जीवन का आधार राम

परिवार में बिगड़ते रिश्तों को बचाने हेतु राम जैसी सहनशीलता दिखाई जाने की आवश्यक्ता

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Kusum Pareek
Kusum Pareek 12 Aug, 2020 | 1 min read
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आज राम वापिस अयोध्या आ गए है लेकिन मैं किस मुँह से बाहर जाऊं, यही सोच व्यथित अवस्था में कैकयी अपने कक्ष में बैठी सोच रही थीं कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई , देखा एक छायाकृति उनके कमरे में आई आश्चर्य मिश्रित हो कर उन्होंने अपनी आँखों को बार-बार ऊपर नीचे किया,फाड़ फाड़ कर देखने की कोशिश की ,वह कोई और नहीं 'राम' ही थे।

दुःख व पश्चाताप से वह जड़ हुई जा रही थी कि अचानक राम ने उनके चरण छू लिए। 

पाँवों पर वे कोमल हाथ जो अब थोड़े कठोर हो चुके थे,उनके ह्वदय को अंदर तक पिघला गये।

कैकयी समझ नहीं पाई क्या कहे ?

अचानक राम का स्वर उभरा," माता क्या अपने इस पुत्र को आशीर्वाद नहीं देगी आप?"

यही वह वाक्य था जिसने माँ कैकयी को फिर से वही माँ बना दिया जिसने बचपन मे राम को भरत से भी अधिक लाड़-दुलार किया था।

इतने वर्षों बाद अब ममता वापिस हिलोरे लेने लगी थीं और अश्रुपूरित आँखों से उन्होंने अपने राम को देखा व भाव विह्वल हो हृदय से लगा लिया। 

समय भी माँ और पुत्र के इस मिलन को देखने के लिये वहीं ठठक कर खड़ा हो गया था।

वह शायद आगे बढ़ना भी नहीं चाहता लेकिन और भी कार्य उसे अभी पूरे करने थे।

थोड़ी देर में राम ,माँ कैकयी से अलग हुये और एक तरफ हटते हुये उन्होंने एक छाया को और आगे कर दिया विस्फारित नेत्रों से कैकयी जड़ हो गई जब राम के कहने पर उनके स्वयं के पुत्र भरत ने उनके चरण स्पर्श किये।

आज कैकयी का वह पुत्र भी उनके पास था जिसने राम वनवास के समय प्रतिज्ञा की थी कि आज से यह मेरी माता नहीं रहेंगी।"

चौदह वर्षों तक इस प्रायश्चित व दुःख की आग में झुलसने वाली कैकयी को आज चारों पुत्र वापिस मिल चुके थे।

यह था मेरे राम का व्यक्तित्व जिन्होंने रिश्तों को वहाँ तक जिया जहां तक क्षमा शीलता या सद्भावना लाना किसी साधारण पुरुष के वश में नहीं हो सकता।

पारिवारिक प्रेम व द्वेष रहित जीवन ही उनके जीवन के मूलभूत आदर्श रहे हैं।

जब तक हमारे मन में राम जैसा भातृ, मातृ, पितृ प्रेम नहीं पनपेगा तब तक त्याग ,सेवा,संयम व सहिष्णुता वाले परिवार बनाना कठिन है।

राम के इन आदर्शों को यदि हम जीवन में ढालें तब हम पायेंगे कि यदि हमें अच्छा परिवार चाहिए, अच्छा समाज चाहिए व सुदृढ देश चाहिए तो उनके आदर्शों को जीवन मे ढालना होगा।


कुसुम पारीक


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Kusum Pareek

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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    nice

  • Ektakocharrelan · 3 years ago last edited 3 years ago

    सुंदर लिखा आपने और मन को छू गई वो पंक्ति ऐसे थे मेरे राम सुंदर लेखन के लिए बधाई आपको 💐

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