मैं गंवार नहीं हूं।

अंग्रेजी माध्यम से पढ़े लिखे पढ़ें लोग कहलाएं ऐसा जरूरी नहीं है।

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Kavita Singh
Kavita Singh 17 Sep, 2020 | 1 min read

पायल घर की बालकनी में अकेली बैठी चाय का लुफ्त उठा रही ओरथी कि दरवाजे की घंटी बजी। कप में थोड़ी चाय अभी भी बाकी थी, चाय पीते हुए ये खलल उसे अच्छी नहीं लगी। चाय का कप वहीं छोड़ पायल दरवाजा खोलने गई। दरवाजा खोलते ही पायल अवाक हो गई,क्योंकि सामने उसका पति आनन्द खड़ा था। आनन्द बहुत परेशान लग रहा था , पायल उसे परेशान देखकर घर के भीतर बुलाती है। पायल आनन्द को बालकनी में बैठा कर चाय बनाने चली जाती है। जब वो‌ चाय लेकर आती है तो आनन्द को गहरी चिंता में देखती है।


क्या हुआ? पायल की आवाज़ सुनकर आनन्द हड़बड़ा गया।

चाय पीते हुए दोनों के बीच इतना सन्नाटा था कि केवल चाय की चुस्की की आवाज़ ‌ही सुनाई दे रही थी।

सन्नाटे को भंग करते हुए पायल ही पहल करती है , उसने आनन्द से यहां आने का कारण पूछा?

थोड़ी देर की खामोशी के बाद आनन्द ने बताया कि उसे पैसों की जरूरत है।

पायल शायद पहले से इस दिन के लिए तैयार बैठी थी इसलिए उसने कुछ नहीं पूछा और उसने एक चेक साइन करके आनन्द को दे दिया।

चेक लेते समय आनन्द अपनी नजरें झुकाए खड़ा था और बार बार पायल से माफ़ी भी मांग रहा था। पायल ने कुछ नहीं कहा और आनन्द पायल से चेक लेकर और उसे धन्यवाद कर वहां से चला गया।


उसके जाने के बाद पायल फिर बालकनी में आकर बैठ गई और आंख मूंद कर अपने बीते हुए कल के बारे में सोचने लगी।


घर में पत्नी पायल के साथ क़दम रखते ही आनन्द का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और मां सरला से उसने गुस्से से कहा ; पूरी दुनिया में आपको यही गंवार मिली थी, बहू बनाने के लिए ‌। कहीं भी साथ लेकर जाने लायक नहीं हैं ।पैर पटकते हुए आनन्द अपने कमरे में चला गया। पायल वहीं नजरें झुकाए खड़ी रही।


बेटे की इस नाराज़गी को सरला जी समझ गई इसलिए उन्होंने अपनी बहू से कुछ नहीं कहा।सरला जी समझ गई थी क्या हुआ होगा क्योंकि एक साल पुरानी शादी में अब तक गंवार शब्द को लेकर हजार बार झगड़े भी हुए थे।

तुम अंग्रजी भाषा सिखने वाली कोर्स क्यों नहीं कर लेती बेटा, हर दिन तुम्हारे हिंदी बोलने के कारण झगड़े होते हैं।


पर मम्मी जी इसमें मेरी क्या गलती है, हां मुझे अंग्रेजी नहीं आती मैं मानती हूं पर "मैं गंवार नहीं हूं"।मैं हिन्दी बोलती हूं क्योंकि हिन्दी हमारी मातृभाषा है और मैंने अपनी पूरी पढ़ाई हिंदी माध्यम से ही की है।


मम्मी जी गंवार वो होते हैं जिनका व्यवहार अच्छा नहीं होता,कब क्या बोलना है वो भी समझ नहीं आता।

पर मैंने तो बी एड किया है मम्मी जी । बी एड करने के बाद भी कोई गंवार हो सकता है क्या?


लेकिन पायल तुम्हारे हिंदी बोलने के चक्कर में मेरे बेटे की जो जग हंसाई होती है उसका क्या!


