug, 2020 | 1 min read

मन व्यथित है मेरा,वियोग से भरा हुआ


प्रफुल्लित हो जाऊंँ प्रभु,उस गाँव की ओर ले चलो


भटका हुआ मुसाफिर हूँ, मंजिल नहीं आती नजर


मार्गदर्शन करो मेरा, सुमार्ग पर ले चलो



डर जाता हूं मैं,अपने ही मन के विचारों से


अपने ही अंँधेरों में घिर जाता हूं मैं कब से


तुम दीप जलाकर ज्ञान का, प्रकाश की ओर ले चलो


रिश्तों में जकड़ गया हूँ भावनाओं की बेड़ियों में बंँधा हूँ



सच और झूठ के तराजू में खुद को तोलता हूँ रोज


अचेतन हो गई आत्मा ,ताँडव मचाता है चित्त मेरा


आत्मा को चेतनता दो, परम सत्य की ओर ले चलो


खुद से आगे सोच सकूंँ मैं, अपना स्वार्थ छोड़ सकूँ मैं



अपने अंतरण की सुनूँ, सद्भाव का बीज बो सकूंँ मैं


प्रेम की नये कुसुम खिलें, ऐसे गुलशन में ले चलो


हे जगत दाता, हे दीनदयाल,


नैया तुम्हारे हाथों में ,पतवार तुम्हारे हाथों में


कब से सौंप दिया मैंने, यह भार तुम्हारे हाथों में



मेरे कर्मों का लेखा जोखा है तुम्हारे हाथों में


मुक्त कर दो मुझे, मृत्यु - जीवन के चक्रव्यूह से


मोक्ष की तरफ ले चलो।


Pooja Agrawal, (ankhaealfaaz)



1 likes

Support Pooja Agrawal

Please login to support the author.

Published By

Pooja Agrawal

poojaagrawal

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • ARAVIND SHANBHAG, Baleri · 5 years ago last edited 5 years ago

    Itana jaldi moksh?

  • Pooja Agrawal · 5 years ago last edited 5 years ago

    कर्म तो अभी बनेंगे सर.. Thanks for the appreciation and support

Please Login or Create a free account to comment.