आज ऑपरेशन करते हुए रूही के हाथ कांप रहे थे ऑपरेशन टेबल पर सामने वही कुटिल चाचा पड़े थे जिन्होंने पिता की मृत्यु के बाद उसे और मां को घर से बेदखल कर दिया था मां ने मेहनत करके उसे डॉक्टर बनाया अतीत के कटु अनुभव उसे कमजोर बना रहे थे नफरत करने उकसा रहे थे अनुभवी सर्जन थी पर आज विचलित थी अचानक पेशे की शपथ यादआते ही सब भूलकर ऑपरेशन किया जो सफल रहा ओटी से बाहर आकर उसने सुकून कि सांस ली कि उसने अपना जमीर ज़िंदा रखा और पेशे से वफादारी की।
यदि मै डॉक्टर होती तो रूही जैसे डॉक्टर्स को आदर्श बनाकर अपने कर्तव्य का निर्वहन करती। आज के दौर में होने वाली बुरी घटनाओं से ये तो ।सिद्ध हो गया है कि जीने के लिए सिर्फ आत्म संतोष की जरूरत है धनदौलत,शोहरत भागम भाग स्पर्धा ये सब बेकार की बातें है इन सब बातों से ऊपर उठकर अपने सामने आने वाले पेशेंट का यथासंभव इलाज करूंगी क्योंकि जब मरीज़ डॉक्टर के पास आता है उसे उनमें भगवान नजर आता है इसलिए अपने पेशे को लज्जित नहीं करूंगी ।दुश्मन भी सामने हो तो अपने धर्म का पालन करूंगी क्योंकि दुनियां में बदला नहीं बदलाव की आवश्यकता है।डॉक्टर्स के नोबल प्रोफेशन को मै सलाम करते हुए चाहूंगी कि मै भी अगले जनम डॉक्टर बनूं ।इस कोरॉना काल में डॉक्टर्स की महत्ता को सबने स्वीकार किया है ।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Good one
Please Login or Create a free account to comment.