एक लड़की को देखा तो-- भाग-1

Met a girl in the bus

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Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 11 Jul, 2020 | 1 min read

तब मेडिकल काॅलेज का एक स्टूडेन्ट था। एम॰ डी॰ ( opthalmology ) कर रहा था और अंतिम वर्ष में था। कलकत्ता शहर से दूर एक छोटे से टाउन के अस्पताल में पार्ट टाइम काम किया करता था।

एकदिन काॅलेज से घर लौटते समय कुछ लड़कियों का झुंड हमारी बस में चढ़ी। उनमें से एक लड़की बेहद खूबसूरत थी। साधारण सलवार कुर्ते में सजी,एक कंधे पर टंगी बैग और दूसरे हाथ में मोटी जिल्द वाली कुछ पुस्तकें लेकर जैसे हो उसने अपना पहला कदम बस के पायदान पर रखा था, उसे देखते ही मानों मैंने अपना होश खो दिया था। थोड़ी देर बाद मेरी बगल वाली सीट खाली हुई तो उसकी एक सहेली ने उससे कहा,

" मानसी, तू वहाँ बैठ जा!"

मानसी--- मानसी-- यह नाम सुनते ही जैसे मेरे दिल में वीणा की मधुर ध्वनि बज उठी थी। वह बड़ी शालीनता से बीच में दूरी बनाकर बैठी थी, ऐसे कि जरा भी जरा भी उसका स्पर्श न लगे।

कुछ देर बाद उसकी सहेली ने उससे कुछ कहा, परंतु उसे मैं न सुन पाया। क्योंकि मैं तो मानसी में ही खोया हुआ था। और वह खिल- खिलाकर हँस पड़ी थी। ऐसा लगा कि जैसे जलतरंग की मधुर आवाज़ हो।

रातभर मुझे नींद नहीं आई। मेरा मानस मानसी में ही खोया रह गया। सुबह दो घंटे के लिए सो गया था, उस समय मैंने उसी का सपना देखा।

अगले दिन काॅलेज गया तो पढ़ाई में बिलकुल भी मन न लगा। ऐसा लगा जैसे मेरा कुछ खो सा गया है। और मैं वैसा ही खोया- खोया फिरता रहा। सारे प्रोफेसर मेरे अमनयोगी होने की शिकायत करने लगे थे और सहपाठी हँसने लगे थे--

" आज डाॅ॰ मानस को क्या हो गया?"

" लगता है, उनको उनकी मानसी प्राप्त हो गयी--???" कहकर सब मुझे चिढ़ाने लगे। उन कमबख्तों को क्या पता था कि आखिर उनका अनुभान अक्षरशः सच था!

खैर साढ़े चार बजते ही मैं बस स्टाॅप की ओर तेजी से भागा। एक आखिरी क्लास थी, पर मुझे उसे बंक मारने में जरा भी मुश्किल न हुई। मुझे कलवाली मिनिबस पकड़नी थी जिसमें मानसी मिली थी। बस स्टाॅप पहुँचकर देखा कि मिनिबस मेरे सामने से निकल गई। मैंने उसके दूसरे स्टाॅप तक उसका पीछा किया। गनीमत थी कि सामने पैसेन्जर देखकर वह थोड़ी दूर पर ही रुक गई थी। और मैं कूदकर उसपर चढ़ गया।


मेरी इस जद्दोजहद का फल भी हाथोंहाथ मिला। मानसी उसी बस में बैठी थी। आज वह अकेली थी। उसकी संगी - साथियाँ एक भी नहीं थी। और वह खिड़की के पासवाली सीट पर बैठकर बाहर देख रही थी।

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