Namita Gupta
Namita Gupta 12 Jun, 2025
ठहरी हुई यात्राएं
शांत जल पर तैरती हुई एक अकेली नाव जैसे समय के सूने पन्नों पर लिखी गई हो चुप्पी , न पतवार की जल्दबाज़ी,,न लहरों का शोरगुल सिर्फ एक मनुष्य, अपनी परछाईं से संवाद करता हुआ , और सूरज भी लौट रहा है धीरे-धीरे मौन क्षितिज में, ऐसी यात्राएं कहीं पहुँचने की नहीं बल्कि कहीं ठहर जाने के लिए होती हैं !!

Paperwiff

by namitagupta

12 Jun, 2025

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