आत्मा का रिश्ता

माँ और बच्चे के बीच के आत्मिक रिश्ते को दर्शाती यह कहानी जरूर पढ़ें।

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Sunita Pawar
Sunita Pawar 11 Jul, 2020 | 1 min read
#Motherlove

"चलो रोहित देर हो रही है..स्कूल बस तुम्हारा इंतज़ार न करेगी..जल्दी करो.." तिलमिलाते हुए प्रेम ने बेटे से कहा..।


रोहित भी अपना नाश्ता टेबल पर छोड़ कर पापा के साथ धीरे धीरे चल दिया..पापा ने फिर डांटते हुए कहा "अरे जल्दी चलो..क्या धीरे धीरे चल रहे हो."।

दोनों अभी बस स्टैंड पर पहुंचे ही थे की पीछे से सुमन (रोहित की माँ) बदहवास सी भागती हुई आई..। बस अभी आकर रुकी ही थी और रोहित ने एक कदम अभी बस की सीढ़ी की ओर बढ़ाया ही था । अचानक ही माँ की आवाज़ सुन उसने पीछे मुड कर देखा तो पाया की माँ के हाथ में उसकी खोयी हुई इंग्लिश की कॉपी थी..। उसके उदास चेहरे पर ख़ुशी की हजारों तितलियाँ मंडराने लगी थी..उसकी हँसी में मधुर वीणा के तार बज उठे थे..। "लव यू माँ" कहते हुए वो बस में चढ़ गया..।

रोहित के पापा ने गुस्से से पत्नी की ओर देखते हुए कहा की "क्या करते हो तुम दोनों..रात को क्यूँ नही बैग लगा लेते...सब आखिर वक्त पर ही याद आता है तुमको."..।

"अरे बाबा शांत रहो..वैसे तो रोहित कह रहा था की कोई बात नही माँ अगर कॉपी नही मिल रही..पर मैं जानती हूँ की उसने देर रात जाग कर अपना ग्रहकार्य खत्म किया था और सो गया था..पता नही कॉपी पलंग से खिसक कर कब नीचे गिर गयी..और वैसे भी इंग्लिश की अध्यापिका बहुत सख्त मिजाज की हैं..ग्रहकार्य पूरा होने पर भी रोहित को अध्यापिका से डांट पड़ती तो कितना बुरा लगता उसको.." माँ लगातार अपने बच्चे की पीड़ा अपने पति से कहे जा रही थी..!

"ओह..फिर तो अच्छा किया तुमने जो उसको उसकी कॉपी लाकर दे दी"..सुमन की बातें सुन प्रेम भी भाव-विभोर हो उठा..।विद्यालय से आते ही जब रोहित ने अपना मनपसंद शाही पनीर खाने की टेबल पर देखा तो ख़ुशी के मारे माँ से जाकर लिपट गया.।

"पता है माँ आज मेरा शाही पनीर खाने का बहुत मन कर रहा था..आपको मेरे मन की हर बात पहले से ही कैसे पता चल जाती है?? जब मैं उदास होता हूँ या बहुत खुश होता हूँ...यहाँ तक की मैं बीमार होने वाला हूँ ये बात भी आपको पहले से ही पता चल जाती है..क्या आप कोई जादूगर हो???"..रोहित ने बड़ी हैरानी से माँ से पूछा..।


"नहीं बेटा..मैं कोई जादूगर नही बल्कि तुम्हारी माँ हूँ और माँ और बच्चे का रिश्ता आत्मा का रिश्ता होता है..मेरी आत्मा में बसते हो तुम...इसलिए मुझे सब कुछ पहले से ही पता चल जाता है." अपने सीने से लगाते हुए माँ ने कहा..।


"देखो माँ इंग्लिश अध्यापिका ने मुझे ग्रहकार्य पूरा करने पर"Excellent" दिया है..अगर आप ये कॉपी नहीं ढूँढती तो मुझे बड़ी डांट पड़ती..पर कुछ भी कहो माँ आप जादूगर ही हो इसलिए तो आपने अपने जादू से फटाफट इस कॉपी को ढूँढ लिया.."...रोहित शाही पनीर का स्वाद लेते हुए अपनी कॉपी को देख आनंद सागर में गोते खा रहा था..।


सच में एक माँ अपने बच्चे की पीड़ा को कितनी आसानी से समझ लेती है..बच्चा लाख अपने मन की बात माँ से छुपाये पर माँ बच्चे के चेहरे से ही उसके सारे सुख दुःख भांप लेती है..। भगवान द्वारा बनाया माँ-बच्चे का रिश्ता सच में आत्मा का रिश्ता होता है..।

आपको मेरा ब्लॉग कैसा लगा..आपके सुझाव और विचारों का इंतज़ार में आपकी दोस्त"सुनीता पवार"...।

धन्यवाद !

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Sunita Pawar

meri_pankti-man_ke_vichar023h

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  • Kumar Sandeep · 5 years ago last edited 5 years ago

    बेहतरीन लिखती हैं आप। संदेशपरक कथा

  • Surabhi sharma · 5 years ago last edited 5 years ago

    बहुत अच्छा ब्लॉग

  • Sunita Pawar · 5 years ago last edited 5 years ago

    धन्यवाद संदीप जी?

  • Sunita Pawar · 5 years ago last edited 5 years ago

    धन्यवाद सुरभि❤️

  • sanjita pandey · 5 years ago last edited 5 years ago

    Nice ??

  • Sunita Pawar · 5 years ago last edited 5 years ago

    Thankyou Sanjita❤️❤️

  • Ektakocharrelan · 5 years ago last edited 5 years ago

    Nice

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