निशि डाक- 10

अब निशीथ क्या करेगा?

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Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 09 Aug, 2021 | 1 min read

अगली रात को निष्ठा आई तो उसने सबसे पहले निशीथ के माथे पर हाथ रख कर यह देखने की कोशिश की कि कहीं उसे बुखार तो नहीं है?! कल जब वह निशीथ को छोड़कर गई थी तो वह बुखार से बेहोश हो रहा था!

परंतु निष्ठा का स्पर्श पाते ही निशीथ दो कदम पीछे हट गया!

" कौन हो तुम, यहाँ पर क्यों आई हो?" उसने अचानक निष्ठा से यह सवाल पूछा।

" यह क्या कह रहे हो, निशीथ!! मुझे नहीं पहचान रहे हो, क्या? मैं हूँ,,, तुम्हारी अपनी,, निष्ठा!!" निष्ठा हैरानी से उसे ताकती हुई बोली।

फिर स्वगत बोली--

"बुखार तो नहीं है इसे,फिर ऐसा क्यों बोल रहा है?!! कहीं भंग का गोला तो न खा लिया है,,, इसने?"

पर वह इतने ज़ोर से बोली थी कि वे शब्द निशीथ के कानों में भी पड़ गए थे। अतः उसने इसका जवाब दिया---

" मेरी निष्ठा तो अभी- अभी यहाँ से गई है। वह बोली थी कि घर पर कोई बीमार है इसलिए,उसे जल्दी घर जाना होगा! "

" अरे निशीथ,, क्या बात कर रहे हो?!! मैं तो अभी- अभी ही आई हूँ!" निष्ठा अब भी माजरा कुछ समझ नहीं पाई थी!

" क्या??!!तुम अभी आई हो तो,,,वह,, वह कौन थी, फिर? बिलकुल तुम्हारी तरह दिखती थी ? ऐसा ही काला तिल था उसकी ठुड्डी पर भी!"

इतना सुनकर निष्ठा बड़ी सोच में पड़ गई। वह मन में विचारने लगी,

" इस इलाके की भूतनी तो मैं ही हूँ, और तो किसी को देखा कभी नहीं यहाँ पर। हाँ,,, वह मल्लिकबाज्रार में पीपल के पेड़ पर जो प्रेतनी रहती है, वह बड़ी शैतान है। दूसरे इलाके में घुसकर औरों का शिकार छीन लेती है,,,कहीं यह,, वह तो नहीं है?"

निष्ठा अभी अपने इन्ही विचारों में मगन थी कि निशीथ ने जोर से उसका आलिंगन कर लिया और बोला,

" निष्ठा मुझे बहुत डर लग रहा है! बचाओ मुझे!! ऽ !!शायद कोई और है जो मुझे तुमसे छीनने की कोशिश कर रही है। वह जरूर हमारे बारे में सब कुछ जान गई है। तभी तुम्हारा रूप धरकर वह मेरे पास आई थी! "

"और देखो यह कितनी चालाक है, तुमसे पहले यहाँ पर आई ताकि मैं तुम पर शक कर सकूँ! हमारा रिश्ता खराब हो जाए!"

" ओ निष्ठा,,मेरी प्यारी निष्ठा,, बोलो न,, अब मैं क्या करूँ? उस शैतान को कैसे अपने से दूर रखूँ? मैं अदना से इंसान,,, तुम कुछ करो न!!" बहुत डरे हुए स्वर में निशीथ ने निष्ठा से यह सब कहा।

" एक उपाय है, ,, परंतु क्या तुम ऐसा कर पाओगे?" काफी सोचने के उपरांत निष्ठा बोली।

" निष्ठा, मैं तुमसे प्रेम करता हूँ,,,, तुम्हारे लिए कुछ भी करूँग! क्या है वह उपाय? बताओ मुझे! " दृढ़ स्वर में निशीथ बोला!

" बेकबागान के पास एक जंगल है, बहुत ही घना जंगल। उसमें एक पेड़ है, जिसके पत्ते और खाल में वह गुण है,, जो सारे भूत- प्रेतों को दूर भगा दे। जो भी व्यक्ति उसे धारण कर ले,,, कोई भी भूत- प्रेत उसका बाल भी बाँका नहीं कर पाएगा!"

" अगर तुम उस पेड़ के पत्ते और उसके बल्कल ( पेड़ की खाल) को धारण कर लोगे तो वह मेरी सौत, कभी तुम्हारे पास भी नहीं आ पाएगी।

केवल,, जब मैं तुम्हारे पास आऊँ तब तुम्हें उसे खोल कर रख देना होगा!" निष्ठा एक ही श्वास में इतने सारे वाक्य कह चुकने के बाद अब ज़रा हाँफने लगी थी!

" मैं तैयार हूँ निष्ठा,,, सब कुछ करने को तैयार हूँ!! केवल तुमसे दूर नहीं रह पाऊँगा!" निशीथ बोला।

" ओ,,ओ ,,,,मेरे प्यारे निशीथ, जानती हूँ कि तुम मुझे बहुत प्यार करते हो!" निष्ठा बोली

" अच्छा निष्ठा मगर, उस पेड़ को मैं पहचानूँगा कैसे? "

" उस पेड़ को दूर से ही उसके खूशबू के द्वारा पहचाना जा सकता है! अच्छा मैं भी चलूँगी तुम्हारे साथ। दूर से दिखा दूँगी तुम्हें वह पेड़!" निष्ठा ने उत्तर दिया।

" तो चलो न जल्दी से, तोड़ लाते हैं हम उसके पत्ते!" निशीथ बोला।

" नहीं निशीथ, आज नहीं !!अमावस के रात को वहाँ जाना पड़ता है। तब जाकर वह बूटी काम करता है।----परसों अमावस है! तब जाएँगे!

परसों, इसी समय तुम नहा धोकर ,,एक नई धोती पहनकर तैयार रहना। मैं तुम्हें लेने आऊँगी।" निष्ठा ने उत्तर दिया।

" अच्छा, तब ठीक है!" निशीथ बोला। " तो उसी दिन चलेंगे!"

" और सुनो निशीथ,, अब भोर होने वाली है, तो मैं आज चलती हूँ। कल नहीं आऊँगी मैं। सीधे परसो आधी रात के समय आकर तुम्हें वहाँ ले जाऊँगी। तुम तैयार रहना।

और सुनो, मेरी वह सौत अगर कल तुमसे मिलने आए तो उससे बात मत करना!" निष्ठा चिंतित स्वर में बोली।

" अरे निष्ठा, तुम मुझे इतना बेवकूफ समझती हो क्या? तुमने सब कुछ जैसा कहा, मैं वैसा ही करूँगा!"

------ क्रमशः------


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Moumita Bagchi

moumitabagchi

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Charu Chauhan · 2 years ago last edited 2 years ago

    😂😂😂👏

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