फ़ितरत

सच में फ़ितरत कभी नही बदलती

Originally published in hi
Reactions 0
938
Mona kapoor
Mona kapoor 11 May, 2020 | 1 min read

"सुनो! प्रिया की माँ, अपने पी जी के खाली कमरों के लिए मैंने अखबार में विज्ञापन दे दिया है। वैसे अपनी प्रिया भी तो आज अपनी सहेली तान्या को लाने वाली थी पी जी दिखाने!" कहते हुए वर्मा जी अखबार के पन्ने पलट रहे थे कि उनकी नज़र एक बार फिर एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति द्वारा किसी मासूम सी बच्ची को अपनी हैवानियत का शिकार बना लेने पर पड़ी।

"हे भगवान! घोर कलयुग आ गया है। आज फिर ऐसे घिनौने अपराध पर पड़ती नज़र ने दिल दुखी कर दिया है।"

"अरे! क्या हुआ?" प्रिया की माँ ने रसोईघर से निकलते हुए पूछा। वर्मा जी द्वारा अखबार की सुर्खियां उनके सामने दिखा देने पर प्रिया की माँ भी निःशब्द सी हो गई।

"सच है! इंसान अब इंसान नही रहा,शैतान बन गया है। मैं तो कहूंगा जानवर बन गया है एक ऐसा जानवर जो सिर्फ मौका तलाशता हैं अपने शिकार को ढूंढ उस पर झपटते हुए नोंच खाने का। जंगली जानवरों को क्या कहे, सबसे बड़ा जानवर तो इंसान के अंदर हैं।" वर्मा जी कुछ आगे बोलते उससे पहले कॉलेज से अपनी सहेली को पी जी दिखाने के लिए घर लौटी उनकी बेटी प्रिया व तान्या की आवाज़ ने उनकी बातों पर वही विराम लगा दिया। तान्या से मिलकर दोनों बहुत खुश हुए व चाय नाश्ता कराने के बाद प्रिया को अपनी दूसरी सहेली से फ़ोन पर बात करता हुआ देख वर्मा जी खुद ही तान्या को पी जी का रूम दिखाने के लिए ले जा ही रहे थे कि अचानक से तान्या का पैर फर्श पर गिरे हुए पानी पर जा पड़ा और वह बुरी तरह गिर गई। वर्मा जी यह देख घबरा गए व इस घबराहट में उनकी आवाज़ प्रिया व उसकी माँ तक नही पुहंच पा रही थी।

धीरे-धीरे वर्मा जी खुद ही तान्या को उठाने की हिम्मत करने लगे। लेकिन यह क्या! तान्या के गिरने के बाद उसके अव्यवस्थित कपड़ों में से दिखता शरीर वर्मा जी की घबराहट को कम कर जागृत करने लगा था उनके अंदर के जानवर को। दिल कह रहा था कि यह सब गलत है क्योंकि तान्या उनकी बेटी जैसी है लेकिन दिमाग दिल की बातों पर हावी हो रहा था मानों कह रहा हो कि तान्या उनकी बेटी जैसी है, बेटी नही है। धीरे-धीरे वर्मा जी ने अपने अंदर एक भेड़िये को जन्म लेता पाया जो अपने सामने पड़े शिकार को नोंच कर खाने के लिए लालायित होता जा रहा था व उनके द्वारा कुछ समय पहले बोली जाने वाली बात सच हो चुकी थी कि "सबसे बड़ा जानवर तो सच में इंसान के अंदर ही हैं जिसकी शिकार करने की फ़ितरत कभी नहीं बदल सकती।"


0 likes

Published By

Mona kapoor

mona kapoora4hl

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.