मुझे तुम्हारे पैसे नहीं तुम्हारा वक्त चाहिए!!

Relationship value is higher in compare of money

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Manisha Bhartia
Manisha Bhartia 04 Jun, 2020 | 1 min read

सपना एक मध्यमवर्गीय परिवार से थी। ," लेकिन उसकी शादी एक रहीस खानदान में हुई थी। ,उसे सब कुछ एक सपने जैसा लग रहा था, जैसा गुड्डे गुड़ियों के खेल में होता है.. आलीशान घर, चार- चार,गाड़ी , नौकर- चाकर।" ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वो कोई महल में आ गई हो, और वहां की रानी हो, एक हुकुम करो हर चीज हाजिर। उसके घर में तो सब मिलकर ही काम करते थे। , इसलिए उसे ऐशो आराम शुरू शुरू में तो बहुत अच्छे लगे,ं पैसों की चमक-दमक और मोहित का साथ पाकर वह अपने आप को दुनिया की सबसे खूशनशीब लड़की समझ रही थी। लेकिन धीरे-धीरे मोहित ने अपना बिजनेस बहुत एक्सपेंड कर दिया। बह घर से ज्यादा बाहर रहने लगा, शुरुआती दौर में वह एक एक-दो दिन के पश्चात आता था, फिर धीरे-धीरे तो 1 सप्ताह के बाद आने लगा, रात को आता और सुबह सपना की नींद खुलने से पहले ही निकल जाता। बह पैसे कमाने और नंबर वन बिजनेसमैन बनने की जुनून में इस हद तक पागल हो चुका था,की उसे किसी चीज की कोई सुध- बूध ही नही थी। , सपना को भी टालने लगा। वक्त बीतते बीतते1 साल गुजर गया, 1 साल के अंतराल में सपना उम्मीद से थी। सपना को उम्मीद थी कि जब यह खबर वह मोहित को देगी, दौड़ा-दौड़ा अगली फ्लाइट से आ जाएगा, लेकिन उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया, उसने सपना को बधाइयां देते हुए कहा, कि तुम अपना ध्यान रखो समय पर चेकअप कराती रहो और हां,ज्यादा बाहर जाने की जरूरत नहीं है ,हो सके तो डॉक्टर को घर पर ही बुला लो। मोहित के इस व्यवहार से वो धीरे धीरे दुखी रहने लगी।, उसके साथ ससुर भी परेशान थे ।,लेकिन समझाये भी तो किसको, मोहित तो किसी की बात सुनने के लिए तैयार नहीं था।  , सपना जब प्रसव की पीड़ा में दर्द से करा रही थी, जिस समय हर औरत की तरह उसे भी मोहित की जरूरत थी, बह उस समय भी उसके साथ नहीं था, उसने बहुत मिन्नतें की कम से कम आज तो तुम आ जाओ, मुझे तुम्हारे साथ की जरूरत है,मैं चाहती हूं कि दुनिया में जब हमारा बच्चा आए तो सबसे पहले तुम उसे देखो।, लेकिन वह हर बार की तरह यही कह कर टाल गया यह कहकर की मेरी बहुत महत्वपूर्ण मीटिंग है, इसे छोड़कर मैं नहीं आ सकता, मैंने तुम्हारे इलाज के लिए बेहतर से बेहतर डॉक्टर भेज दिए। रूपये ,पैसे और चाहिए तो बोलो मैं इंतजाम कर देता हूं। वैसे भी मां बाबूजी तो है ही तुम्हारे साथ , मेरी मीटिंग आज शाम तक खत्म हो जाएगी ,"मैं अगली फ्लाइट पकड़ कर आ जाऊंगा तुम्हारे और मुन्ने के पास।सपना ने गुस्से से फोन पटक दिया और, कहां नहीं चाहिए रुपए पैसै।    फिर जब मोहित रात को आया, दुनिया भर के खेल खिलौनों के साथ सपना ने उससे बात भी नहीं की। वह चुपचाप अपने बच्चे के साथ खेलने लगा, और सपना को मनाने की कोशिश करने लगा।, आगे से ऐसा नहीं होगा। भरी तो बैठी ही थी।,"सपना , उसने गुस्से में कहा, तुम बदल जाओगे तुम । मेरी बर्थडे पार्टी हो या तुम्हारी , शानदार पार्टी का इंतजाम हो जाता है सारे मेहमान आ कर चले जाते है, लेकिन तुम्हारा पता नहीं रहता, अभी पिछले हफ्ते ही मां बाबूजी की एनिवर्सरी आकर गई, उसके पहले हमारी एनिवर्सरी आई, हर दिन, हर दिन तुम सारे मेहमान जाने के बाद रात को लौटते हो। सबके सामने हमारा मजाक बन जाता है। अरे इतने पैसों का हमें क्या करना है पहले से हमारे पास बहुत पैसे हैं, इंसान पैसे कमाता है जीने के लिए , पैसे कमाने के लिए नहीं जीता। अब तो तुम ने हद ही कर दी, हमारा बच्चा जब दुनिया में आने वाला था।, उस समय भी तुम मेरे पास नही थे। क्या विश्वास करूं और कैसे विश्वास करू तुम पर। मोहित ने डरते हुये कहा एक आखरी मौका मुझे दे दो ,इस बार मैं तुम्हें शिकायत का मौका नहीं दूंगा। ठीक है कहकर सपना ने उसे माफ कर दिया।वक्त अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रहा था। लेकिन मोहित में कोई बदलाव नहीं आ रहा था। उसके पैसे कमाने का जुनून दिन प्रतिदिन और बढ़ रहा था। पहले तो वह हफ्ते हफ्ते आता।" लेकिन अब तो 1 महीने के अंतराल पर आता था। सपना बार बार फोन कर के वक्त पर याद दिलाती रहती ।लेकिन वह हर बार यही कहता की मेरी बहुत महत्वपूर्ण मीटिंग है तुम पेरेंट्स मीटिंग अटेंड कर लो। अगली बार मैं कर लूंगा। सपना के सब्र का बांध अब टूट चुका था। , सपना ने एक फैसला लिया, और मोहित को फोन किया। ,और कहा कि मोहित अब मैं और तुम्हारे साथ नहीं रह सकती। मैंने तुम्हें आखिरी मौका दिया लेकिन तुम आज भी वैसे के वैसे ही हो, कोई बदलाव नहीं आया तुममें। तुम कोई भी रिश्ता अच्छे से निभा नहीं सके। तुम ना एक अच्छे बेटे, ना अच्छे पति, न अच्छे पिता, कुछ नहीं बन पाए। बस पैसों के पुजारी ही बने हो। मुझे तुम्हारे पैसे नहीं तुम्हारा वक्त चाहिए!

