भारतीय विवाहों मे यह रिवाज़ होता है कि, वर और वधु को परिवार व समाज आशीर्वाद के साथ कुछ उपहार भी प्रदान करते हैं,जिससे इनको अपनी गृहस्थी सम्भालने में आसानी हो ।
आपसी प्रेम और बहुत कुछ संकोच के कारण अक्सर एक स्त्री अपने हिस्से के उपहार एवं मायके से दी गई वस्तुओं गहनों और रुपयों को अपने आधिपत्य में नहीं रखती।
यदि स्थिति सामान्य और स्त्री सम्मान पूर्वक अपने घर में रह रही है तो, कोई परेशानी नहीं होती किंतु ,यदि स्त्री के साथ अच्छा व्यवहार नहीं हो रहा हो या उसे अपने अधिकार प्राप्त ना हो रहे हो अथवा स्थिति तलाक की हो तब, बहुत जरूरी है, स्त्री को स्त्री धन का संज्ञान होना ।
स्त्री धन में क्या-क्या वस्तुएं आती है ??
1) मायके से मिली हुई भौतिक वस्तुएं -:चाहे उसके इस्तेमाल पूरा परिवार कर रहा हो, पर उस पर अधिकार केवल स्त्री का होता है। यह स्त्री धन कहलाता है।
2) मिले हुए गहने -: जो भी गहने स्त्री अपने मायके से लेकर आती है वह स्त्री धन कहलाता है।
3) -: मिले हुए कोई भी उपहार चाहे वह उसके ससुराल या मायके से मिले हो या सास अथवा पति ने दिए हो वह स्त्री धन की श्रेणी में आते है।
संज्ञान होना-: स्त्री को अपने धन-संपत्ति के बारे में सारी जानकारी होनी चाहिए।
सावधानी -:
कुछ सावधानी बरतनी चाहिए -
मायके से मिलने वाली कोई भी चीज पर स्त्री का नाम अंकित होना चाहिए ।
गहने के पक्के बिल भी स्त्री के नाम पर बनवाने चाहिए ताकि ,अलगाव की स्थिति में स्त्री अपने धन पर अधिकार साबित कर सके।
मिले हुए उपहार यदि स्त्री को दिये जाय तो इसकी सूची तैयार कर स्त्री को दी जानी चाहिये ।
जागरुकता-:
यह जागरुकता किसी भी प्रकार की विपरीत परिस्थितियों में एक स्त्री को काफी सहायता पँहुचाती है।
मदद-:
स्त्री धन किसी भी स्त्री को आर्थिक संबल प्रदान करता है और किसी भी तरह की अलगाव की स्थिति में यह आर्थिक मदद भी प्रदान करता है अतः इस धन के प्रति स्त्री को सजग रहना चाहिए।
धन्यवाद
पल्लवी वर्मा
स्वरचित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.