काश मैने ये कदम नहीं उठाया होता!!

Confession

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Manisha Bhartia
Manisha Bhartia 31 Jan, 2022 | 1 min read
Indu shail

आज बालकनी में बैठे परिंदो को उड़ते हुए देख रही थी.....देखते-2 उसकी आंखों से अश्रु धारा बहे जा रही थी यह सोच कर.... कि आज वह भी उड़ पाती....काश उसने यह कदम ना उठाया होता |करीब 4 साल पहले ठीक आज ही के दिन शनिवार शाम 4:00 बजे अगर वह छत से ना छलांगना लगाती...... तो आज विकलांग होकर कर घर के अंदर कैद ना होती |शरीर से यूँ अपाहिज होकर घर वालों पर बोझ तो ना बनी होती.... नीतू के दोनों हाथ और दोनों पांव बेकार हो चुके थे |अब वह बस व्हीलचेयर के सहारे इधर से उधर जा सकती थी..... कहने को वह जीती- जागती इंसान थी....पर असल में वह जिंदा लाश बन चुकी थी|एक तो उसकी लाचारी और घरवालों के तानों ने उसे अंदर तक झकझोर कर रख दिया था.....अपनी वेवसी के बारे में सोचते-2 वह अपने अतीत में खो गई|वह एम. बी.ए पास थी.... और एक बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनी में जांब करती थी | घर गृहस्थी से लेकर सजावट तक सारे कामों में निपुण...... बस कमी थी.. तो एक ही की उसका रंग तवे की तरह काला था...... इसी कारण कोई भी उसे पसंद नहीं करता था |उसके माता-पिता ने उसके लिए बहुत से रिश्ते देखें....पर हर रिश्ते में जहां बात रंग की आती उसका रिजेक्शन हो जाता.... कम से कम 4 साल तक उसकी नुमाइश सब्जी- भाजी की तरह हुई..... पर एक ने भी रिश्ते के लिए हां नहीं की!!इतने ज्यादा रिजेक्शन से अंदर तक टूट चुकी थी....नीतू,उसके माता-पिता हर वक्त उसे दिलासा देते ....बेटा तू चिंता मत कर, कोई तो होगा जो तेरे लिए बना होगा! देखना एक दिन तेरा भी ब्याह होगा और तू भी दूसरी लड़कियों की तरह अपने ससुराल जाएगी |लेकिन वह समझ चुकी थी ....और उसे पूरी तरह से एहसास हो चुका था कि उसकी शादी कभी नहीं होगी!हर दिन रोती रहती और मन ही मन भगवान से सवाल करती की!है कि भगवान अगर मेरी जिंदगी में गम के अंधेरे ही देने थे....तो मुझे इस दुनिया में भेजा ही क्यों??क्या मेरे हिस्से का आसमान मुझे कभी नहीं मिलेगा???क्या मुझे खुश रहने का हक नहीं है? ?लेकिन अपने सवालों के जवाब न मिलने पर और बार-बार के रिजेक्शन से मुक्ति पाने के लिए..... एक दिन जब घर में कोई नहीं था...... उसने छत से छलांग लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की.... लेकिन यहां भी उसकी किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया |.... जिंदगी मौत से भी बदतर हो गई |इससे तो पहले ही अच्छी थी| कम से कम आत्मनिर्भर तो थी.... अब तो जिन्दगी भर के लिए सब पर बोझ बन गयी थी |आज अफसोस करने और रोने के अलावा उसके पास कोई विकल्प नहीं था..... वह बार-बार यही सोच रही थी ...कि काश! ये कदम मैंने नहीं उठाया होता!!मैंने तो अपने हाथों से ही अपने पंख काट लिए |दोस्तों कभी जब इंसान जब हालातों से दुखी हो जाता है तो उसे आत्महत्या ही सरल उपाय लगता है लेकिन जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें क्युं न आये हमे आत्महत्या के बारे में नहीं सोचना चाहिए.... की आत्महत्या करना पाप है और यह मुश्किल का कोई समाधान भी नहीं है.... जिंदगी भगवान की दी हुई अनमोल भेंट हैं ...उसे हमें यू खत्म करने का हक नहीं है|दोस्तों आपको कैसा लगा ब्लॉग पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया जरूर बताएं |@ मनीषा भरतीया


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