पैसे कमाने के जुनून में इस कदर पागल हो गये की तुम्हें यह तक समझ में नहीं आया की तुम्हारे वक्त पर किसी और का भी हक है। एक बच्चा अपने पिता के साथ खेलने के लिए तरसता है। हर दिन यह सवाल करता है।, मम्मी सबके पापा रात को रोज घर आते हैं मेरे पापा क्यों नहीं आते। मां बाबूजी की भी उम्र हो चली है वह भी अपने बेटे का साथ चाहते है। ," और मेरा ,मेरा क्या ?मेरे लिए तुम्हारा कोई फर्ज नहीं बनता । मैं यहां सात फेरे लेकर खुशियां पाने आई थी। लेकिन तुमने तो मुझे गम के अंधेरे दे दिए। मुझे पैसों की सेज पर नही सोना मुझे तुम्हारी बाहों का हार चाहिए। जो तुम मुझे दे नहीं सकते। इससे तो अच्छा मैं अपने पीहर में हीं थी ,पैसे भले ही कम थे।,' लेकिन हम सब साथ साथ थे।इसलिए मैं अभी इसी वक्त अपने बेटे को साथ लेकर घर को छोड़कर जा रही हूं ।तलाक की नोटिस भिजवा दी है।दोस्तों मेरी नई कहानी नई उम्मीद ,और संदेश के साथ आशा करती हूं कि आप लोगों को पसंद आएगी।

और आपको मेरा ब्लॉग अच्छा लगे तो लाइक ,कमेंट ,और शेयर कीजिए।

मेरी कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद।

स्वरचित व मौलिक।

आपकी अपनी

मनीषा भरतीया

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Manisha Bhartia

manishalqmxd

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Yashika Mittal · 3 years ago last edited 3 years ago

    amazing story

  • Manisha Bhartia · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thank u🙏yashika ji

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