समीक्षा

"चौरंगी '' बंगला के प्रसिद्ध"लेखक "शंकर " (मणिशंकर मुखर्जी) द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध उपन्यास है. यह कलकत्ता की प्रष्ठभूमि पर है.

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Kamlesh Vajpeyi
Kamlesh Vajpeyi 05 Jun, 2021 | 1 min read

. पाठकीय समीक्षा 

चौरंगी: (मूल बंगला उपन्यास) 

लेखक :शंकर  (मणिशंकर मुखर्जी) 

राजकमल प्रकाशन.. (हिन्दी अनुवाद) 

                                  .............. चौरंगी '' शंकर '' की सबसे लोकप्रिय पुस्तक है. इस पर 1980 में बंगला में फिल्म भी बनी है. मुख्य भूमिका स्व 

उत्तम कुमार ने की है. किताब पढ़ने के बाद फिल्म देखना ज्यादा अच्छा है. 

चौरंगी का पहला संस्करण 1964 का है, मूलतः बंगाली भाषा में ही है. 

पाश्चात्य एवं अति आधुनिक होटल शाहजहां के लोग, वहां की गतिविधियां उपन्यास के केंद्र में हैं.. 

अन्तिम अंग्रेज़ बैरिस्टर, बोरवेल साहब, (जिनका वर्णन '' ये अनजाने '' में है), की अचानक हुयी म्रत्यु के बाद बेरोजगार, 

शंकर को आश्रय मिला, शाहजहां होटल में. वहाँ उन्होंने बहुत से विशिष्ट व्यक्तित्व देखे, उन्हीं के बारे में चौरंगी में लिखा है. 

प्रारम्भ कुछ इस तरह से है :


वे लोग कहते हैं - एस्प्लेनेड, हम लोग कहते हैं - चौरंगी. इसी चौरंगी का कर्ज़न-पार्क .. सारा दिन घूमते रहने के कारण थका हुआ शरीर जब एक कदम भी चलने से इन्कार करने लगा, तब इसी पार्क में आश्रय मिला. महामान्य इतिहास पुरूष कर्ज़न साहब एक युग के पहले बंगाल के लिए अभिशाप बन कर आये थे.. सुजला-सुफला इस धरती को दो हिस्सों में बांट देने की कुबुद्धि जब उनके मन में उपजी थी, कहते हैं, हम लोगों के दुर्दिन का इतिहास उसी दिन से शुरू हुआ था. मगर वे सब पुरानी बातें हैं. बीसवीं शताब्दी की इस भरी दोपहरी में, मई महीने की धूप से जलते हुए इस कलकत्ता महानगर की छाती पर खड़े होकर मैंने इतिहास के पन्नों 

बार बार बार बार धिक्कारे गये उस अंग्रेज राजपुरूष की आत्मा की सद्गति के लिए प्रार्थना की. और प्रणाम किया राय हरिहर नाथ गोयनका को (जिनकी संगमरमरी मूर्ति कर्ज़न-पार्क में प्रतिष्ठित है)


क्या मै आप लोगों को याद हूं. जिसे अन्तिम अंग्रेज़ बैरिस्टर का प्यार मिला था.... 


उस समय कलकत्ता देश की मुख्य व्यवसायिक, और व्यापारिक गतिविधियों का बहुत महत्वपूर्ण केन्द्र था. अंग्रेजों की भी कलकत्ता पर विशेष द्रष्टि रहती थी. 


मुझे मेरे बंगाली मित्रों ने बताया कि " शाहजहां " वास्तव में कलकत्ता का "ग्रैन्ड-होटल " है. 

'' शाहजहां " के पात्र देशी, विदेशी आगन्तुक.. विदेश से आयी डांसर, देश के शीर्ष उद्यमी, होटल के साधारण कर्मचारी शंकर के मुख्य विषय हैं. भाषा सदैव शिष्ट, सुन्दर, सौम्य और संवेदनशील है, मुख्यतः महिला पात्रों के लिये विशेष रूप से सम्मानजनक है.. 

होटेल के मुख्य रिसेप्शनिस्ट '' सत्य सुन्दर बोस '' जिन्हें सब स्याटा बोस कहते हैं और एयर - होस्टेस सुजाता मित्र की कथा. 

स्काटलैंड की कैबरे गर्ल " कनि" जो शाहजहां होटेल में कोनट्रैक्ट पर आयी है. उसका बड़ा लेकिन बौना भाई.. उनकी करूण व्यथा- कथा, होटलों में "बार बालाओं का इतिहास, 

होटल के वाद्य वादक गोमेज़.. उनके गुरु ब्राह्म - द ग्रेट   कम्पोज़र.., सुरों के सम्राट " मोज़ार्ट.." उनका ' रिक्विम के 626' 

' शाहजहां' होटल के 2 नं सूट की होस्टेस 'करवी गुहा'.. जो जर्मन विदेशी मेहमानों को ड्राई डे, को ड्रिंक मांगने पर 'इन्डियन ड्रिंक' 'डाभ' पेश करती है.. जिससे विशालकाय ' माधव इंडस्ट्रीज' का भावी 'युवराज, अनिंद्य पकड़ासी विवाह करने के लिए पागल हो उठता है, जिसका मूल्य करवी.. नींद की गोलियां खा कर चुकाती है.. होटेल के ' लिनेन बाबू 'नित्यहरी बाबू अपनी' मां जगतजननी ' करवी गुहा को श्वेत चादर चढ़ा कर विदा देते हैं. 

होटल के बार मैनेजर ' शराब जी 'की करूण कथा जो पहले एक मदिरालय पूरी निष्ठा और ईमानदारी से चलाते थे. ग्राहकों का ध्यान भी रखते हैं. समय समाप्त होने पर घर जाने का अनुरोध करते हैं.नशे में होने पर टैक्सी से उन्हें सुरक्षित घर भेजते हैं. जिससे रास्ते में ट्राम, बस के नीचे न आ जाएं. 

उनकी बेटी उनके व्यवसाय के बारे में अनभिज्ञ है. एक दिन अचानक आकर उसे ज्ञात होता है. वह हत्प्रभ हो जाती है. कहती है कि उन लोगों की मां, बहन बेटियों का श्राप क्या तुमको नहीं लगेगा 'पिताजी'..! 

वे काम बन्द कर देते हैं.. वे आतंकित हो जाते हैं, सपने में ग्राहकों की मां, बहन बेटियों को देखते हैं. 

शाहजहां के प्रतिभाशाली मैनेजर मार्को साहब, जिन्हें बहुत से विदेशी होटल आफर दे चुके हैं. उनकी और 'सूसन मनरो' की कथा..

और भी अनेक संवेदनशील कथायें ". चौरंगी. " में समाहित हैं. 


कमलेश वाजपेयी

नोएडा

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Kamlesh Vajpeyi

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