एक रात के अतिथि भाग-3

यह अतिथि पहली बार उसके घर में आया है, फिर भी उसकी यह खुशबू पूर्व परिचित सी क्यों लगती हैं?

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Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 30 Nov, 2020 | 1 min read

स्टीव जेकव से केरोलीन फिलीप्स की जिस समय शादी हुई थी तब स्टीव की न्यूयार्क स्टाॅक एक्सचेंज में अच्छी खासी नौकरी थी। शादी के बाद के तीन वर्ष का हनीमून पिरियड कैसे गुजर गया पता ही न चला! ऑफिस से लौटकर हर रोज रात को साथ में खाना, मूवी देखने या शाॅपिंग करने जाना, वीकेंड में या तो लांग ड्राइव पर जाना या दोस्तों के साथ देर रात तक पार्टी करना, जिन्दगी मानों किसी सपने से कम न थी। जिसमें सिर्फ खुशियाॅ ही खुशियाॅ भरी हुई थी!

स्टीव को नई-नई लक्जरी गाड़ियाॅ खरीदना और बैंडेड कपड़े पहनना बहुत पसंद था। उसे सबकुछ अच्छे ब्रैंड का चाहिए था। वे केरोलीन से भी ऐसी चीजें लेने को कहता था। हमेशा उसे वह कीमती तोफे दिया करता था।


शादी के बाद केरोलीन का पहला जन्मदिन उन दोनों ने मियामी बीच में बिताया था और बतौर गिफ्ट में उसे माइबैक गाड़ी मिली थी। वे तीन साल केरोलीन के जीवन का सबसे ज्यादा खुशनुमा वक्त था। जब उसने जी भरकर जीया था, जिन्दगी का आस्वाद पहलीबार खुलकर किया था। सबकुछ बहुत सही चल रहा था। ऐसा लगता था मानो खुशी के दिनों का कोई अंत ही न होगा कभी। परंतु कहते हैं न कि खुशियों के पल थोड़े होते है, और गम के दिन लंबे होते है--- -"Happiness is but an ocassional episode in the general drama of pain! "

केरोलीन की खुशियों को भी नजर लगते देर न लगी। उस जिन्दादिल मस्तीखोर स्टीव को दोस्तों के संगत में एकदिन जुए की लत लग गई। और वह इसकी नशे में डूब गया। जल्द ही अमीर बनने के चक्कर में उसने दिन रात जुआ खेलना आरंभ कर दिया। अब हर शाम और सारा का सारा वीकेंड दोस्तों के साथ उसका कैसीनो में बीतने लगा था। शुरु शुरु में कैरोलीन भी कौतुहलवश साथ जाया करती थी। परंतु वहाॅ के माहौल से जल्द ही उसका जी ऊचाट हो गया। परंतु स्टीव उसमें गहरे उतरते चला गया। कई बार वह लाॅस वेगस भी हो आया। वहाॅ के सुंदरियों के चंगुल में भी वह जल्दी ही फंस गया।

अब स्टीव की सारी कमाई अपने व्यसन पर खर्च होने लगी। वह घर और केरोलीन की तरफ आजकल बहुत कम ध्यान देने लगा था। यहाॅ तक कि केरोलीन का स्वास्थ्य जब एकदिन बहुत बिगड़ गया था तो उसने उसे अस्पताल में दाखिला करा दिया और खुद दोस्तों के साथ वेगस छुट्टी बिताने चला गया। चिंता और कमजोरी के चलते उससमय केरोलीन का मिसकैरिज हो गया था। अस्पताल से डिस्चार्ज होने पर खुद ही वह ड्राइव करके घर आई थी। शारीरिक मानसिक दोनों ही रूप से टूट वह बेहद चुकी थी। इस वक्त उसे स्टीव के सहारे की चाह थी। परंतु स्टीव के पास फुरस्त कहाॅ था ?? वह इस समय कैसिनो में सुरा और सुन्दरियों में निमग्न दाव-पेंच लगाने में व्यस्त था।