मम्मी जी हिंदी केवल मेरी भाषा नहीं है बल्कि हम सबकी मातृभाषा है और क्या जिसे अंग्रेजी नहीं आती इसका मतलब ये थोड़े ही है कि उसे कुछ नहीं आता।


मैं इनके सभी दोस्तों के साथ शालीनता से पेश आती हूं। हां बस मैं उनकी तरह अंग्रेजी नहीं बोल पाती।


और मम्मी जी आप सबको पहले से पता था कि मैं छोटे से शहर के छोटे से स्कूल से हिन्दी माध्यम से पढ़ी हूं फिर भी आप सबने मुझे पसंद किया था और आज..... कहते हुए पायल रोने लगी।


आनन्द मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था,हर दिन उसका उठना बैठना विदेशी क्लाइंट से होता था।उसे भी अपनी जैसी अंग्रेजी माध्यम से पढ़ी लिखी पत्नी चाहिए थी पर माता पिता के दबाव में आकर उसने पायल से शादी कर ली थी, लेकिन शादी के बाद पायल को अंग्रेजी ना आने के कारण घर में आए दिन लड़ाई होने लगी । पायल के लिए ये सब बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया था और आनन्द भी अपनी एक सहकर्मी के प्रेम में पड़ गया था‌


शादी के दो साल बाद ही पायल और आनन्द का तलाक हो‌ गया। तलाक़ के बाद आनन्द ने अपनी सहकर्मी पूजा से शादी कर ली।इधर पायल शादी टूटने के बाद माता-पिता पर बोझ नहीं बनना चाहती थी इसलिए वो शिक्षक की नौकरी के लिए आवेदन भरने लगी।


एक साल की मशक्कत के बाद पायल को एक सरकारी स्कूल में शिक्षक की नौकरी मिल गई। पायल अपने नए जीवन में ख़ुश थी। शादीशुदा जिंदगी में उसे वो‌ खुशियां कभी नहीं मिली जिसकी वो हकदार थीं , शायद इसलिए वो आज भी अकेली रहकर भी खुश थी।


उधर पांच साल बाद आनंद की दूसरी शादी में भी कुछ अच्छा नहीं चल रहा था। अब आनन्द को अपनी दूसरी पत्नी से भी परेशानी होने लगी, उसे अपनी पत्नी का अपनी मनमर्जी चलाना नहीं अच्छा लगता इसलिए आनन्द की दूसरी शादी में भी दरार आ गई और बात फिर तलाक़ तक पहुंच गई।


आनन्द को तलाक के एवज में पूजा को अच्छी खासी रकम देनी थी जिसका इंतजाम वो नहीं कर पा रहा था। इसलिए आज उसने पायल से पैसों की मदद ली थी। पायल अपनी सास से कभी कभी बात कर लेती थी इसलिए उसे आनन्द की परेशानी के बारे में अच्छे से जानकारी थी।

आज पायल ने आनन्द की मदद तलाकशुदा पत्नी के नाते नहीं बल्कि इंसानियत के नाते किया था। अचानक चिड़ियों की चहचहाहट से पायल की निद्रा भंग हुई । आज पायल अपने आप को बहुत ही गौरांवित महसूस कर रही थी क्योंकि आज उसी हिंदी भाषा की मदद से एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका बन गई थी ।आज उसी हिन्दी ने उसे इतना काबिल बना दिया था कि कल तक जो उसे गंवार कहते थे आज वो उनकी मदद पैसों से कर रही थी।

आज पायल के चेहरे पर सुकून था कि शायद अब आनन्द की नजरो में मै गंवार नहीं रहूंगी और पायल का चेहरा सूर्य की लालिमा की तरह चमक रहा था।



दोस्तों आपको मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताइएगा।मेरी अन्य कहानियां पढ़ने के लिए आप मुझे फॉलो भी कर सकते हैं।



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Kavita Singh

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