वो बुढी अम्मा

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Nalini Mishra dwivedi
Nalini Mishra dwivedi 14 Nov, 2019 | 1 min read

जब वह बुढी़ अम्मा पहली बार हमारे दरवाजे पर आई थी, दोपहर का समय था हम खाना खा चूके थे, उन्होने खाना मांगा तो उस समय किचन मे दो रोटी थी, तो मैने उन्हे दो रोटी और आचार दे दिया।वोभूखी बहुत लग रही थी, खाना देखकर खुश हो गई थी। जाते जाते ढेर सारे आशीर्वाद देकर गई ।

घर मे हम चार लोग थे मै रति, मेरे पति अनुज, मेरी सास और मेरे ससुर जी, चार लोगो के हिस्से का खाना बनाती थी अब तो हर दिन आने लगी थी।तो मै हमेशा खाने का पाँचवा हिस्सा उनके लिए रख देती थी। देखने मे वो अच्छे घर से लगती थी,लग रहा था किस्मत की मारी थी धीरे-धीरे मुझसे घुल मिल गई थी।

एक दिन मैने कढी,चावल बनाया था जब दिया खाने को तो देख कढी, चावल रोने लगी...... 

मैने पूछा क्या हुआ अम्मा? 

मेरे बेटे को मेरे हाथ का कढी चावल बहुत पसंद था। जब भी वो मुझसे नाराज रहता तो कढी चावल से उसकी नाराजगी दूर हो जाती.... कहकर रोने लगी

आपका बेटा है कहाँ.......??

 पति का साथ जब छुटा था तब बेटा मेरा दस साल का था, छ महीने पहले भगवान ने मेरे बेटे को भी छीन लिया। बेटे के जाने के बाद बहु ने छल से सारी जयदाद अपने नाम कराली और मुझे निकाल दिया घर से। जब पैसा था तब रिश्तेदार थे। किसी ने मेरा साथ नही दिया। एक महिने से मै पास वाले मंदिर पर ही रहती हूं। तू प्यार से खाना खिला देती है इसलिए तेरे ही घर आती हूं।

पिछले एक महीने से वो लगातार आती थी, कभी कोई दिन खाली नही गया। लेकिन दो दिन से नहीं आ रही थी, मै खाना रखकर इंतजार करती थी।,मन बड़ा बेचैन हो रहा था उमर भी हो गई थी उनकी तो बुरे बुरे ख्याल मन मे आ रहे थे, कही कुछ हो नही गया।

अगले दिन सुबह का टाइम था।मैने चाय बनाकर सबको दिया तभी सासु माँ ,बहु...... ये देख, उसी औरत की तस्वीर लग रही है जो हमारे यहाँ आती थी।

दिल मेरा धक से कर दिया, तस्वीर देखी तो वही बुढी अम्मा थी। दो दिन पहले ही उनका एक्सीडेंट हो गया था। जो जा चुकी थी थी इस दुनिया से, पहचान नही हो पा रही थी इसीलिए अखबार मे निकला था।

मेरे आखो से आसु गिरने लगे , कुछ रिश्तो के नाम नही होते शायद कुछ एसा रिश्ता जुड़ गया था। जैसे लग रहा था कोई अपना चला गया था।

मुझे पता था उनकी बहु कभी पहचान नही करेगी पर उनका अंतिम संस्कार करना जरुरी था।

मैने अपने ससुर जी और पति से बात की उनका अंतिम संस्कार करने की पहले तो मना कर दिया।पुलिस के लफड़े मे कौन पड़ेगा।लेकिन बाद उनके प्रति मेरा झुकाव देखकर मान गए ।

आज उनका अंतिम संस्कार हो गया था। बहुत सुकून मिल रहा था उनका अंतिम संस्कार कराकर, शायद ये भगवान की मर्जी थी। इसीलिए उनको हमारे घर भेजा था।

जब रात को सोई तो सपने मे वही बुढी अम्मा आती है जो मुझे शुक्रिया कर रही थी। और धीरे-धीरे आसमान की तरफ जाते जाते लुप्त हो गई थी।

ये मेरी काल्पनिक रचना है।पसंद आए तो लाइक और कमेंट जरूर करे

धन्यवाद ॥

नलिनी मिश्रा द्विवेदी

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