दो दिन बाद रविवार को, देर रात को, स्टीव घर आया था। नशे में टुन्न, उसके तेवर बिलकुल बदले हुए थे। उसने केरोलिन पर पहलीबार हाथ उठाया था। पहली बार वह जुए में ढेर सारा पैसा हारकर आया था। इस कारण उसका दिमाग बिलकुल गरम था।

इसके बाद स्टीव और उसके संबंध बिगड़ते चले गए थे । स्टिव को पैसे की हरदम जरूरत रहा करती थी। उसके इस बेखयालीपन का असर उसके काम पर पड़ रहा था और उसके बाॅस को आएदिन उससे शिकायत रहा करतो थी।ऐसे ही एकदिन अपनी लापरवाही के चलते वह अपनी नौकरी से भी हाथ धो बैठा। इसके बाद उसने अपनी पूरी सेविंग्स और पत्नी की सेविंग्स जुए की भेंट कर दी थी।


तदनंतर पैसे की जुगाड़ करने में उसने अपना बंगला भी बेच दिया और एक छोटे से अपार्टमेंट में केरोलीन के साथ रहने लगा। केरोलीन फिर भी उसके साथ निभाती रही, उसके हरकतों को बरदास्त करती रही ।परंतु एकदिन जब नशे की हालत में अपने कुछ नशेरी दोस्तों के साथ घर आया और केरोलीन को अपने दोस्तों के साथ बारी-बारी सेक्स करने को कहा तो उससे न रहा गया। उसी समय केरोलीन ने उससे तलाक लेने का फैसला ले लिया।

तलाक का चक्कर केरोलीन को बहुत लंबा पड़ा। स्टीव सुनवाई के दिन कोर्ट में अपियर ही नहीं होता था। तारीख लंबी खिंचती चली गई ।इस तरह कोई पाॅच साल के बाद केरोलिन को स्टीव से छुटकारा मिल पाया था।

शादी के बाद केरोलिन ने अपनी जाॅब छोड़ दी थी। सोचा था कि स्टीव तो अच्छा कमा लेता है। उसके साथ रोमांस करके अपनी जिन्दगी भली -भाॅति गुजर जाएगी। लेकिन इंसान सोचता कुछ है और होता कुछ और है।

तलाक के बाद मुकद्दमें को चलाने में उसकी सारी पूंजी निकल गई। ऑलीमोनी मिलने की कोई आशा न थी क्योंकि स्टीव पहले से ही अपने आपको कंगाल घोषित कराकर वेलफेयर पर जी रहा था। तब जाकर उसने एक दोस्त से लोन लेकर नर्सिंग का प्रशिक्षण लिया। किस्मत अच्छी थी कि उसे इंटर्नशीप के दौरान ही जाॅब के ऑफर मिल गए।

इसके एकसाल बाद स्टीव के मरने की खबर अखबार में छपी थी।

अब वही स्टीव एक दशक बाद जीता -जागता सशरीर उसके सामने उपस्थित था!!

केरोलीन स्टीव के साथ बीताए हुए उस विभीषिका भरे दिनों की याद करते ही पसीना- पसीना हो गई थी। उसके सारे वदन से कंपी-कंपी छूंटने लगी जब स्टीव का वह वहशी दरिंदा रूप उसके आंखों के आगे एकबार फिर नाचने लगा था। साथ ही यह भी ख्याल आया कि पूरे घर में इस समय वह अकेली है।

उसके दोनों पड़ोसी भी छुट्टी पर जा चुके थे।

किसी तरह स्टीव को डीनर सर्व करके वह सरपट अपने कमरे की ओर भागी थी। दरवाजा को कसकर अंदर से बंद करने के बाद ही थोड़ी राहत महसूस कर पाई थी। बदले में स्टीव द्वारा कहा गया धन्यवाद भी उसके कानों तक प्रवेश न किया।

(अगले भाग में समाप्त)


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