Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 30 Nov, 2020
धुँध और शबनम
यादें तुम्हारी, धुंध-सी छाई रहती हैं, अंतर्तम के कोने-कोने में। जब न समा पाती वहाँ तो बूँद बनकर ढुलक जाती है! शबनम- सी चमकती रहती है कपोलों पर!

Paperwiff

by moumitabagchi

30 Nov, 2020

#foganddew

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