जब अपना ही खून गलत हो।

अपने ही बेटे के गलत होने की कहानी

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Mona kapoor
Mona kapoor 27 Jan, 2020 | 1 min read

“मैं अब तुम्हारे साथ नहींं रह सकता चली जाओ मेरी ज़िंदगी से दूर, मुझे तलाक़ चाहिए अगर तुम नहीं दोगी तो मैं दूँगा तुम्हे” यह कह अमित गुस्से में अपनी बाइक स्टार्ट कर निकल गया घर से बाहर और रागिनी बैठ रोती रही अपने कमरे में।अमित की माँ सब कुछ सुन चुकी थी बचपन से ही लाड़ला था अमित उनका।अमित के पैदा होने के बाद एक दुर्घटना में उसके पिताजी का देहांत हो गया था तब से उसकी माँ ने ही उसको माता-पिता दोनों का प्यार दिया था।

घर चलाने के लिए कमाना भी तो था साथ ही साथ अमित छोटा भी था,अकेली थी वो परंतु फिर भी अपनी समझदारी से वो मुश्किल समय भी निकाल चुकी थी।अमित को पढ़ा लिखा कर उसे अपने पैरों पर खड़ा कर दिया था। अमित एक अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करने लग गया था, वहीँ उसकी मुलाकात रागिनी से हुई थी और कुछ समय के पश्चात दोनों में प्यार हुआ और दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया था।

हालांकि अमित की माँ को यह रिश्ता मंजूर नहीं था परंतु अपने बेटे की खुशी के लिए वो रागिनी को अपनी बहू बनाने के लिए तैयार हो गई थी।दोनों का विवाह हो चुका था व दोनों बहुत खुश थे।परंतु रागिनी का अमित की माँ के प्रति रवैया शुरुआत से ही खराब था दोनों ही एक दूसरे को पसंद नहीं करती थी| दोनों का एक साथ एक ही छत के नीचे रहना केवल मजबूरी थी क्योंकि अमित दोनों को बहुत प्यार करता था।दोनों के बीच के कलेश को सुलझा आपसी सुलह करवाता।देखते ही देखते कब छः साल बीत गए पता ही नहीं चला अभी तक अमित और रागिनी के जीवन में किसी नए मेहमान ने दस्तक नहीं दी थी।

अमित की कंपनी ने उसे प्रमोशन दे दिया था,अच्छी पोस्ट पा ली थी अमित ने अपने मेहनत के दम पर।तभी अमित की मुलाकात उसी की कंपनी में आई नई लड़की सौम्या से हुई।घर की बातों से परेशान अमित कब सौम्या को अपना अच्छा दोस्त समझने लगा पता ही नहीं चला और दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गयी।उनका शादी का एक फैसला अमित और रागिनी के रिश्ते को तोड़ चुका था।अमित के द्वारा रागिनी को भेजे गए तलाक़ के कागज़ जब अमित की माँ के हाथ लगे तो मानो उनके पैरों तले जमीन ही खिसक गई।

लाख समझाने पर भी अमित को अपनी माँ की एक बात नहीं समझ आ रही थी।

रागिनी टूटती जा रही थी,अमित की माँ से उसकी हालत नहीं देखी जाती थी वो बार बार अमित को समझाने की कोशिश करती परन्तु अमित को समझाना असम्भव सा था।उसने ठान लिया था कि वो रागिनी का त्याग कर सौम्या के साथ अपनी नई ज़िन्दगी की शुरुआत करेगा।उसके इस फैसले ने उसकी माँ को अमित के खिलाफ जाकर रागिनी का साथ देने के लिए मजबूर कर दिया था।वो खुद रागिनी को वकील के पास अमित के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने के लिए ले गयी।आज तक जो रागिनी अपनी सास से लड़ती झगड़ती रही आज उसी में उसे माँ का रूप दिखाई दिया। 

आज अमित और रागिनी का तलाक़ हो चुका है क्योंकि रागिनी जान चुकी थी कि ज़बरदस्ती से निभाये रिश्ते हमेशा बोझिल बन जाते है इसलिए कुछ समय पश्चात वह खुद ही अमित को तलाक़ देने के लिए तैयार हो गई।अमित और रागिनी का प्रेम विवाह टूट गया परंतु रागिनी और अमित की माँ के बीच एक अच्छा रिश्ता बन गया आज भी वो दोनों आपस में मिलती है और बातें करती है।अमित सौम्या से शादी कर अपना घर दुबारा तो बसा चुका है परंतु उसका यह नया रिश्ता कब तक चलेगा यह कोई नहीं जानता क्योंकि सौम्या की तरह रागिनी भी उसकी खुद की पहली पसंद थी।अमित की माँ चाह कर भी कुछ ना कर पायी क्योंकि वो जानती है कि उनका अपना ही खून जब गलत है तो किसी ओर को दोषी ठहराने का क्या फायदा।

लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं है ।

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